अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में प्रस्तुति देने आए गीतकार और विचारक मनोज मुंतशिर ने मीडिया से की चर्चा, बोले…

रील युग की पीढ़ी को रील से ही ‘गीता’ समझाने की जरूरत

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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। ख्यात गीतकार और विचारक मनोज मुंतशिर शुक्ला ने कहा कि रील युग की पीढ़ी को रील से ही गीता को समझाने की जरूरत है। मौजूदा दौर में हम बहुत आगे निकल गए हैं। बच्चों को अगर हम खारिज करेंगे तो हमारा बहुत नुकसान हो जाएगा।

मुंतशिर कालिदास अकादमी में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में प्रस्तुति देने शहर आए थे। प्रस्तुति से पहले उन्होंने मीडिया से भारतीय दर्शन से लेकर सिनेमा तक पर खूब बात की। इंदौर रोड स्थित एक होटल में उन्होंने उज्जैन के गौरवशाली इतिहास से अपनी बात शुरू की, बाबा महाकाल का गुणगान करने के साथ उन्होंने गुरु सांदीपनि की ६४ कलाओं की महारथ का जिक्र भी किया।
भागमभाग भरी जिंदगी में

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सनातन प्लेटफार्म पर छूट गया

मौजूदा दौर की भागमभाग भरी जिंदगी पर भी उन्होंने बेबाकी से अपनी राय रखी। उन्होंने कहा हम बहुत आगे निकल चुके हैं। यह आगे निकलना हमारे लिए बहुत खराब चीज बनकर रह गया है। हमने पक्षियों की तरह उडऩा सीख लिया। हमने मछलियों की तरह समुद्र में तैरना सीख लिया। हम इंसान की तरह धरती पर रहना कब सीखेंगे। वह तो गीता ही सिखाएगी। हमारी नई पीढ़ी ने रफ्तार तो बहुत पकड़ ली लेकिन उनकी गहराई चली गई। जैसे स्टेशन पर जब हम ट्रेन पकडऩे जाते हैं तो जल्दी में बहुत सारा सामान छूट जाता है। ऐसे ही हमारा सनातन, हिंदुत्व, साहित्य और हमारा ज्ञान भी छूट गया है। ये उठाकर हमें नई पीढ़ी को देना है।

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हमें ही बच्चों को देना नहीं आया
मौजूदा दौर में बच्चों में संस्कृति का भाव पैदा नहीं होने के लिए उन्होंने अभिभावकों को जिम्मेदार ठहराया। मुंतशिर ने कहा बच्चों में भाव पैदा नहीं करने के लिए हम ही जिम्मेदार है। हमने उन्हें दूध पीना सिखाया, चलना सिखाया तो फिर हम गीता का भाव क्यों नही जगा पाए। कर्मयोग से बच्चों को हमें ही कनेक्ट करना होगा, सरकारें और धर्मगुरु इसमें कुछ नहीं कर सकतें।

आज के दौर में कोई भी अराजनीतिक नहीं

मौजूदा दौर में हर जगह बिखरी राजनीति पर भी मुंतशिर ने बेबाकी से बात की। मुंतशिर ने कहा कि वर्तमान में कोई भी व्यक्ति अराजनीतिक नहीं है। अगर आप वोट देते हैं और किसी एक को चुनते हैं तो यह भी राजनीति है। राजनीति लोगों की नसों में बहती है। राजनीति पर सकारात्मक बात कहने वालों को वह गलत नहीं मानते। उन्होंने व्यास गादी पर बैठने वालों को सलाह दी कि वह साधारण आदमी नहीं है। हजारों लोग उनको सुन रहे हैं तो लोगों को सही बात बताना उनकी जिम्मेदारी है।

कृष्ण को श्रीकृष्ण बनाने वाली धरती है उज्जैन- मुंतशिर उज्जैन की महिमा का बखान करने से भी नहीं चूके। उन्होंने कहा उज्जैन की धरती कृष्ण को श्रीकृष्ण बनाने वाली है, क्योंकि यहीं पर रहकर उन्होंने गुरु संादीपनि से 64 कलाएं सीखीं। चूंकि उनका ज्ञानारंभ यहीं हुआ, ऐसे में यह भी माना जा सकता है कि गीता का गोमुख उज्जैन में है।

हमारे पुरखे अरबों-खरबों की संपत्ति छोड़ गए, हम झोपड़ी में रहना चाहते हैं- नई पीढ़ी को सीख देते हुए मुंतशिर ने कहा कि हमारे पुरखे अरबो-खरबों मूल्य का ज्ञान छोड़ गए हैं लेकिन हमारे बच्चे झोपड़ी में रहना चाहते हैं। इससे बड़ी मूर्खता और क्या होगी कि हम अपने पुरखों की विरासत को छोड़ रहे हैं। हमारे बच्चे जाने-अनजाने में यह गलती कर रहे हैं।
वामपंथी सिनेमा ने सनातन का खूब नुकसान किया- फिल्मी दुनिया की वामपंथी सोच पर भी मुंतशिर खूब बरसे। उन्होंने कहा सिनेमा में एक खास वर्ग को हीरो और सनातन से जुड़े वर्ग को विलेन की तरह पेश किया जाता रहा। यह गलत बात है। इसका विरोध वह लगातार कर रहे हैं।

मध्यप्रदेश सरकार की प्रशंसा- मध्यप्रदेश में सनातन संस्कृति का वैभव कायम रखने के लिए सरकार द्वारा मंदिरों के सौंदर्यीकरण और लोक बनाने की योजना की मुंतशिर ने प्रशंसा की।

मुंतशिर ने मंच से लगवाए ‘एक हैं तो सेफ हैं’ के नारे

उज्जैन। ‘्नारायण मिल जाएगा’ कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति देने आए मनोज मुंतशिर ने मंच पर देरी से आने के लिए सबसे माफी मांगी और कहा मैं स्टेज के पीछे बैठकर कुर्सियां भरने का इंतजार कर रहा था। वे रात साढ़े आठ बजे मंच पर आए। प्रस्तुति के बीच उन्होंने एक हैं तो सेफ हैं के नारे भी खूब लगवाए। कालिदास अकादमी परिसर में मुंतशिर ने मंच पर आते ही उन्होंने जय श्री राम और जय श्रीकृष्ण का उदघोष किया। इसके बाद उन्होंने नारायण मिल जाएगा कार्यक्रम की प्रस्तुति अपने चिर परिचित अंदाज में दी। कुर्सियां खाली रहने का दर्द पूरे समय झलकता रहा। प्रस्तुति के अंत में भी उन्होंने इसका जिक्र किया।

‘नारायण मिल जाएगा’ की प्रस्तुति के बाद मंच से ही उन्होंने विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी को संबोधित करते हुए कहा मेरी टीम की तैयारी बस यहीं तक थी, लेकिन आप जब तक कहेंगे मैं बोलता रहूंगा। तिवारी ने प्रस्तुति जारी रखने को कहा। इस पर कुछ देर वे रुके फिर बताया एक और एक ग्यारह होते हैं, एक और एक मिल जाए तो मित्र बन जाते हैं। एक से एक को लड़ा दे वो राजनीति है और एक से एक को मिला दे वो राष्ट्रनीति है, इसलिए एक हैं तो सेफ हैं। इसके साथ उन्होंने मंच से एक हैं तो सेफ हैं के नारे लगवाए।

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