देखरेख ना होने से उजड़ गया 7 करोड़ का मयूर वन

शहरवासियों को नहीं मिल सकी पिकनिक स्पॉट की सौगात

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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। जनता का पैसा किस तरह से बर्बाद किया जाता है, इसका उदाहरण देखना है तो 7 करोड़ रुपए से बने कोठी रोड स्थित मयूर वन (पहले का विक्रम वाटिका) चले जाइए। उज्जैन स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने इसके विकास की कमान संभाली थी और मोरों का संरक्षण करने के साथ ही प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद और आमोद-प्रमोद के लिए शहरवासियों को बेहतर स्थान उपलब्ध करवाने का दावा किया था।

जोरशोर से काम शुरू हुआ लेकिन बाद में काम की धीमी चाल, कोरोना काल सहित अन्य मुश्किलों के बाद मयूर वन बना तो सही, लोगों के लिए खुला भी लेकिन यहां सूखी झाडिय़ां, बदबूदार और काई से ढंका तालाब, टूटे लैम्प, मधुमक्खियों के छत्ते के अलावा कुछ नहीं है, जबकि दावा किया गया था शहरवासियों के लिए यह बेहतरीन पिकनिक स्पॉट होगा। आपको बता दें कि जून 2019 में जिले के तत्कालीन प्रभारी मंत्री सज्जनसिंह वर्मा ने 6.7 हेक्टेयर के इस प्रोजेक्ट का भूमिपूजन किया था।

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काई से ढंक गया तालाब

विक्रम वाटिका के तालाब में पानी बारह माह साफ रहे, इसके इंतजाम फिलहाल मौके पर दिखाई नहीं देते। तालाब में अभी बारिश का पानी ही भरा है जो पूरी तरह से काई से ढंका है और बदबू मार रहा है। पानी साफ रहे इसके लिए दावा किया गया था कि फाउंटेन लगाए जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अंदर ही गंदा नाला है जिसका पानी तालाब में मिलने से रोकने लिए भले ही गेट लगाए हैं लेकिन फिर भी पानी तालाब में मिल रहा है।

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सुबह और शाम खुलता है

मयूर वन के मुख्य द्वार पर जगह-जगह पेम्पलेट चिपकाई गई है जिस पर इसके खुलने का समय लिखा हुआ है। पेम्पलेट के अनुसार सुबह 6 से 10 बजे तक और शाम को ५ से ७ बजे तक खुलना बताया गया है।
मयूर वन में क्या-क्या और आज के हालात

प्रवेश द्वार- मोर की आकृति का भव्य प्रवेश द्वार बनाया लेकिन अब यहां लगी ग्रेनाइट टाइल्स टूटने लगी है। रैलिंग भी कुछ जगह से टूट चुकी है जिसे तार से बांधा गया है।

टॉयलेट ब्लॉक- गेट के नजदीक ही जनसुविधा के लिए महिला-पुरुष के टॉयलेट ब्लॉक बनाए गए हैं लेकिन अब झाडिय़ां उग रही हैं, मकडिय़ों ने जाले बना लिए हैं। डस्टबिन स्टैंड सहित उखडक़र यहां-वहां पड़े हैं।

पाथ-वे- पार्क में चलने के लिए पॉथ-वे बनाया गया है। जगह-जगह से ब्लॉक लगाए गए जो कई जगह टूट गए हैं तो कई जगह धंस गए हैं।

भुलभुलैया- प्रवेश द्वार के पीछे शहर की पहली भुलभुलैया बनाई है। उम्मीद थी कि शहरवासी के लिए यह रोमांचक अनुभव होगा। यहां पौधे लगा गए थे जो अब सूख चुके हैं। बड़ी-बड़ी घास उग गई आई जिससे अंदर जाने में भी डर लगता है।

किड्स प्ले एरिया- भुलभुलैया के नजदीक किड्स प्ले एरिया विकसित किया गया था लेकिन अब यह भी उजाड़ हो गया है जिससे पता ही नहीं चलता यहां क्या बनाया था।

प्लाजा- किड्स प्ले एरिया के नजदीक प्लाजा बनाया है। 8 कॉलम खड़े किए हैं जिन पर मोरों की प्रतिमा बनाई गई है। यह सेल्फी पाइंट भी रहेगा है लेकिन मोरों की प्रतिमा का रंग उड़ गया है। चारों ओर घास उग आई है।

इंटरपीटिशन सेंटर- तालाब के सामने इंटरपीटिशन सेंटर बनाया गया है। यह प्रदर्शनी के उपयोग में आना था लेकिन अब इसमें भी पेड़ और घास उग रही हैं।

डेक एरिया- तालाब के किनारे डेक एरिया बनाया गया है। पहली मंजिल पर देवदार की वुड फ्लोरिंग की गई थी जो अब खराब हो चुकी है। इसमें मधुमक्खियों और बरैया ने छत्ते बना लिए है।

जॉगिंग ट्रैक- तालाब के नजदीक जॉगिंग ट्रैक बनाया गया लेकिन अब स्थिति यह हो गई है कि वहां जॉगिंग क्या वॉक करना भी मुश्किल है। उजाड़ और बदहाल मयूर वन कोई नहीं जाता इसलिए यह खाली ही रहता है।

लैंड स्केपिंग- खाली जगह पर हरियाली से आच्छादित करने के लिए जगह-जगह घास लगाने के साथ पौधे लगाए गए लेकिन देखरेख के अभाव में सब सूख चुके हैं।

कार पार्किंग- पीछे के क्षेत्र में पाथ-वे के नजदीक कार पार्किंग एरिया बनाया है लेकिन उजाड़ और बदहाल हो चुके मयूर वन में कोई नहीं जाता इसलिए यह एरिया खाली ही पड़ रहता है।

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