13 मार्च को भद्रा, मध्यरात्रि के बाद होलिका दहन शुभ

सुबह 10.23 से रात 11.30 बजे तक रहेगी पृथ्वीवासी भद्रा

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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। होलिका दहन पर इस बार भद्रा का साया रहेगा। 13 मार्च को सुबह 10.23 बजे से रात 11.30 बजे तक पृथ्वीवासी भद्रा रहेगी। मान्यता के अनुसार भद्रा में मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए। ऐसे में भद्रा के मुख एवं मध्य भाग को छोडक़र पूंछ वाले भाग के शाम 7.40 बजे के बाद होलिका पूजन किया जा सकेगा। वहीं होलिका दहन भद्रा समाप्ति के बाद होगा।

ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक धर्मशास्त्र में भद्रा को लेकर अलग-अलग तरह के मत हैं। खासकर भद्रा के वास को लेकर शास्त्रों में कई निर्देश दिए हैं क्योंकि भद्रा का वास आकाश, धरती और पाताल तीनों में रहता है। हर लोक में इसके वास का प्रभाव अलग बताया गया है। इस बार 13 मार्च को भद्रा का वास पृथ्वी पर रहेगा जो ठीक नहीं माना जाता।

ऐसे में शास्त्र का मत है कि विशेष पर्वकाल के समय भद्रा पूंछ पर विचार करना चाहिए क्योंकि इसमें कई नाडिय़ां होती हैं और हर नाड़ी का अलग प्रभाव होता है। इनके चौथे भाग में भद्रा का दोष मान्य नहीं रहता इसलिए १३ मार्च को भद्रा के पूंछ वाले भाग में 7.40 बजे के बाद होलिका का पूजन किया जा सकेगा। वहीं होलिका दहन भद्रा समाप्ति के बाद होगा।

धर्म की जीत का प्रतीक

हिंदू पंचांग के मुताबिक फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन रंगों वाली होली खेली जाती है जिसे धुलेंडी भी कहा जाता है। होलिका दहन के दिन को अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक माना जाता है।

महाकाल के आंगन में सबसे पहले होली

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में हमेशा की तरह सबसे पहले होलिका दहन होगा। मंदिर की परंपरा अनुसार 13 मार्च को संध्या आरती के बाद शाम 7.30बजे पंडे-पुजारी होलिका का पूजन करेंगे जिसके बाद दहन किया जाएगा। इसके बाद शहर में अन्य जगहों पर होलिका दहन होगा। 14 मार्च को धुलेंडी पर भस्मार्ती में होली मनाई जाएगी। भगवान महाकाल को हर्बल गुलाल लगाया जाएगा और भक्तों के साथ भी होली खेली जाएगी।

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