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नगरीय निकायों, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की लापरवाही से नदी हो गई बदहाल..

शिप्रा की स्थिति पर सीएजी की चौंकाने वाली रिपोर्ट, योजनाओं पर सवाल….

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शैलेष व्यास उज्जैन। शिप्रा नदी की स्थिति पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने चौंकाने वाली रिपोर्ट प्रस्तुत की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि नगरीय निकायों,प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की लापरवाही से शिप्रा नदी प्रदूषित और बदहाल हुई है। विभिन्न विभागों ने अनेक स्तर पर जिम्मेदारी का पालन नहीं किया है। जिम्मेदार विभागों ने अपनी वाहवाही के लिए सेवा स्तर के मानदंड लक्ष्यों को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया।

 

शिप्रा नदी के क्षरण को लेकर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट विधानसभा में प्रस्तुत की गई है। इसमें कहा गया कि 2001 से शिप्रा नदी में तेजी से गिरावट आई है। 2010-11 के बाद मानसून सीजन के पहले और बाद में शिप्रा नदी लगभग सूखने लगी। प्रदूषण के कारण क्षिप्रा और सहायक नदियों की जल गुणवत्ता और भूजल घटने से प्रवाह प्रभावित हुआ। उज्जैन के साथ ही अन्य निकायों ने नगर स्वच्छता योजना तैयार नहीं की। उज्जैन,देवास और इंदौर ने पूरे भौगोलिक क्षेत्र के लिए सीवरेज नेटवर्क की योजना नहीं बनाई। रिपोर्ट में बताया गया कि उज्जैन में 1990 में क्षिप्रा का प्रवाह तुलनात्मक रूप से बेहतर था। प्रदूषण के साथ ही सहायक नदियों की जल गुणवत्ता और नदी प्रवाह क्षेत्र में भूजल घटने से शिप्रा का प्रवाह प्रभावित हुआ है। औद्योगिक कचरे का उपचार अपर्याप्त रहा। वर्षा जल के प्रवाह का उपयोग क्षेत्र में जल वृद्धि करने में नहीं किया गया। अल्प प्रवाह की अवधि में क्षिप्रा नदी में पानी उपलब्ध कराने का प्रावधान तो किया गया था, लेकिन लागू नहीं किया गया।

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कान्ह, शिप्रा नदी के फ्लड प्लेन जोन में अतिक्रमण

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच में यह भी देखा कि उद्योग या तो ईटीपी के बिना चल रहे थे। स्थानीय निकायों ने फ्लड प्लेन जोन में विनियमन के संबंध में दिशानिर्देश जारी नहीं किए थे। कान्ह और शिप्रा नदी के फ्लड प्लेन जोन में व्यापाक अतिक्रमण है। नदी तट विकास कार्य सही तरीके से नहीं किए गए। पौधारोपण की योजना अप्रभावी पाई गई।

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उद्योगों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं

मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के देवास, इंदौर और उज्जैन क्षेत्रीय कार्यालयों ने वैध स्थापना सहमति और संचालन सहमति के साथ उद्योगों की स्थापना और संचालन, नवीनीकरण और स्वीकृति संबंधी सहमति 46 से 615 दिन के विलंब से दी। बिना सहमति के उद्योग चल रहे थे, क्योंकि उनकी संचालन सहमति की वैधता समाप्त हो गई थी और ऐसे उद्योगों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।

सुधार के लिए रिपोर्ट में यह अनुशंसा

  • नगर स्वच्छता योजना तैयार करें।
  •  सीवरेज नेटवर्क विकसित करें और हर घर में कनेक्शन प्रदान करें।
  • अतिक्रमणों को हटाया जाए।
  • शिप्रा नदी के घाटों की सफाई का कड़ाई से क्रियान्वयन किया जाए।
  • नदी के किनारे पौधारोपण के लिए एक प्रभावित तंत्र विकसित करने के साथ भूजल निकलने से पहले अनापत्ति लेने के लिए प्रोत्साहित करें।

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