मुख्यमंत्री ने दीप निर्माताओं जीवन को आलोकित किया…

प्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव अपने विजन और व्यवहारिक विषय से एक बार फिर सुर्खियों में हैं। दीपोत्सव का उल्लास, उमंग और उन्नति कहीं एक स्थान पर जाकर ही न सिमट जाए। एक दीप ऐसा भी आलोकित करें कि दीपक बनाने वाले के घर भी खुशियों का दीप जले और उसका परिवार भी दीपों की रोशनी से जगमगाए।
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इसी आशा के भाव को लेकर उन्होंने निर्णय लिया कि हमारे छोटे-छोटे वे व्यापारी जो सड़क पर रेहड़ी लगाते हैं, सामान बेचते हैं, दीपावली से एकादशी तक उन्मुक्त भाव से दुकानें लगाएं। नगर निगम की गैंग न तो परेशान करेगी और न रसीद काटेगी। इस निर्णय का असर हुआ। हर चेहरे पर खुशी के भाव थे। यह खुशी उस समय दोगुनी हो गई जब कलेक्टर और एसपी परिवार सहित खरीदारी करने शहर में निकले।
यह पहला अवसर था जब दो अधिकारी त्योहार के मौके पर शोरूम की चकाचौंध से परे रहकर उन गरीबों के बीच पहुंचे जिन्हें अपनत्व और आसरे की दरकार थी। वे चेहरे खिले हुए थे जो जनसुनवाई में अपनी बारी आने का इंतजार करते थे। आज जनसुनवाई करने वाले अपनी खुशियां उनके साथ साझा कर रहे थे।
यह सब कुछ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन की दूरदर्शिता और एकरूपता का परिणाम था। उनकी यही चाहत थी कि छोटे-बड़े का भेद मिटे। उन लोगों को प्रोत्साहित किया जाए जो मेहनतकश हैं। जिन्हें अपनी मेहनत का परिणाम नहीं मिल पाता। इस छोटी सी पहल ने बड़ा काम किया। आज हर वर्ग में मुख्यमंत्री की चर्चा है। हमेशा कुछ नवाचार करने की तमन्ना रखने वाले डॉ. मोहन यादव को अपने शहर से अगाध स्नेह है। वे प्रदेश ही नहीं देश की राजनीति में भी दैदीप्यमान नक्षत्र बनकर उभरे हैं। उनके नेतृत्व में प्रदेश के साथ उज्जैन भी विकास के आयाम स्थापित कर रहा है। दीपावली पर वह अपने शहर में हैं।
आइए, हम सभी मिलकर दीपावली का यह पावन त्योहार हर्षोल्लास से मनाएं। यह त्योहार जैन समाज के लिए भी अहम है। यह भगवान महावीर के निर्वाण और आध्यात्मिक जागरण का दिवस है। सिख समाज के लिए इस त्योहार की अलग महत्ता है। इस दिन छठवें गुरु हरगोविंद जी कारावास से रिहा हुए थे। दीपावली दीपों की कतार का पर्व है। बुराई पर अच्छाई अंतिम जीत का प्रतीक और दीपों की रोशनी से अंधेरे का उन्मूलन है।
यह आभापूर्ण उज्ज्वल भविष्य का प्रतीक भी है।अज्ञान पर ज्ञान की आध्यात्मिक विजय का प्रतीक है। आइए, हम दीपावली मनाएं क्योंकि यह दीपों की रोशनी और हमारे जीवन की अंधेरी इच्छाओं और विचारों को दमन करने का पर्व है। यह त्योहार नया जीवन जीने का उत्साह पैदा करता है। हमारे जीवन में नई खुशियां और उम्मीदों का संचार करता है। दीपावली की सीख भी यही है कि अच्छाई हमेशा बुरी प्रवृत्ति पर विजय प्राप्त करेगी। यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। वेदों में उल्लेखित है, महालक्ष्मी संपदा, सौंदर्य, स्वास्थ्य, समृद्धि और संस्कृति की प्रतीक है। सभी के लिए दीपावली शुभ हो।