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आधा ‘अमृत’ छलका, केवल मिले 30 करोड़ रुपए

11 साल बाद पाइपलाइन से जुड़ेगी कॉलोनियां, पीएचई पर बढ़ेगा टेंशन, पानी कहां से लाएंगे

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आधा ‘अमृत’ छलका, केवल मिले 30 करोड़ रुपए

200 करोड़ की योजना से केवल 30 करोड़ का हो रहा काम

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अक्षरविश्व न्यूज . पेयजल व्यवस्था के लिए केंद्र सरकार की अमृत योजना 2 के अंतर्गत सैद्धांतिक रूप से मंजूर 200 करोड़ रुपयों में से केवल 30 करोड़ रुपयों से पाइपलाइन का भूमिपूजन हो गया। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि योजना का आधा अमृत भी नहीं मिल सका। यानी पूरा पैसा मिल नहीं सका है। केवल तीन वार्डों की कॉलोनियों को ही इसका फायदा मिल सकेगा। पीएचई पर पानी का भार भी बढ़ेगा, लेकिन जल वितरण व्यवस्था में सुधार का बरसों से पेंडिंग काम वैसा ही रहेगा।

दरअसल, रविवार को अमृत योजना 2 के तहत मंजूर राशि में से 30.64 करोड़ रुपयों से 11 साल बाद मेन राइजिंग पाइपलाइन से वार्ड 48 में कॉलोनियों की डिस्ट्रीब्यूशन लाइन से जोडऩे के काम का भूमिपूजन नानाखेड़ा स्टेडियम के पास आयोजित समारोह में हुआ। कार्यक्रम में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, महापौर मुकेश टटवाल, निगम अध्यक्ष कलावती यादव, जलकार्य समिति प्रभारी प्रकाश शर्मा, निगमायुक्त रौशनकुमार सिंह की उपस्थिति में किया गया। मेन राइजिंग लाइन 2012 में ही डाल दी गई थी, लेकिन इंदौर रोड सहित कई कालोनियों की लाइन से जोड़ा नहीं जा सका था।

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12.30 विधायक जैन रहेंगे दूर…!

भूमिपूजन समारोह में उज्जैन उत्तर के विधायक पारस जैन को भी बुलाया गया है, लेकिन उनके समारोह में उपस्थित रहने की संभावना कम है। समारोह स्थल पर 12 बजे तक मंत्री उपस्थित नहीं हो सके थे। जबकि महापौर और निगम अध्यक्ष कलावती यादव पहुंच चुकी थीं।

तापी पर मेहरबानी क्यों?

तापी कंपनी ने शहर में पाइप लाइन डालने का काम किया था, लेकिन कई जगह उसका काम अधूरा है। इसके बाद भी उस पर मेहरबानी बनी हुई है। कंपनी काम बंद कर चली गई है और उस पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पा रही। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि उसे नोटिस जारी किया जा चुका है। पीएचई के ईई एनके भास्कर ने बताया तापी को नोटिस जारी किए जा चुके हैं। पहले उसे ब्लैकलिस्टेड करने की तैयारी चल रही थी। तापी की लाइन जुडऩे से भी शहर को फायदा हो सकता है।

बाकी रुपए क्यों नहीं आ सके?

अमृत योजना में उज्जैन के लिए 200 करोड़ रुपए की योजना मंजूर की गई है। इसमें से केवल 30. 64 करोड़ रुपए ही शासन को मिल सके हैं। 160 करोड़ रुपए अभी और मिलना बाकी है। इसके लिए महापौर ने प्रयास किए हैं। उन्होंने सीएम को पत्र भी भेजा है।

सवाल यह खड़ा हुआ है कि पूरी राशि की प्रशासकीय स्वीकृति करा की जाती तो पूरे शहर को फायदा मिल जाता। अभी शहर की कई ऐसी कॉलोनियां हैं, जहां मैन राइजिंग लाइन तो है लेकिन डिस्ट्रीब्यूशन लाइन नहीं होने से लोग पेयजल से वंचित हैं। इसे उज्जैन उत्तर और दक्षिण की राजनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है, क्योंकि अभी केवल वार्ड 48, 40 और 54 की कॉलोनियों में ही इस योजना का लाभ मिल सकेगा।

इसलिए पीएचई की बढ़ी परेशानी

फिल्टर प्लांट काफी पुराना है। इस कारण यह कई बार खराब हो जाता है।

लाइनें भी पुराने जमाने की हैं। इस कारण इनको भी नए सिरे से डालना है।

गंभीर में हर साल गर्मी के दिनों में पेयजल संकट बढ़ जाता है।

अब नई कॉलोनियों में भी पेयजल सप्लाई से पानी की खपत बढ़ेगी, लेकिन गंभीर में पानी भंडारण की क्षमता वही है।

सिंहस्थ 2028 के लिए भी अभी पेयजल व्यवस्था की तैयारी नहीं।

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