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4.50 करोड़ रुपए का कचरा लिफ्टिंग सेंटर बना सफेद हाथी

जमीन को लेकर कोर्ट केस के चक्कर में नहीं हो पा रहा चालू

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4.50 करोड़ रुपए का कचरा लिफ्टिंग सेंटर बना सफेद हाथी

उज्जैन स्मार्ट सिटी ने खरीद ली महंगी मशीनें और तीन डंपर

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अक्षरविश्व न्यूज . उज्जैन:सरकारी काम कैसे होते हैं, इसका एक बड़ा और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। शहर की सफाई के लिए 4.50 करोड़ की लागत से कचरा लिफ्टिंग सेंटर तैयार है, तीन बड़े हाइवा डंपर (कैप्सूल) भी खरीद लिए गए हैं, लेकिन प्लांट चालू कर नहीं सकते, क्योंकि जमीन विवाद को लेकर कोर्ट केस चल रहा। नतीजा यह कि प्लांट अभी सफेद हाथी साबित हो रहा।

एमआर फाइव रोड पर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत स्वच्छता अभियान में यह प्लांट स्थापित किया गया है। अभी प्लांट के पास शहर का सारा कचरा इससे क्षेत्र में पहुंचाया जाता है। इससे कचरे का ढेर इक_ा हो जाता है। प्लांट चालू होने से कचरे का ढेर लगना बंद हो जाएगा। मशीन से कचरे को प्रेस कर सीधे डंपरों में भर दिया जाएगा और गोंदिया स्टेशन भेज दिया जाएगा।

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स्मार्ट सिटी योजना के प्रोजेक्ट के तहत प्लांट तैयार हो चुका है, लेकिन नगर निगम कर्मचारी गृह निर्माण संस्था द्वारा जमीन के मालिकाना हक को लेकर लगाए गए कोर्ट केस के कारण प्लांट चालू नहीं हो पा रहा। मंगलवार को महापौर मुकेश टटवाल, एमआईसी सदस्य सत्यनारायण चौहान, शिवेंद्र तिवारी, अपर आयुक्त आदित्य नागर, विजय गोयल आदि ने बंद प्लांट का निरीक्षण किया और इसे चालू कराने पर मंथन किया।

महंगे डंपरों और मशीनों पर लग न जाए जंग

महापौर और निगम अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान यह चिंता भी उभरी कि अगर प्लांट जल्द चालू नहीं किया गया तो मशीनों और डंपरों पर जंग लग सकती है। प्लांट चालू होने से पहले ही इनको क्यों खरीदा गया।

नेताओं ने खरीद ली जमीन

जिस जमीन पर प्लांट स्थापित किया गया है, वह निगम कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी संस्था की बताई जा रही है। सोसायटी ने जमीन को लेकर केस कर रखा है। सूत्रों के अनुसार इसमें से अधिकतर जमीन भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने खरीद ली है। इस कारण निगम पर प्लांट चालू नहीं करने का दबाव भी अधिक है।

अब ये तीन बड़े सवाल….

कोर्ट केस की स्थिति जाने बिना स्मार्ट सिटी ने प्रोजेक्ट कैसे बनाया?

नगर निगम से समन्वय कर प्लांट और कैसे खरीद लिए?

जिम्मेदार अफसरों ने भी कानूनी मुद्दे पर ध्यान क्यों नहीं दिया, क्या उन्हे अंधेरे में रखा गया?

जन हित में चालू कराने के प्रयास

यह सही है कि कचरा लिफ्टिंग प्लांट तैयार हो गया है, लेकिन जमीन विवाद के कारण चालू नहीं हो पा रहा। इसका निरीक्षण कर जनहित में चालू करने का प्रयास करेंगे ताकि इसका उपयोग भी हो सके। इस प्लांट पर साढ़े चार करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।-मुकेश टटवाल,महापौर

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