किसान चुकंदर की खेती से काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं। चुकंदर एक बहुत ही लाभकारी फल होता है। इसके सेवन से शरीर में खून बढ़ता है। यही कारण है कि एनिमिक लोगों को डाक्टर चुकंदर का सेवन करने की सलाह देते हैं। इसकी खेती में बेहतर पैदावार प्राप्त करने के लिए इसकी उन्नत किस्मों का चयन किया जाना बेहद जरूरी है।
1. अर्ली वंडर- चुकंदर की इस किस्म की जड़ें चिपटी होने के साथ ही चिकनी और लाल सतह वाली हाती हैं। यह अंदर से लाल होती है और इसकी पत्तियां हरे रंग की होती हैं। यह किस्म 55 से 60 दिन की अवधि में पककर तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार सामान्य किस्म से अधिक मिलती है।
2. शाइन रेडबॉल- चुकंदर की शाइन रेडबॉल किस्म का कंद गोल व गहरे लाल रंग का होता है। इस किस्म के पौधे की ऊंचाई 30 से 32 सेंटीमीटर तक होती है। यह किस्म रबी, जायद और खरीफ तीनों सीजन में उगाई जा सकती है। इस किस्म के कंद का वजन 150 से 180 ग्राम तक होता है। इस किस्म को पककर तैयार होने में 50 से 60 दिन का समय लगता है।
3. अशोका-रेडमेन- अशोका-रेडमेन किस्म की पत्तियां चौड़ी होती है और इसका मध्य शिरा गुलाबी रंग का होता है। इसके कंद चिकने, गोल, तिरछे तथा लाल रंग के होते हैं। इसके कंद का वजन 150 से 180 ग्राम तक होता है। इस किस्म में रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है। इस किस्म को जायद, रबी और खरीफ तीनों सीजन में उगाया जा सकता है। इसकी फसल 65 से लेकर 70 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
4. क्रिमसन ग्लोब- चुकंदर की क्रिमसन ग्लोब किस्म मध्यम आकार की होती हैं। इसकी जड़ें मध्यम और छिलका लाल रंग का होता है। इसके पत्ते चमकदार हरे रंग के होते हैं। इस किस्म की औसत पैदावार 80 क्विंटल प्रति एकड़ मिलती है।
5. मिश्र की क्रास्बी- चुकंदर की यह किस्म चिपटी जड़ों के साथ चिकनी सतह वाली होती है। यह किस्म अंदर से गहरे परपल लाल रंग की होती हैं। इस किस्म की बुवाई से करीब 50 से 60 दिन की अवधि में पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
चुकंदर की उन्नत किस्मों की बुवाई का तरीका
चुकंदर की बुवाई दो विधियों से की जाती है। इसमें एक छिटकवां विधि है और दूसरी मेड विधि होती है। बीजों की बुवाई करने से पहले क्यारियां बनाई जाती है और उसमें बीज छिटक दिए जाते हैं। इससे खाद और मिट्टी के बीच इनका अंकुरण हो जाता है। इस विधि में करीब 4 किलोग्राम प्रति एकड़ बीज की आवश्यकता होती है।
इस विधि में बुवाई के लिए 10 इंच की दूरी ऊंची मेड या बेड बनाया जाता है। अब इस पर तीन-तीन इंच की दूरी रखकर मिट्टी में बीजों को लगाया जाता है। इस विधि में अधिक बीजों की जरूरत नहीं होती है। इस विधि से चुकंदर की बुवाई करने पर सिंचाई करने और निराई गुड़ाई का काम आसानी से हो जाता है।