नकली कांस्टेबल के महंगे शौक सस्ते प्लॉट का झांसा, 34 लाख ठगे

शाजापुर पुलिस आरक्षक का आइडी कार्ड बनवाकर ठगता था लोगों को, पुलिस ने किया गिरफ्तार
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!
अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। पुलिस से दोस्ती, उनके संपर्क में रहकर पुलिस के कामकाज के तरीके सीखने के बाद एक युवक ने पुलिस की वर्दी सिलवाई, मध्यप्रदेश पुलिस का बेल्ट हासिल किया और फिर शुरू किया ठगी का कारोबार। युवक ने न सिर्फ परिचितों को ठगा, बल्कि रिश्तेदारों को भी नहीं छोड़ा। उससे परिजन ने अपने रिश्ते तोड़ लिए लेकिन उसका ठगी का सिलसिला नहीं थमा। उसने 34 लाख रुपए ठग लिए।
ठगाए लोगों ने शिकायत की तो पुलिस ने उसे दबोचा। अब वह असली पुलिस के रिमांड पर है। राघवी थाना प्रभारी वीरेन्द्र बंदेवार ने बताया कि नागझिरी और ढांचा भवन में रहने वाले दो लोगों ने थाने में शिकायती आवेदन दिया था जिसमें उल्लेख था कि ग्राम जगोटी थाना राघवी में रहने वाले विशाल पिता अजय शर्मा ने उन्हें उज्जैन में विकास प्राधिकरण की कॉलोनी शिवांगी परिसर में सस्ते रेट पर प्लाट दिलाने के नाम पर 13 लाख 55 हजार रुपए लिए लेकिन प्लाट नहीं दिलवाए। उससे रुपए वापस मांगे तो विशाल ने रुपए भी वापस नहीं किए।
पुलिस ने आवेदन की जांच पर विशाल शर्मा के खिलाफ धारा 420, 419, 406 का केस दर्ज कर तलाश शुरू की।
नीलगंगा रोड पर घूमता मिला बदमाश- विशाल उर्फ लखन 28 साल निवासी ग्राम जगोटी हाल मुकाम न्यू देवास कालोनी डी. मार्ट के पास महाकाल बिल्डिंग जिला देवास को पुलिस ने उज्जैन रेलवे स्टेशन के प्लेट फार्म 6 के बाहर नीलगंगा रोड से गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसने कबूला कि उसके द्वारा अब तक 14 लोगों से अलग-अलग जगहों से लाखों की धोखाधड़ी की है।
पुलिस ने विशाल की तलाशी लेकर उसके कब्जे से आधार कार्ड, एस.बी.आई. का एटीएम कार्ड, पेन कार्ड, कर्नाटक बैंक का एटीएम कार्ड, वीवो कंपनी का एक मोबाइल तथा मप्र पुलिस की वर्दी में फोटो युक्त म.प्र. पुलिस का मोनो वाला आइडी कार्ड, एवं नकदी 25 हजार रुपए जब्त कर फर्जी इंस्टाग्राम अकाउंट की जांच शुरू की।
वर्दी पहनकर लोगों को बनाता था शिकार
पुलिस ने बताया कि विशाल ने जालसाजी और धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए बड़े ही सुनियोजित तरीके अपनाए। उसने जिला शाजापुर से पुलिस विभाग का आरक्षक पद का फर्जी पुलिस आइडी कार्ड बनवाया और इसे अपनी असली पहचान की तरह इस्तेमाल किया। वह पुलिस की वर्दी पहनकर खुद को एक सच्चा पुलिसकर्मी दिखाता था, जिससे आम जनता उस पर भरोसा कर लेती थी। इसके अलावा वह इंस्टाग्राम पर पुलिस की वर्दी में तस्वीरें पोस्ट करता था।
लोगों को बताई अफसरों से पहचान
विशाल ने अपनी योजनाओं को और मजबूत बनाने के लिए प्राधिकरण की कॉलोनी शिवांगी परिसर का इस्तेमाल किया। उसने वहां यह झूठ फैलाया कि उसकी प्राधिकरण के सीईओ से अच्छी पकड़ है। इसी झूठे दावे के आधार पर वह लोगों को बाजार मूल्य से कम कीमत पर प्लॉट दिलाने का झांसा देता था। इस तरह के आकर्षक प्रस्ताव से उसने कई लोगों को अपने जाल में फंसाया। पीडि़तों को विश्वास दिलाने के लिए उसने अपने पुलिसकर्मी होने का झूठा रुतबा भी दिखाया।
माता-पिता ने संबंध तोड़े, पत्नी भी छोडक़र चली गई
विशाल शर्मा द्वारा लोगों से ठगी कर रुपए कमाने की बात जब उसके माता-पिता को पता चली तो उन्होंने पहले तो बेटे को समझाया, लेकिन वह नहीं माना तो परेशान होकर परिजन ने अखबार में उससे संबंध विच्छेद की जाहिर सूचना प्रकाशित करवाई। वहीं उसकी पत्नी ने भी विशाल से संबंध तोड़ लिए। वह ठगी की वारदातें करता रहा। खास बात यह कि पुलिस में शिकायत होने पर ठिकाने भी लगातार बदलता रहता था।
ग्राम रक्षा समिति सदस्य रहते हुआ पुलिस से संपर्क- टीआई बंदेवार ने बताया कि विशाल पूर्व में ग्राम रक्षा समिति का सदस्य रह चुका है। इसी दौरान वह पुलिसकर्मियों के संपर्क में रहा और पुलिस के रहन सहन व कामकाज करने के तौर तरीकों को सीखा। जब उसे विश्वास हो गया कि वह पुलिस की वर्दी का इस्तेमाल कर सकता है तो उसने न सिर्फ वर्दी सिलवाई बल्कि म.प्र. पुलिस का मोना, बेल्ट भी हासिल कर लिया। पुलिस ने उसे महिदपुर कोर्ट में पेश कर दो दिन की रिमांड पर लिया है। विशाल ने पूछताछ के बाद कबूला कि उसने अब तक 14 लोगों से प्लॉट और दुकान दिलाने का झांसा देकर कुल 34,17,000 रुपए की ठगी की है।