चाइना डोर से किसी के गले को अगर बचाना है तो शहर के इन पतंगबाजों को दबोचना पड़ेगा

चाइना डोर के सौदागरों ने बना रखे हैं कई एजेंट

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पतंग उड़ाने वालों को बहका कर बेच रहे डोर

चाइना डोर पकडऩे के लिए सादी वर्दी में तैनात रहे पुलिस

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चाइना डोर के सौदागरों का हो मौका मुआयना

अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। जानलेवा चाइना डोर का सर्वत्र विरोध हो रहा है। कोई नहीं चाहता कि उनके परिवार के किसी व्यक्ति का गला कटे। यहां तक कि जो बच्चे पतंगबाजी के दीवाने हैं, उनके माता-पिता भी बच्चों को नसीहत दे रहे हैं। समझा रहे हैं कि तुम्हारा चंद लम्हों का मजा किसी की जिंदगी छीन सकता है। कुछ बच्चे मान गए हैं, कुछ हैं कि अभी भी पेंच काटने में इतने मशगूल हैं कि वे किसी की नहीं सुन रहे हैं। ऐसे बच्चे सिर्फ और सिर्फ खाकी वर्दी से डरेंगे। इन्हें सबक सिखाने और नसीहत देने के लिए पुलिस सख्त भी होती है तो कोई विरोध नहीं होगा। हालांकि पुलिस एक्शन मूड में आ गई है। लेकिन अभी वह सख्ती नजर नहीं आई है जो इस शहर को चाइना डोर से मुक्त कर दे। कलेक्टर और एसपी इस डोर की तिजारत से बेहद खफा हैं। अब नई योजना को मूर्त रूप देना होगा।

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प्रत्येक थाना प्रभारी को टॉस्क दिया जाए
किसी बड़े अपराध होने पर या शहर की कानून व्यवस्था सुदृढ़ बनाने के लिए एसपी प्रत्येक थाना प्रभारी को टॉस्क देते हैं। इसी प्रकार चाइना डोर के लिए जिले के हर थाना प्रभारी को टॉस्क देना होगा। वे अपने थाना क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं और किसी भी कीमत पर चाइना डोर से पतंग न उडऩे दें। थाना प्रभारी अपने क्षेत्र के उन युवाओं की मीटिंग बुलाएं जो समय-समय पर पुलिस को सहयोग देते हैं। इन शांति दूतों को जिम्मेदारी दी जाए। शांति दूत अपने इलाकों में नजर रखें। पुलिस निष्पक्षता के साथ कार्रवाई करे। सिर्फ उसके खिलाफ ही कार्रवाई करे जिसके पास चाइना डोर है।

पतंगबाज बताएंगे डोर किसने दी
चाइना डोर बेचने वाले पुलिस और उसके मुखबिर से ज्यादा शातिर हैं। वे खुद नहीं बेच रहे हैं। उन्होंने भी अपने अपने एजेंट बना रखे हैं। ये एजेंट बच्चों को गुमराह करते हैं। कहते हैं कि हर साल ऐसा ही होता है। कलेक्टर प्रतिबंध लगाते हैं, पुलिस कार्रवाई करती है, लेकिन कुछ नहीं होता। पिछले साल भी लाखों का कारोबार हुआ। पतंग उड़ाने वाले नासमझ बच्चे इन एजेंटों के बहकावे में आ जाते हैं और बड़ी कीमत चुका कर चाइना डोर खरीद लेते हैं। इसके लिए सबसे अच्छा तरीका यह है कि पुलिस सादी वर्दी में तैनात रहे और पतंग उड़ाने वालों को दबोचे। यह पतंगबाज बता देंगे कि उन्होंने डोर किससे खरीदी है। इस तरह पुलिस उन लोगों तक पहुंच सकती है जो डोर का कारोबार कर रहे हैं।

एक जुलूस से ही हालत खस्ता हो जाएगी
लोगों का कहना है कि पुलिस अपराधियों का मौका मुआयना करती है। गुंडों का आतंक खत्म करने के लिए जुलूस निकालती है। सिर्फ एक जुलूस की दरकार है। सभी थाना क्षेत्रों से चाइना डोर बेचने वालों को एकत्रित किया जाए और चिमनगंज मंडी पुलिस ने जिस तरह दो बार मौका मुकायना किया है वैसा ही सबक सिखाया जाए। फिर देखिए, यह पतंगबाज और चाइना डोर वाले अपने आप सीधे हो जाएंगे। शहर के जिम्मेदार लोग पुलिस के इस अभियान का समर्थन करेंगे।

थाना प्रभारियों का सम्मान किया जाए
यदि थाना प्रभारी अपने क्षेत्र को चाइना डोर से मुक्त कर देते हैं तो सार्वजनिक रूप से उनका सम्मान किया जाए। शहर में ऐसे कई उद्योपति और व्यापारी हैं जो इस अभियान में प्रशासन को सहयोग दे सकते हैं। उनके सौजन्य से थाना प्रभारियों को सम्मानित किया जा सकता है। इस समय शहर का हर व्यक्ति चाइना डोर से दु:खी है, परेशान है।

अपना शहर प्रदेश में अव्वल रहे
अपने शहर ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर कई रिकॉर्ड कायम किए हैं। गिनीज बुक, लिम्का बुक और गोल्डन बुक और रिकॉड में उज्जैन का नाम दर्ज है। अब प्रशासन चाहे तो चाइना डोर के मामले में अपना शहर पूरे प्रदेश में अपना नाम रोशन कर सकता है। कारण यह है कि चाइना डोर का प्रभाव और दुष्प्रभाव सिर्फ यहीं नहीं है। पूरा प्रदेश चाइना डोर की चपेट में है। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने महाकाल के भ्रष्टाचारियों को बेनकाब कर पूरे देश के लोगों का ध्यान खींचा है। महाकाल मंदिर की खबर सोशल मीडिया और प्रिंट माध्यम से पूरे देश में प्रसारित हुई है। इधर प्रदीप के पंच भी चर्चित हुए है। ऐसे में पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा भी अपने जिले को चाइना डोर से मुक्त करवा कर बड़ा काम कर सकते हैं।

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