धार्मिक न्यास व धर्मस्व संचालनालय उज्जैन में!

By AV News

प्रदेश स्तरीय कार्यालय को भोपाल से लाने की तैयारी, पिछली सरकार में दिया था प्रस्ताव

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पिछली सरकार में में मंत्री रहते, जो प्रस्ताव दिया था उसे क्रियान्वित करने की तैयारी की जा रही है। इसके तहत धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग का संचालनालय भोपाल से उज्जैन शिफ्ट शिफ्ट किया जाएगा। संचालनालय (डायरेक्टोरेट) की शिफ्टिंग को लेकर जल्द की कैबिनेट से प्रस्ताव पारित कर संचालनालय (डायरेक्टोरेट) को शिफ्ट किए जाने पर काम शुरू कर दिया गया है।

भोपाल से धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग का संचालनालय उज्जैन शिफ्ट करने पर मुख्य सचिव वीरा राणा ने सहमति दे दी है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंत्री रहते इसका सुझाव दिया था। अब यादव सीएम बने तो डायरेक्टोरेट शिफ्ट करने का फैसला किया है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उच्च शिक्षा मंत्री रहते शिवराज सरकार के कार्यकाल में सुझाव दिया था कि उज्जैन में सबसे अधिक मंदिर हैं। इसलिए धार्मिक न्यास व धर्मस्व विभाग का डायरेक्टोरेट उज्जैन में होना चाहिए। विभाग के अफसरों ने व्यावहारिक दिक्कतेें बताते हुए सुझाव दिया था कि उज्जैन में संचालनालय के बजाय लिंक ऑफिस खोला जा सकता है, जो उज्जैन और मालवा क्षेत्र के मंदिरों से संबंधित कामों को पूरा करता रहेगा। उस वक्त डॉ.यादव का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया था। अब सीएम मोहन यादव ने इस संचालनालय को शिफ्ट करने का निर्देश जारी कर दिया है। धार्मिक न्यास व धर्मस्व विभाग के प्रमुख सचिव ई. रमेश कुमार के अनुसार संचालनालय शिफ्ट करने का काम प्रस्तावित है। इसका प्रशासनिक स्तर पर अनुमोदन होने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी। बता दें कि प्रदेश में धार्मिक आयोजन और मेले को लेकर मेला प्राधिकरण गठन का प्रस्ताव भी है।

8 साल पहले संचालनालय

विभाग का गठन वर्ष 1981 में धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग के रूप में किया गया। इस विभाग का कार्य कमिश्नर तथा कलेक्टर के माध्यम से कराया जाता है। विभाग के अंतर्गत विभागाध्यक्ष कार्यालय का गठन किया गया है। निगम-मंडल अथवा परिषद कार्यालय में मध्यप्रदेश तीर्थ-स्थान एवं मेला प्राधिकरण स्थापित है। वर्तमान में अधिकारियों, कर्मचारियों का कोई संवर्ग नहीं है। विभाग के आदेश क्रमांक एफ 3-10/2011/छह के अंतर्गत 270 जनवरी 2016 से कार्यालय संचालनालय धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व का गठन किया गया। जिसका दफ्तर सतपुड़ा भवन में संचालित किया जा रहा है।

100 करोड़ है विभाग का बजट, डायरेक्टोरेट का एक करोड़

2016 में धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग का संचालनालय खोलने का नोटिफिकेशन होने के बाद इस विभाग का बजट बढ़ रहा है। विभाग का सालाना बजट 100 करोड़ रुपए तथा डायरेक्टोरेट का एक करोड़ रुपए है। इस दफ्तर में आईएएस को संचालक बनाया जाता है।

यह काम है धार्मिक न्यास विभाग

प्रदेश के ऐसे मंदिर जिनके संबंध में भू-अभिलेख में भूमि-स्वामी के रूप में मंदिर की मूर्ति का नाम दर्ज है, उन मंदिरों को शासन संधारित मंदिर की श्रेणी में रखते हुए कलेक्टर को भू-अभिलेख में ‘प्रबंधकÓ के रूप में दर्ज किया जाता है। शासन संधारित मंदिरों में शासन द्वारा मुख्यत: मंदिरों का जीर्णोद्धार एवं धर्मशाला का निर्माण कराया जाता है। इनमें कार्यरत पुजारियों की नियुक्ति, पद से हटाने तथा मानदेय वितरण का कार्य कलेक्टर के माध्यम से विभाग द्वारा कराया जाता है।

भोपाल, रायसेन तथा सीहोर जिले में स्थित मंदिरों की व्यवस्था के लिए एक मंदिर समिति गठित है, जिनके अध्यक्ष आयुक्त, भोपाल संभाग रहते हैं।

देवस्थानों के प्रबंध के लिए देवस्थान प्रबंध समिति गठित की गई है।

धार्मिक स्थलों की व्यवस्था मप्र लोक न्यास अधिनियम, 1951 के तहत की जाती है। अधिनियम के अंतर्गत अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को पंजीयन के अधिकार दिए गए हैं।

प्रदेश के ऐसे मंदिर जिनका ऐतिहासिक अथवा धार्मिक या दोनों प्रकार का विशेष महत्व है, उनके लिए विशेष कानूनी व्यवस्था कायम की गई है। जिसमें श्री महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन के लिए मध्यप्रदेश श्री महाकालेश्वर अधिनियम 1982, सलकनपुर देवी मंदिर जिला सीहोर के लिए भोपाल राज्य सलकनपुर अधिनियम 1956, मां शारदा देवी मैहर जिला सतना के लिए मध्यप्रदेश मां शारदा देवी मंदिर अधिनियम 2002, श्री गणपति मंदिर खजराना इंदौर के लिए मध्यप्रदेश श्री गणपति मंदिर खजराना (इंदौर) अधिनियम 2003 बनाया है।

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