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सावन के 9 दिन में 1.90 करोड़ रुपए का लड्डू प्रसाद ले गए महाकाल से

पहले सोमवार साढ़े 54 क्विंटल प्रसाद बिका था, दूसरे के लिए 70 क्विंटल लड्डू बनवाने की तैयारी में

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अक्षरविश्व न्यूज|उज्जैन। देशभर से श्री महाकालेश्वर मंदिर आए दर्शनार्थी सावन के पहले नौ दिन (11से 19 जुलाई) करीब 1 करोड़ 90 लाख रुपए का लड्डू प्रसाद ले गए हैं। सर्वाधिक 26 लाख रुपए के लड्डू प्रसाद की बिक्री सावन के पहले सोमवार को हुई है। इस दिन 54.48 क्विंटल लड्डू प्रसाद बिका था।

शनिवार को यह आंकड़े सामने आए हैं। सावन 11 जुलाई से शुरू हुआ है। महाकाल मंदिर सूत्रों के मुताबिक आम दिनों में करीब १५ क्विंटल होने वाली लड्डू प्रसादी की खपत सावन माह में बढक़र 40 क्विंटल से अधिक हो गई है। विशेष कर सावन सोमवार को डिमांड अधिक होती है। मंदिर सूत्रों के मुताबिक सावन के पहले सोमवार की बिक्री को देखते हुए दूसरे सोमवार पर मंदिर समिति करीब ७० क्विंटल लड्डू प्रसाद काउंटर पर लाने के प्रयास है। इसके लिए लड्डू बनाने की तैयारी शनिवार से शुरू हो गई।

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400 रुपए किलो का भाव- छोटे पैकेट्स से मिलते हैं 500

श्री महाकालेश्वर मंदिर समिति ने लड्डू प्रसाद का भाव 400 रुपए प्रतिकिलो तय किया है। लेकिन छोटे पैकेट के जरिए लड्डू प्रसाद 500 रुपए किलो बिकता है। काउंटर पर एक किलो का पैकेट 400और 500 ग्राम का पैकेट 200 रुपए किलो में बेचा जाता है। जबकि 200 ग्राम का 100 और 100 ग्राम का 50 रुपए मे बेचा जाता है। लेकिन मंदिर समिति 500 ग्राम और 1 किलो वजन के कम पैकेट बनाती हैं। जबकि 200 ग्राम और 100 ग्राम के पैकेट अधिक होते हैं। छोटे पैकेट मेें लड्डू का भाव 500 रुपए किलो मिलता है। जिम्मेदार अधिकारी छोटे पैकेट का अधिक भाव महंगी पैकेजिंग को बताते हैं।

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शुद्धता के कारण पसंद किया जाता है महाकाल का लड्डू प्रसाद

भगवान श्री महाकालेश्वर का लड्डू प्रसाद शुद्धता और पवित्रता के साथ ही स्वाद में लाजबाव होने के कारण देशभर में पसंद किया जाता है। बाहर से आने वाले दर्शनार्थी इसे अपने साथ जरूर लेकर जाते हैं। लड्डू निर्माण में देसी घी, चने की दाल, रवा और ड्राय फ्रूट्स उपयोग किए जाते हैं। गुणवत्ता जांचने परखने के बाद सामग्री उपयोग की जाती है।

बेसन की क्वालिटी पर प्रसाद का स्वाद निर्भर करता है। इस कारण तैयार बेसन खरीदने के बजाय मंदिर समिति चने की दाल खरीदकर लड्डू निर्माण यूनिट में ही बेसन तैयार करती है। रवा ब्रांडेड मंगाया जाता है जबकि देसी घी उज्जैन दुग्ध संघ के सांची का उपयोग किया जाता है। काजू, किशमिश और इलायची भी बेहतर क्वालिटी की उपयोग की जाती है। शुद्ध सामग्री से साफ माहौल में बनने वाले लड्डू प्रसाद का पहले भगवान महाकाल को भोग लगता है, उसके बाद बिक्री के लिए काउंटर आता है।

 

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