मृत्यु से दो दिन पहले उन्होंने योगेश सर से कहा था मेरे बेटे को अवार्ड दिलाना आपकी जिम्मेदारी है….

By AV NEWS

राज्य स्तरीय खेल अवार्ड में उज्जैन की प्रतिभाओं ने किया नाम रोशन

मलखंभ में विक्रम अवार्ड प्राप्त करने वाले राजवीर बोले- खबर में मेरे पिता (राजेंद्र सिंह) और गुरु का नाम जरूर लिखना 3 अगस्त उनकी पुण्यतिथि थी

उज्जैन का राजवीर प्रदेश में मलखंभ का विक्रम, इंद्रजीत और दीपेश एकलव्य अवार्ड जीतने वाले खिलाडियों की

अक्षरविश्व से विशेष बातचीत

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन मध्यप्रदेश में खिलाडियों को दिए जाने वाले सर्वोच्च खेल पुरस्कार विक्रम अवार्ड जीतने वाले राजवीर और उनका परिवार इस घोषणा के बाद से इतने खुश और भावुक हैं कि बुधवार को पूरे परिवार के आंसू नहीं रूके। क्योंकि 3 अगस्त 2020 को राजवीर के पिता राजेंद्र सिंह पंवार का निधन हुआ था और तीन साल बाद इसी दिन उन्हें अवार्ड प्राप्त होने की सूचना मिली। राजवीर ने अक्षरविश्व से बातचीत में कहा कि खबर में उनके पिता और गुरु योगेश मालवीय का नाम जरूर लिखना।

ये दोनों ही मेरी इस सफलता के कर्णधार हैं। उन्होंने बताया कि पिता की मृत्यु से दो दिन पहले कोच मालवीय से मिले तो उन्होंने बातचीत में कहा था कि राजवीर को अवार्ड दिलाना आपकी जिम्मेदारी हैं। राजवीर के पिता राजेंद्र सिंह पंवार विजयाराजे कन्या विद्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे। मां ब्रजबाला पंवार ने बताया कि बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए पति ने खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया था।

राजवीर को खेल प्रतियोगिता में पहुचाने के लिए पैसे नहीं होते थे।शास्त्री नगर में मकान ऐसा जर्जर था कि बारिश का पानी छत और जमीन से रिसता था। 2019 में जब वे सेवानिवृत्त हुए तो उनकी सर्विस की राशि के अलावा 10 लाख रुपए का लोन लेकर पक्का मकान बनवाया। 2020 में पति के निधन के बाद बेटों की मदद से पोस्टऑफिस के खाते खोलकर परिवार का संचालन हो रहा है।

हालांकि राजवीर ने मलखंभ खेल में पदक के साथ ही जो कुछ हासिल किया उससे गरीबी दूर हो गई। अब किसी चीज की कमी नहीं रही। राजवीर की बहन रानी ने कहा कि रक्षा बंधन का सबसे बड़ा तोहफा भाई ने अवार्ड जीतकर दिया है। बड़े भाई दीपक बोले- पिता ही नहीं मेरे सपने भी राजवीर पूरे कर रहा है।

राजवीर की उपलब्धियां

  • 1 गोल्ड मेडल टीम चैंपियनशिप- पहला वल्र्ड कप
  • 4 गोल्ड मेडल- स्कूल- ओपन नेशनल स्पर्धा
  • 8 सिल्वर मेडल- स्कूल ओपन नेशनल
  • 5 ब्रांज मेडल- स्कूल- ओपन नेशनल
  • विनर- टीवी शो इंटरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा-2013
  • रनर अप- इंडियाज गॉट टैलेंट 2010

एकलव्य अवार्ड जीतने वाले इंद्रजीत सेवानिवृत्त होमगार्ड सैनिक के पुत्र, बोले-चार साल से प्रयास कर रहे ये आखिरी चांस था

