बच्चे को ये चीजें सिखाने वाली मां की होती है तारीफ

By AV NEWS

बेटे और बेटी की परवरिश करने के तरीके में बहुत फर्क होता है। जो चीजें लड़कियों को सिखाई जाती हैं, वो जरूरी नहीं कि लड़कों को भी सिखाई जाएं। पैरेंट्स को अपने बेटों की परवरिश पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है ताकि वो बड़े होकर महिलाओं का सम्मान करें और उन्हें अपने बराबर समझ सकें। जब आप बेटे की अच्छे से परवरिश करते हैं, तो इससे उसे मजबूत रिश्ने बनाने में मदद मिलती है और उसकी लाइफ में शांति आती है।

पहले खुद उदाहरण पेश करें
पैरेंट्स अपने बच्चों के सबसे पहले टीचर और सबसे पॉवरफुल रोल मॉडल होते हैं। आप अपने बच्?चे में जो क्वालिटी डालना चाहते हैं, पहले खुद अपने अंदर लेकर आएं। आप बच्चे के सामने दयालुता और दूसरों से बात करते समय आदर और सम्मान दिखाएं। दरवाजा खोलना हो या प्यार से बात करना हो, आपको देखकर आपका बच्चा भी ये सब सीख जाएगा।

दूसरों का सम्मान करना है

आप बच्चे के अंदर दूसरों का सम्मान करने की भावना विकसित करें। उसे बताए कि किसी के साथ भी उम्र, जेंडर या उसके बैकग्राउंड के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए। उसे सहानुभूति सिखाएं और दूसरों के पहलू को समझने की कोशिश करने की सीख दें। बच्चे को थैंक्यू और प्लीज जैसे शब्द बोलने सिखाएं। उसे सिखाएं कि उसे हर किसी के साथ सहानुभूति और सम्मान के साथ पेश आना है। आप अलग-अलग सामाजिक स्थितियों में बच्चे को अच्छी आदतों के महत्व के बारे में बताएं। उसे समय का पाबंद बनाएं, आई कॉन्टैक्ट बनाने के लिए कहें और दूसरों से मिलने पर हाथ मिलाने के लिए कहें। बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होगा, उसे इन चीजों का महत्व भी समझ आएगा और इसका फायदा भी मिलेगा।

भावनात्मक मजबूत बनाएं

आप अपने बच्चे को भावनाओं को सही तरह से समझने और उन्हें मैनेज करने की सीख दें। उसे बताएं कि दूसरों से सहानुभूति रखना आपको ताकत देता है और यह आपकी कमजोरी नहीं है। आप बच्चे को अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करने की आजादी दें और उसे बताएं कि भावनात्मक स्तर पर उसे कब और कैसी प्रतिक्रिया देनी चाहिए।

जिम्मेदार बनाएं

 आप अपने बच्चे को उसकी उम्र के हिसाब से कुछ काम देकर उसे जिम्मेदार बनाने की कोशिश करें। बच्चे को अपनी चीजों को संभालकर रखने, अपने बिस्?तर को ठीक करने और घर के कामों में योगदान करने की सीख दें। बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होगा, उसकी जिम्मेदारियां बढ़ती जाएंगी। बच्चों में कम उम्र से ही जिम्मेदार बनने की भावना डालना बहुत जरूरी है।

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