इस तरह करें निम्बू की खेती, होगा अधिक मुनाफा 

By AV NEWS

विश्व में नींबू का सबसे अधिक उत्पादन भारत में ही होता है। यहां विश्व के कुल नींबू उत्पादन का 16 प्रतिशत पैदा किया जाता है। भारत में हर साल 3.17 लाख हेक्‍टेयर में नींबू की खेती होती है। जानिए नींबू की उन्नत किस्मों के बारे में। नीबू में ए, बी और सी विटामिनों की भरपूर मात्रा है-विटामिन ए अगर एक भाग है, तो विटामिन बी दो भाग और विटामिन सी तीन भाग। इसमें -पोटेशियम, लोहा, सोडियम, मैगनेशियम, तांबा, फास्फोरस और क्लोरीन तत्त्व तो हैं ही, प्रोटीन, वसा और कार्बोज भी पर्याप्त मात्रा में हैं। इसकी व्यावसायिक खेती करके अच्छी कमाई की जा सकती है। नीबू कम उपजाऊ वाली मिट्टी में कहीं भी उगाया जा सकता है। नीबू की खेती में शुरुआत में जो लागत लगती है, वही लगती है, उसके बाद तो इसकी फसल 10-15 साल तक साल में दो या तीन बार तक होती है। इसलिये इसकी खेती फायदेमंद होती है। आइये जानते हैं नींबू की खेती के बारे में |

नींबू की उन्नत किस्में

नींबू की अधिक पैदावार देने वाली उन्नत किस्मों में कुछ इस प्रकार हैं:-

  1. कागजी नींबू : इस नीबू में 52 प्रतिशत रस होता है।
  2. प्रमालिनी : इस किस्म के नींबू के फलों में 57 प्रतिशत रस होता है।
  3. विक्रम या पंजाबी बारहमासी : इस किस्म की खास बात है कि इसके फल गुच्छे के रूप में आते हैं और प्रत्येक गुच्छे में 10-10 नींबू तक आते हैं।
  4. चक्रधर: बीज रहित नींबू में रस की मात्रा सबसे अधिक 60 से 66 प्रतिशत तक होती है।
  5. पी के एम-1: इस किस्म के नींबू में रस की मात्रा तो 52 प्रतिशत ही होती है लेकिन फल का आकार बहुत बड़ा होता है।
  6. साई सरबती : पतले छिल्के और बीज रहित किस्म के नींबू की फसल पहाड़ी इलाकों के लिए उपयुक्त मानी जाती है। यह नींबू असम के पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक होता है। इसका उत्पादन अन्य किस्मों की फसलों से दो गुना होता है।

मिट्टी एवं जलवायु

नींबू के पौधे के लिए बलुई, दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी गयी है। इसके अलावा लाल लेटराईट मिट्टी में भी नीबू उगाया जा सकता है। नीबू की खेती अम्लीय या क्षारीय मिट्टी में भी की जा सकती है। इसे पहाड़ी क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है। नीबू के पौधे को सर्दी और पाला से बचाने की जरूरत होती है।  4 से 9 पीएच मान वाली मृदा में नीबू की खेती की जा सकती है।

नींबू के पौधे के लिए अर्ध शुष्क जलवायु सबसे अच्छी होती है। जहां पर सर्दियां अधिक पड़तीं हैं या पाला पड़ता है, वहां पर नीबू की खेती में पैदावार कम होती है, क्यों अधिक सर्दी पड़ने से नीबू के पौधे का विकास रुक जाता है।  इसलिये भारत में नीबू की सबसे अधिक खेती उष्ण जलवायु वाले दक्षिण भारत के प्रदेशों में होती है। उत्तर भारत के पंजाब,हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार,राजस्थान में नीबू की खेती की जाती है लेकिन जिस वर्ष सर्दियों में अधिक सर्दी पड़ती है, उस सीजन में नीबू की पैदावार बहुत कम होती है।

ज़मीन की तैयारी

खेत की तैयारी के लिए, खेत की अच्छी तरह से जोताई, क्रॉस जोताई और अच्छे से समतल करना चाहिए। पहाड़ी क्षेत्रों में ढलानों की बजाय मेंड़ पर रोपण किया जाता है। ऐसे क्षेत्रों में उच्च घनत्व रोपण भी संभव है।

बिजाई

बिजाई का समय
रोपाई के लिए जुलाई-अगस्त का मौसम सबसे अच्छा है।

अंतर फसली
लोबिया, सब्जियों, फ्रैंच बीन्स के साथ अंतर फसली शुरूआती दो से तीन वर्ष में किया जा सकता है।

फासला
पौधों के बीच 4.5×4.5 सैं.मी. फासला रखना चाहिए। नए पौधों की रोपाई के लिए गड्ढों का आकार 60x60x60 सैं.मी. होना चाहिए। गड्ढों में रोपाई के समय गली हुई रूड़ी की खाद 10 किलो और सिंगल सुपर फासफेट 500 ग्राम डालें।

बीज की गहराई
प्रजनन
नए पौधों की रोपाई के लिए गड्ढों का आकार 60x60x60 सैं.मी. होना चाहिए।

बीज की मात्रा

208 पौधे प्रति एकड़ की घनत्व बना कर रखनी चाहिए।

कटाई और छंटाई

पौधे के तने की अच्छी वृद्धि के लिए, ज़मीनी स्तर से 50-60 सैं.मी. नज़दीक की शाखाओं को निकाल देना चाहिए। पौधे का केंद्र खुला होना चाहिए। विकास की शुरूआती अवस्था में आस पास की टहनियों को निकाल देना चाहिए।

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