150 कर्मियों ने सेवाएं दी, भोजन बनना शुरू
गेट पर महिला सुरक्षा अधिकारी को तैनात किया
महिला की मौत की दहशत दूसरे दिन भी बरकार
सावधानी बरत कर काम करते हुए दिखे कर्मचारी
अक्षरविश्व न्यूज|उज्जैन। महाकाल मंदिर के अन्नक्षेत्र में हुई महिला की मौत के बाद वहां का नजारा बदला हुआ दिखाई दिया। पंडितों-पुरोहितों की सलाह पर पूरे अन्नक्षेत्र को गंगा जल से धोया गया। इसमें करीब 150 कर्मचारियों ने सेवाएं दीं। करीब आठ घंटे तक यही सिलसिला चलता रहा। शनिवार को पूर्व की तरह विधिवत तरीके से भोजन बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई। कई बदलाव भी देखे गए। कर्मचारियों में महिला की मौत की दहशत बरकार थी। कर्मचारी काम करते जाते और उस मंजर को भी याद कर लेते थे।
शनिवार को सुबह से ही कर्मचारियों की टीम अन्नक्षेत्र में सेवाएं देने के लिए जुटी हुई थी। अन्नक्षेत्र का कोई भी हिस्सा ऐसा नहीं था जिसे गंगा जल से न धोया हो। भोजन तैयार करने में काम आने वाली मशीनों और बर्तनों को गंगा जल से धोया गया। जहां भोजन कराया जाता है, वहां भी साफ-सफाई की गई। पूरे परिसर को गंगा जल से साफ किया गया।
महिलाओं को साधारण काम
हादसे से सबक लेते हुए मंदिर प्रशासन ने महिलाओं को साधारण काम पर लगाया। सब्जी काटने, आटा गूंधने और सफाई जैसे कार्य उन्हें दिए गए। मशीनों पर पुरुषों को लगाया गया। उन्हें भी हिदायतें दी गईं। समझाया गया कि सावधानी बरतते हुए काम करें।
महिला सुरक्षा कर्मचारी ने टोका
रजनी खत्री के गले में दुपट्टा नहीं होती तो वह काल का ग्रास नहीं बनती। वही दुपट्टा आज चर्चा का विषय बना रहा। अन्न क्षेत्र के प्रमुख द्वार पर महिला सुरक्षा कर्मचारी को तैनात किया गया था। उसे निर्देश थे कि काम में कोताही न बरती जाए। काम करने वाली महिलाओं से कहा गया कि वे दुपट्टा हटा लें या इस तरह बांधे कि उसका सिरा न लटके। बालों को भी बंधवाया गया। गौरतलब है कि पहले ऐसा नहीं होता था। यह हादसे का असर था।
दूसरे दिन यह बनाया भोजन
हादसे के दूसरे दिन साफ-सफाई के बाद आलू-बेंगन की सब्जी,,तुअर की दाल, चावल रोटी और ड्राय फूड और गुड़ दलिया बनाया गया। मंदिर में रोजाना भोजन का मीनू बदलता रहता है। सुबह 10:30 बजे भोग की थाली भगवान महाकाल के लिए भेजी गई। उसके बाद आने वाले दर्शनार्थियों के लिए भोजन परोसा गया।