तीन स्टेप की प्रतिमा, शीर्ष पर शिवलिंग को जल अर्पण करें तो

खुदाई में मिली प्राचीन प्रतिमा

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एक ही शिला पर आकर्षक शिल्प कला

3 देवताओं का होता है अभिषेक

परमारकालीन दुर्लभ प्रतिमा जिला चिकित्सालय जेल वार्ड के बाहर लावारिस हालत में पड़ी…

मुकेश पांचाल/कैलाश शर्मा उज्जैन। जिला चिकित्सालय के पीछे बहादुरगंज वाली साइड में पिछले दो माह से अधिकसमय से नई बिल्डिंग निर्माण के लिये करीब 15 फीट से अधिक गहरी खुदाई का काम चल रहा है। पिछले दिनों यहीं पर मजदूरों को खुदाई के दौरान 10 फीट की गहराई में एक प्रतिमा मिली जिसकी बनावट और खासियत के कारण आकर्षण का केन्द्र बन गई, लेकिन विशेषज्ञों की अनदेखी के चलते यह प्रतिमा पीपल के पेड के आसपास बने चबूतरे पर लावारिस हालत में पड़ी है।

काले रंग के एक पत्थर पर बनी प्रतिमा की खासियत यह है कि यह तीन स्टेप में बनी है। शीर्ष पर एक शिवलिंग है। दूसरी स्टेप पर शिवििलंग और नंदी के अलावा डिजाइन बनी है व तल में तीन ओर ब्रम्हाजी, विष्णुजी और शंकरजी का अंडरग्राउण्ड वाटर टनल से जलाभिषेक होता है। पुरातत्व महत्व की प्रतिमा और इसकी खासियत को देखकर अक्षर विश्व की टीम ने तत्काल पुरातत्व विशेषज्ञों को इसकी फोटो और वीडियो भेजकर जानकारी प्राप्त की जो और रोचक व चौंकाने वाली है।

  लाखों में एक है यह अद्भुत प्रतिमा

पुरातत्व विशेषज्ञ ने प्रतिमा की फोटो और वीडियो देखने के बाद प्रतिनिधि को बताया कि यह प्रतिमा लाखों में एक है। एक ही पत्थर पर तीन स्टेप में बनी प्रतिमा परमारकालीन होकर 12 वीं-13 वीं शताब्दी की प्रतीत होती है। इस प्रकार की प्रतिमाएं उस कालखंड में धनवान लोग घरों में स्थापित कर पूजन करते थे। इन्हें मंदिरों में स्थापित नहीं किया जाता। खास बात यह कि प्रतिमा के तल में स्थित भगवान ब्रम्हा, विष्णु और महेश का एक ही समय में शीर्ष पर स्थित शिवलिंग के माध्यम से जलाभिषेक होता है।
शुभम केवलिया, पुरातत्व विशेषज्ञ एवं इतिहास असिस्टेंट प्रोफेसर दिल्ली यूनिवर्सिटी

ऐसे मिली थी प्रतिमा

जिला अस्पताल के पिछले हिस्से में मजदूरों के साथ जेबीसी मशीन की मदद से खुदाई का काम चालू हुआ था। इस दौरान जेसीबी के पंजे में विशाल पत्थर फंसा। मशीन आपरेटर को शंका हुई तो उसने मशीन बंद कर मजदूरों से खुदाई शुरू कराई तो शिवलिंग दिखाई दिया। मजदूरों ने सतर्कता बरतते हुए पत्थर के चारों ओर से मिट्टी हटाना शुरू की और पूरा पत्थर बाहर निकालकर उसके आसपास की मिट्टी को हटाया तो अद्भुत व अकल्पनीय प्रतिमा प्रकट हुई जिसे गहरे गड्ढे से निकालकर जेसीबी की मदद से जेल वार्ड के बाहर पीपल के वृक्ष के आसपास बने ओटले पर रख दिया गया है।

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