टमाटर के बाद अब एक माह में 40 प्रतिशत तक बढ़े दाम
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन दाम अधिक होने के कारण आम लोगों की थाली से ‘टमाटर’ तो दूर हो गया है। कई लोगों ने टमाटर खाना छोड़ दिया है। अब मसालों के दामों ने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। मसालों के दामों दामों में तेजी बनी हुई है।
पहले जीरे ने रफ्तार पकड़ी। अब लौंग, काली मिर्च, इलायची, धनिया, डोंडा इलायची, काली काली मिर्च सहित अन्य सामग्रियां महंगी हो गई हैं। इसका असर घर-घर में दिखने लगा है। मसालों में तेजी आने से हर महीने किराने का बजट बढ़ गया है। किराना व्यापरियों के अनुसार एक माह के दौरान मसालों दामों में 30 से 40 प्रतिशत की तेजी आई है। हर वर्ष फसल आने पर मार्च, अप्रैल, मई में आवक अच्छी रहती थी।
इस बार आवक अच्छी होने पर भी मसालों के दाम कम नहीं हुए। जीरे में होली के बाद तेजी आनी शुरू हुई थी। 240 से 280 रुपये मिलने वाला उच्च क्लालिटी का जीरा 850-1000 रुपये किलो पहुंच गया। सबसे अधिक तीन गुना जीरे की दामों में बढ़ोतरी हुई है। वहीं, लौंक, इलायची, दालचीनी, काली मिर्च, लाल मिर्च के दामों में भी उछाल आया है।
इस वजह से दामों में आई तेजी
शहर में मसाले व गर्म मसाले केरल के कोचीन (कोच्चि) से आते हैं, यहां पर मसालों की सबसे बड़ी मंडी हैं। तेजी के पीछे शहर के थोक व फुटकर मसालों के व्यवसायी यह कारण बताते हैं कि फसल के समय केरल के बड़े व्यवसायियों की ओर से भंडारण करने से तेजी आई है। वहीं मसालों की फसल खेतों में लगी होने के दौरान वर्षा होना भी है। इसके अलावा मार्च, अप्रैल में घर-घर लोगों द्वारा लाल मिर्च, हल्दी, धनिया, काली मिर्च सहित अन्य मसालों का भंडारण करने से भी कुछ हद तक तेजी देखी जा रही है।
ऐसे घर-घर पहुंचते हैं मसाले
अधिकांश मसाले केरल से आते हैं। शहर के थोक मसाला व्यवसायी आर्डर देकर मंगवाते हैं। इसके बाद थोक की दुकानों से उज्जैन सहित आसपास के इलाकों के फुटकर किराना दुकानदार खड़े मसालों को खरीद कर ले जाते हैं। फुटकर दुकानों से लोग मसाले खरीदते हैं।
वहीं पिसे हुए मसाले पैक करके अलग-अलग कंपनियां फुटकर किराना तक पहुंचाती हैं, जिन्हें लोग खरीदते हैं। व्यापारिक के जानकारों के अनुसार उत्पादों ने काम की सप्लाई रोक रखी है। वहीं निर्यात जारी है। ऐसे में मसलों के भाव ऊंचे बने हुए है। कीमत पर नियंत्रण के लिए निर्यात को रोककर आयात को बढ़ाना होगा।