प्रमुख चौराहों पर, बिल्डिंग के बाहर, पार्किंग की जगह और रोड पर खुल रहे सांची पार्लर दे रहे शहरवासियों को नई सीख
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:अगर आपको किसी की प्रॉपर्टी या बिल्डिंग के बाहर खुली भूमि पर कब्जा करना हो तो नगर निगम से अनुमति लेकर सांची मिल्क पार्लर खोल लीजिए, फिर कोई कब्जा नहीं हटा सकता। दरअसल, शहर में पार्लर तो खुल ही रहे, अब तीन बत्ती चौराहे पर एक बिल्डिंग के मेन गेट पर सांची मिल्क पार्लर खोल दिया गया। इस बिल्डिंग में आईसीआईसीआई बैंक, डॉ. पारस श्रीमाल की क्लिनिक और अन्य ऑफिस संचालित होते हैं। मेन रोड पर खुले में अतिक्रमण होने के बावजूद निगम प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा हुआ है।
सरकारी जमीन पर किस तरह कब्जा किया जा सकता है, यह भी इसका उदाहरण है। तीन बत्ती चौराहे से माधव क्लब की ओर जाने वाले रोड पर संस्कृति प्लाजा है। इसी में बैंक, डॉक्टर की क्लिनिक और अन्य ऑफिस संचालित होते हैं। पहले से ही संकरी रोड पर सड़क और प्लाजा के बीच में खुली जगह पर ही सांची पार्लर खोल दिया गया जिससे यहां हर समय ट्रैफिक जाम के हालात बने हुए हैं। यहां तक की पार्लर का सामना भी दिन भर सड़क पर पड़ा रहता है। देवासगेट और इंदिरा गांधी प्रतिमा के पास भी मिल्क पार्लर भीड़ वाले क्षेत्र में स्थापित कर दिए गए हैं। इससे शहर में आने वाले समय में ट्रैफिक मैनेजमेंट को लेकर कई समस्याएं खड़ी हो सकती हैं।
कैसे हो रहा खेल… पुरानी अनुमति, नया अनुबंध
सांची पार्लर खोलने के मामले पिछले कुछ महीनो में अचानक से बढ़ गए हैं। देवासगेट के अलावा इंदिरा गांधी प्रतिमा के पास पुराने भतवाल टॉकीज चौराहे पर लगे पार्लर को लेकर भी एमआईसी सदस्यों ने विरोध किया था। अन्य स्थानों पर भी पार्लर खोले जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार पुरानी अनुमति के आधार पर नए अनुबंध कर पार्लर खोले जा रहे हैं। एमआईसी में यातायात समिति के प्रभारी कैलाश प्रजापत ने बताया पुराने समय की अनुमति के आधार पर पार्लर खोलने की परमिशन देना उचित नहीं है। पहले की परिस्थिति अलग थी और अब अलग है। शहर में ट्रैफिक बिगड़ रहा है। इस कारण पार्षद से सहमति लेने के साथ यातायात विभाग की अनुमति भी लेकर पार्लर खोलने की अनुमति दी जाना चाहिए।
पार्लर के नाम पर धांधली कैसे रोके सरकार
सांची पार्लर बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से खोलने का निर्णय हुआ था, लेकिन इस पर बाहुबलियों और रसूखदारों का कब्जा होता जा रहा है। अगर सभी पार्लरों की जांच की जाए तो कई चौंकाने वाले मामले सामने आ सकते हैं। इन धांधलियों को आसानी से रोका जा सकता है, बशर्ते निगम प्रशासन कार्रवाई करें। साथ ही निगम यह लिस्ट भी सार्वजनिक करें कि पार्लर किस किस व्यक्ति के नाम दिए गए हैं। अगर एक से ज्यादा पार्लर एक ही व्यक्ति के पास हो तो बाकी के पार्लर ठेके निरस्त करना चाहिए। लेकिन निगम ने अब तक यह सूची ही जारी नहीं की कि किसके पास कितने पार्लर हैं। जानकारों का कहना है कि रेलवे स्टेशन की तरह शहर के सभी सांची पार्लर पर ठेकेदार का नाम आदि जानकारी चस्पा करना अनिवार्य करना चाहिए। इससे एक से ज्यादा पार्लर एक व्यक्ति रखेगा तो तुरंत पता चल जाएगा।
दुग्ध संघ और निगम अधिकारियों की मिलीभगत
सार्वजनिक स्थलों पर सांची मिल्क पार्लर खुलने के पीछे नगर निगम के साथ दुग्ध संघ की मिलीभगत की भूमिका से कोई इंकार नहीं कर रहा। दोनों की सहमति से ही मिल्क पार्लर खुलता है तो नियमों का पालन क्यों नहीं हो पाता? यह सवाल आम लोगों के लिए भी समझ से परे हैं। मिल्क पार्लर में केवल मिल्क प्रोडक्ट ही बेचने की अनुमति है और किराना सामग्री से लेकर अन्य सामग्रियां भी बेची जा रही तो दुग्ध संघ के अधिकारी कार्रवाई क्यों नहीं करते? नगर निगम या जिला प्रशासन को पत्र भी क्यों नहीं लिख पाते?