एकलव्य अवार्ड जीतने वाले इंद्रजीत पुराने शहर कार्तिक चौक में रहते हैं। पिता अंबाराम नागर सेवानिवृत्त होमगार्ड सैनिक हैं। वर्तमान में वे समाज की धर्मशाला में प्रबंधक हैं। इंद्रजीत ने कहा एकलव्य अवार्ड जीतना उनके परिवार के लिए बहुत बड़ी बात है। वे चार साल से इसके लिए प्रयास कर रहे थे। दो साल तो कोरोना में बीत गए। एकलव्य अवार्ड प्राप्त करने के लिए उनके पास ये अंतिम अवसर था। क्योंकि एकलव्य अवार्ड जूनियर वर्ग में ही दिया जाता है।

इंद्रजीत ने 8 साल की उम्र से अप्राजी व्यायामशाला में कोच मनीष पंवार के मार्गदर्शन में मलखंभ खेलना शुरू किया था। उन्हें मलखंभ खेलते हुए 12 साल बीत चुके हैं। खेलो इंडिया में चयन होने के बाद खेल आगे बढ़ा वरना बहुत मुश्किल होती। क्योंकि पारिवारिक जिम्मेदारियां बढ़ रही थी। बडी बहन पूनम नागर स्वीमिंग प्लेयर के साथ ही इंदौर में स्वीमिंग कोच भी है।

इंद्रजीत मलखंभ खेल के साथ ही ग्वालियर के एलएनआईपीई से बी पीएड कर रहे हैं। पिता अंबाराम जी ने कहा कि बेटे ने उनका सपना पूरा कर दिया। वे किसी जमाने में मलखंभ खेलते थे। होमगार्ड में नौकरी के दौरानकई बार महसूस हुआ कि खेल अवार्ड जीतना कितनी बड़ी उपलब्धि है इसीलिए बेटे को खेल पुरस्कार जीतते हुए देखकर बहुत खुशी मिली है।

इंद्रजीत की उपलब्धियां

  • 1 स्वर्ण- स्कूल – ओपन नेशनल
  • 6 रजत- स्कूल-ओपन नेशनल
  • 3 कांस्य स्कूल-ओपन नेशनल
  • 3 रजत खेलो इंडिया
  • 1 कांस्य- खेलो इंडिया
  • रनर अप- इंडियाज गॉट टैलेंट 2010
  • विनर- इंटरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा 2013

बेटे को जिम्रास्टिक खेल ने मान सम्मान दिया, नौकरी भी मिल गई और अब एकलव्य अवार्ड, मुझे ईश्वर ने सबकुछ दे दिया

जिम्रास्टिक में एकलव्य अवार्ड जीतने वाले दीपेश लश्करी के पिता दिलीप लश्करी बोले कि ईश्वर ने कल्पना से भी ज्यादा खुशी दी है। बेटे को जिम्रास्टिक खेल ने मान सम्मान दिया, नौकरी भी मिल गई और अब मध्यप्रदेश का खेल रत्न अवार्ड एकलव्य जीतना बड़ी उपलब्धि है, इस अवार्ड के साथ मुझे ईश्वर ने सबकुछ दे दिया।

दीपेश ने माधव कॉलेज के जिम्नास्टिक हॉल में 4 साल उम्र से जिम्रास्टिक खेलना शुरू किया और 19 साल की उम्र तक खेलो इंडिया का सफर करते हुए रेलवे में नौकरी पाई और अब मध्यप्रदेश राज्य का जूनियर वर्ग में मिलने वाला सर्वेाच्च खेल पुरस्कार एकलव्य प्राप्त किया।कोच ओपी शर्मा ने बताया उसके बचपन के कोच लखन शर्मा के अंडर में कलकत्ता में इंडियन रेलवे के कैंप में है। गत वर्ष खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के आधार पर उसका चयन साउथ ईस्टर्न रेलवे में अकाउंट क्लर्क के पद पर हुआ है। वो इस कैंप में मध्यप्रदेश से एकमात्र खिलाड़ी है।

उपलब्धियां

  • 2 गोल्ड मेडल- जम्मू नेशनल
  • 1 ब्रांज मेडल- जम्मू नेशनल
  • 1 गोल्ड- खेलो इंडिया
  • 3 सिल्वर- खेलो इंडिया
  • 2 ब्रांज- खेलो इंडिया
  • वलर््ड स्कूल गेम्स फ्रांस में चयन
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