मामला उत्तम स्वामी के साथ कारोबारी और उनकी पत्नी का गर्भगृह में प्रवेश करने का
अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। महाकाल मंदिर में दो संतों के साथ दो श्रद्धालुओं के गर्भगृह में प्रवेश को लेकर एक बार फिर व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े हो रहे हैं। गर्भगृह में प्रवेश प्रतिबंधित होने के बावजूद किस तरह से श्रद्धालु प्रवेश कर गए, इसे लेकर हंगामा मचा हुआ है। मामले में कलेक्टर का कहना है कि उनकी परमिशन नहीं थी लेकिन वह सामान्य व्यक्ति नहीं बल्कि पद्मभूषण से सम्मानित हैं।
दरअसल, सोमवार दोपहर अभा अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्रपुरी जी महाराज तथा संत उत्तम स्वामी जी महाराज भगवान महाकाल के दर्शन करने के लिए मंदिर पहुंचे थे। इसी दौरान एक पुरुष और महिला ने भी गर्भगृह में प्रवेश किया था। दोनों की पहचान अरबपति व्यवसायी और कल्याणी समूह के संस्थापक और चेयरमैन बाबा साहेब नीलकंठ कल्याणी और उनकी पत्नी के रूप में हुई थी।
मौके पर अधिकारी-कर्मचारियों की मौजूदगी के बाद भी हुई इस घटना ने मंदिर की व्यवस्थाओं को सवालों के कठघरे में खड़ा कर दिया था। हालांकि, मामले में कलेक्टर एवं महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष नीरज कुमार सिंह का कहना है कि कारोबारी नीलकंठ कल्याणी और उनकी पत्नी के पास परमिशन नहीं थी, वे उत्तम स्वामी जी के साथ गर्भगृह में गए थे। वह सामान्य व्यक्ति नहीं बल्कि पद्मभूषण से सम्मानित हैं। ड्यूटी पर मौजूद अधिकारी एवं कर्मचारियों पर कार्रवाई करने के सवाल पर कलेक्टर बोले इसमें उनकी भी गलती नहीं है।
युवक को भेज चुके जेल
गर्भगृह में प्रवेश की घटना नई नहीं है। करीब दो माह पहले भी एक युवक एक महामंडलेश्वर के पीछे-पीछे गर्भगृह में घुस गया था। जिसके बाद उसे पकडक़र महाकाल पुलिस के हवाले किया गया था। मामले में कार्रवाई करते हुए उसे जेल भेज दिया गया था। अब सवाल यह उठे रहे हैं कि श्रद्धालुओं के साथ अधिकारी दोहरा रवैया क्यों अपना रहे हैं।
कौन हैं बाबा साहेब नीलकंठ कल्याणी
बाबा साहेब नीलकंठ कल्याणी एक भारतीय अरबपति व्यवसायी हैं, जिन्होंने कल्याणी समूह की प्रमुख कंपनी भारत फोर्ज के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में कार्य किया जो जर्मनी की थिसेनक्रुप के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी फोर्जिंग निर्माता कंपनी है। व्यापार एवं उद्योग में योगदान के लिए उन्हें वर्ष २००८ में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया जा चुका है।
गर्भगृह में कब से प्रवेश बंद
4 जुलाई 2023 को श्रावण में आने वाली दर्शनार्थियों की भीड़ को देखते हुए 11 सितंबर 2023 तक के लिए गर्भगृह में प्रवेश बंद किया गया था। तब मंदिर समिति ने कहा था कि श्रावण खत्म होते ही गर्भगृह आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा। अब डेढ़ साल से अधिक समय बीतने के बाद भी गर्भगृह में प्रवेश शुरू नहीं किया गया है।
प्रवेश ना देने के यह कारण भी
मंदिर के शिवलिंग क्षरण को लेकर लगी याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए मंदिर समिति से सुझाव मांगे थे। एक सुझाव यह भी था कि गर्भगृह में श्रद्धालुओं की संख्या को सीमित किया जाए। इसके बाद मंदिर समिति ने दोपहर 12 से 5 बजे तक ही गर्भगृह में श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति दी थी। जिओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने कई बार जांच की।
रिपोर्ट कोर्ट सहित कलेक्टर एवं अन्य अधिकारियों को सौंपी थी। इसके बाद समिति ने तय किया कि गर्भगृह आम श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया जाए।
महाकाल लोक बनने से पहले महाकाल मंदिर में रोजाना हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। अक्टूबर 2022 में महाकाल लोक बनने के बाद भक्तों की संख्या में चार गुना वृद्धि हो गई। इतनी बड़ी संख्या में भक्तों को गर्भगृह में प्रवेश देना नामुमकिन है इसीलिए प्रवेश पर रोक का एक कारण यह भी हो सकता है।