कार्रवाई के लिए कहा है
अवैध रूप से सांची पार्लर खोलना उचित नहीं है। इसके लिए निगम आयुक्त को कार्रवाई के लिए निर्देश दिए हैं। एमआईसी की बैठक में सदस्यों ने भी विरोध किया है।-मुकेश टटवाल, महापौर
नियम से खोले जाएं पार्लर
सांची पार्लर मिल्क प्रोडक्ट के लिए जरूरी है, इसलिए पार्लर स्थापित करने का विरोध नहीं, लेकिन ये नियम से खोले जाएं। -शिवेंद्र तिवारी, प्रभारी लोक निर्माण समिति, नगर निगम
और इधर सांची पार्लर के सामने निगम प्रशासन बेबस एमआईसी के विरोध के बाद भी देवासगेट पर यथावत पार्लर
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन : देवासगेट पर अन्नपूर्णा माता मंदिर के पास खुले सांची पार्लर के विरोध में एमआईसी के तीखे विरोध के बाद भी निगम प्रशासन बेबस है। सदस्यों ने निगम आयुक्त आशीष पाठक की मौजूदगी में कहा था कि यह पार्लर अवैध है। महापौर मुकेश टटवाल ने भी आपत्ति दर्ज कराई लेकिन कार्रवाई होना तो दूर, पार्लर के दस्तावेज तक एमआईसी के सामने पेश नहीं किए जा सके।
सांची पार्लर को लेकर शहर में नियमों को ताक पर रखा जा रहा है। रसूखदारों के लिए मनपसंद जगह सांची पार्लर खुलवाए जा रहे और आम लोगों के लिए नियम सामने रखे जा रहे। इसका बड़ा उदाहरण एमआईसी की बैठक में निगम अफसरों के सामने आ चुका है। देवासगेट पर स्थापित सांची पार्लर के विरोध में एमआईसी सदस्यों ने विरोध दर्ज कराते हुए कहा था कि इसकी सहमति ही नहीं दी गई तो यह खुल कैसे गया। दरअसल, पार्लर की अनुमति से पहले क्षेत्रीय पार्षद की सहमति जरूरी होती है, लेकिन देवासगेट के पार्लर मामले में पार्षद को ही खबर नहीं।
चौंकाने वाला मामला यह भी सामने आया कि जिस जगह पार्लर के लिए टेंडर किया गया था, वह कहीं ओर के लिए था। सूत्रों के अनुसार एमआईसी के विरोध के बाद निगम आयुक्त ने पार्लर की फाइल तलब की थी, लेकिन दूसरे दिन भी जब दोबारा एमआईसी हुई तो संबंधित अधिकारी ने फाइल ही पेश नहीं की। इसके बाद से निगम अधिकारी बेपरवाह हो गए और आज भी पार्लर अपनी जगह स्थापित है। इसके सहित शहर में कई जगह अवैध।पार्लर खुल गए हैं। इससे शहर की ट्रैफिक व्यवस्था प्रभावित हो रही। एक ओर निगम शहर के कई स्थानों से गुमटियां हटवा रहा जबकि पार्लर सड़कों के किनारे लगवाए जा रहे। इससे प्रशासन की दोहरी व्यवस्था बन रही।
जोन 3 से निकलता है फरमान!
शहर में मिल पार्लर खुलने के मामले में चर्चा है कि निगम के जोन 3 से एक फरमान निकलता है और उसके बाद मनपसंद जगह पर कोई भी अपना पार्लर खोल सकता है। चर्चा यह भी है कि जोन 3 में ऐसा क्या ‘जादूÓ होता है कि सारे नियमों को ताक पर रखकर पार्लर स्थापित करने का रास्ता खुल जाता है।