पुलिस लाइन में ठंड से जंग लड़ी पुलिस ने

परेड के बाद तो सभी तरोताजा नजर जाए
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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। शीतलहर का असर पुलिस कर्मचारियों पर न हो। कड़ाके की ठंड में भी जवान मुस्तैद रहें। शरीर गर्म रहे। रक्त का प्रवाह असंतुलित न हो। इसी उद्देश्य को लेकर एसपी प्रदीप शर्मा ने पुलिस लाइन में पुलिस के जवानों की परेड ली, इसमें महिला पुलिसकर्मी भी शामिल थीं। परेड के बाद हर पुलिस कर्मचारी तरोताजा नजर आया। एक महिला कांस्टेबल के कदमताल में आए बदलाव एसपी को नजर आ गए। उसे पूरे ग्राउंड में परेड करना पड़ी। ठंड के बावजूद पुलिस कर्मचारी परेड के बाद पसीने से तरबतर थे।
मंगलवार की सुबह कुछ ज्यादा ही बर्फीली थी। तापमान गिरा हुआ था। सर्द हवा अपना असर दिखा रही थी। ऐसे आलम में पुलिस कर्मचारी अलसुबह ही पहुंच गए थे। वे परेड की तैयारी में लगे हुए थे। ठंड की चर्चा भी हो रही थी। पूरा पुलिस महकमा पुलिस लाइन में तैयार था। एएसपी, सीएसपी, थाना प्रभारी, सब इंस्पेक्टर, एएसआई, प्रधान आरक्षक और आरक्षक वहां मौजूद थे। सशस्त्र बल भी अपनी बंदुकों के साथ तैयार था। महिला पुलिसकर्मी भी परेड के लिए आई हुई थीं। एसपी के आते ही परेड शुरू हो गई।
एसपी की नजरों से नहीं बच सकी आरक्षक
महिला पुलिस कर्मचारी पूरे जोशो खरोश के साथ कदमताल कर रही थीं। इसी बीच एसपी की नजर उस महिला आरक्षक पर गई जो परेड ठीक ढंग से नहीं कर पा रही थी। यह तीसरे क्रम की तीसरी आरक्षक थी। एसपी ने उस दल की प्रभारी को निर्देश दिए कि आरक्षक को बाहर किया जाए। एसपी ने आरक्षक से पूछा, क्या दिक्कत है? आपके कदमताल पूरे दल से अलग हैं। आरक्षक ने कोई सफाई नहीं दी। इतना ही कहा सर, सॉरी। एसपी ने आदेश दिए। आप पूरे ग्राउंड का अकेले चक्कर लगाइए। इसके बाद तो पूरे दल की हालत देखने लायक थी। सभी का ध्यान सिर्फ कदमताल की ओर ही था।
सप्ताह में दो बार होगी परेड: ठंड के दिनों में होने वाली यह परेड सप्ताह में दो बार होगी। सभी पुलिस कर्मचारी पुलिस लाइन में पूरी तैयारी के साथ समय पर आएंगे। पहली परेड मंगलवार को हो गई। अब दूसरी शुक्रवार को होगी।
दूसरे क्रम पर थीं महिला पुलिसकर्मी
पुरुष पुलिस कर्मचारियों के बाद अब बारी थी महिलाओं की। महिला पुलिसकर्मियों में भी परेड के प्रति उत्साह देखा गया। वही पुरुषों जैसा ही क्रम था। सीनियर महिला पुलिसकर्मी सबसे आगे थीं। उनके बाद जूनियर थीं। तीसरे क्रम में महिलाओं के कंधे पर बंदुकें थीं। सभी के कदमताल मिल रहे थे। महिला कर्मचारी मेंथकान और बोझिलपन का अहसास नहीं था। पूरे जोश के साथ महिलाएं कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही थीं।
सबसे आगे थे पुरुष अधिकारी
परेड शुरू हुई तब भी ठंड अपने तेवर दिखा रही थी। सूर्य देवता बादलों से झांक कर देख रहे थे। गर्माहट लेशमात्र भी नहीं थी। पुलिस अधिकारियों का दल सबसे आगे था। वे कदमताल करते हुए परेड का हिस्सा बने हुए थे। उनके पीछे उनकी रैंक के कर्मचारी कदमताल कर रहे थे। इसके बाद सशस्त्र पुलिस बल था। यह भी कदम ताल करते हुए आगे बढ़ रहा था। नजारा ऐसा था मानो १५ अगस्त या २६ जनवरी की परेड के लिए तैयारी चल रही हो। प्रत्येक पुलिसकर्मी आगे वाले का अनुसरण कर रहा था।