सरकार की ओर से जुर्माना जमा करने पर रिहा होंगे

By AV NEWS 1

गरीब कैदियों की मदद के लिए शासन की खास योजना, भैरवगढ़ जेल के दो बंदियों को लाभ

शैलेष व्यास|उज्जैन। उन कैदियों के लिए अच्छी खबर है, जो सजा तो पूरी कर चुके हैं, लेकिन जुर्माना नहीं भर पाने की वजह से अब भी जेल के सींखचों के पीछे बने रहने के लिए मजबूर बने हुए हैं। उनकी मदद के लिए प्रदेश सरकार ने पहल की है। सरकार की ओर से जुर्माना भरे जाने पर केंद्रीय जेल भैरवगढ़ से दो कैदियों को जल्द ही रिहा किया जाएगा।

प्रदेश की लगभग सभी जेल में बड़ी संख्या में ऐसे कैदी है,जो सजा की अवधि पूरी कर चुके है और अर्थदण्ड जमा नहीं होने की वजह से सजा काट रहे। साथ कुछ की जमानत भी नहीं मिली और जेल के सींखचों के पीछे कैद है,उनकी रिहाई के लिए सरकार ने जुर्माना/जमानत भरने का निर्णय लिया है। केंद्रीय जेल भैरवगढ़ उज्जैन से पहली बार दो कैदी रिहा होने वाले है। जेल अधीक्षक मनोज साहू ने बताया कि शासन को दो कैदियों की रिहाई के लिए जुर्माने/जमानत राशि के प्रस्ताव शासन को भेजे गए थे। इनमें एक कैदी के जुर्माने की राशि चार हजार रु. और दूसरे कैंदी की जमानत के लिए ४० हजार की राशि है। प्रस्तावों को स्वीकृति मिल चुकी है। राशि मिलते ही दोनों कैदिया को जेल से रिहा कर दिया जाएगा।

इसलिए किया ऐसा फैसला

जेलों में कई ऐसे विचाराधीन और दोष सिद्ध कैदी हैं, जो जमानत और जुर्माना राशि जमा नहीं कर पाने के कारण जेल से रिहा नहीं हो पा रहे हैं। इन पर जेल प्रशासन को हर महीने लाखों रुपए खर्च करने होते हैं। यही वजह है कि अब सरकार ने ऐसे कैदियों का जुर्माना अपने पास से भरने का निर्णय लिया है।

इस योजना का उद्देश्य जेलों से भीड़ को कम करना भी है। बताया जा रहा है कि सरकार की योजना में निर्धन विचाराधीन कैदियों की रिहाई के लिए अधिकतम जमानत राशि ५० हजार रुपए और निर्धन सजायाफ्ता कैदियों की अधिकतम जुर्माना राशि 25 हजार रुपए जमा करने का प्रावधान किया गया है। इस तरह का कदम उठाने वाला मप्र देश का पहला राज्य है। एनडीपीएस एक्ट यानी मादक पदार्थ रखने या सेवन करने या गंभीर अपराध करने वाले कैदी और जिन पर जमानत और जुर्माने की राशि अधिक या लाखों में होती है,उनके संबंध में फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया गया है।

दो स्तर पर होगी समितियों का गठन

मप्र सरकार ने निर्धन कैदियों का चयन कर अर्थदंड भरे जाने के लिए प्रमुख सचिव जेल की अध्यक्षता में चार सदस्यीय राज्य स्तरीय निगरानी समिति गठित की है। यह समिति गरीब विचाराधीन कैदियों की जमानत राशि और दोष सिद्ध कैदियों की जुर्माना राशि के संबंध में निर्णय लेती है। ऐसे ही जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति बनाई गई है।

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