सर्द हवाओं ने ठिठुराया, रात का पारा 10 डिग्री पर आया

फिर लौटी ठंडक… पहाड़ों पर गिरी बर्फ का शहर में असर, सुबह ६ किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से चली हवा
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!
अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टरबेंस) के कारण पहाड़ों पर हुई भारी बर्फबारी और उसके चलते उत्तर भारत से आ रही बर्फीली हवाओं के कारण मौसम ने एक बार फिर करवट बदली है। इससे मंगलवार को रात का तापमान डेढ़ डिग्री लुढक़ गया और 10 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। इस सीजन में तीसरी बार न्यूनतम तापमान 10 डिग्री पर पहुंचा है।
दरअसल, पिछले तीन दिनों से रात के तापमान में गिरावट का दौर जारी है। सोमवार रात ठंड ने एक बार फिर अपने तीखे तेवर दिखाए जिसने लोग ठिठुर गए। मंगलवार सुबह भी आसमान साफ रहा और धूप खिली लेकिन ६ किमी प्रतिघंटे से रफ्तार से चली सर्द हवाओं के आगे धूप भी फीकी रही। ऐसे में शहरवासी गर्म कपड़ों में ही मॉर्निंग वॉक के लिए पहुंचे। कई जगह अलाव जलाकर ठंड से बचने का प्रयास किया गया तो दुकानों पर चाय के शौकीन चुस्कियां लेते आए।
रामघाट पर गर्म पानी की सेवा शुरू
इधर, सर्दी बढऩे के साथ रामघाट पर स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मंगलवार से गर्म पानी की व्यवस्था भी शुरू हो गई। राणोजी की छत्री के नजदीक लकड़ी जलाकर उस पर बड़ा से बर्तन रखा गया है जिस पर पानी गर्म हो रहा है। यहां श्रद्धालुओ को बाल्टी भी दी गई है जिससे वह बर्तन से गर्म पानी लेकर नहा रहे थे।
2 दिसंबर को था सबसे कम तापमान
दिसंबर के शुरुआती दो दिनों में ठंड चमकी थी और न्यूनतम तापमान भी तेजी से गिरा था। १ दिसंबर को जहां रात का तापमान १० डिग्री था, वहीं २ दिसंबर को ९.८ डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था जो इस सीजन का अब तक का सबसे कम तापमान है।
सर्दी बढऩे के दो मुख्य कारण
सर्दी बढऩे के दो बड़े कारण हैं। पहला उत्तर-पश्चिम भारत में जेट स्ट्रीम का चलना। यह तेज रफ्तार से चलने वाली बेहद ठंडी हवा होती है जिसका असर मैदानी इलाकों पर पड़ता है। दूसरा वेस्टर्न डिस्टरबेंस का होना है।
अब आगे क्या
अब लगातार कड़ाके की ठंड देखने को मिलेगी। 14 एवं 15 दिसंबर को एक और वेस्टर्न डिस्टरबेंस आएगा जिसके चलते बर्फबारी का दौर फिर लौटेगा। बर्फबारी होने के सर्द हवा आने में दो दिन का समय लगेगा। इस दौरान तापमान बढ़ सकता है लेकिन उसके बाद पारा गिरेगा और 10 डिग्री से भी नीचे भी जा सकता है।
डॉ. आरपी गुप्त, अधीक्षक, शासकीय जीवाजी वेधशाला