जगन्नाथ मंदिर में मोबाइल पर बैन

ओडिशा में श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ( SJTA) ने पुरी मंदिर में अधिकारियों, पुलिसकर्मियों और सेवादारों के मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. यह फैसला शनिवार (20 सितंबर 2025) शाम को मंदिर की ‘छत्तीसा निजोग’ की बैठक में लिया गया. SJTA के मुख्य प्रशासक अरबिंद कुमार पाधी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि पहले चरण में मंदिर में पुलिस और अन्य अधिकारियों की तरफ से मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगाया जाएगा तथा बाद में इसका विस्तार सेवादारों तक भी किया जाएगा.
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SJTA के मुख्य प्रशासक अरबिंद कुमार पाधी ने कहा, “किसी भी आपात स्थिति या महत्वपूर्ण संदेशों के संचार के लिए अधिकारी निर्दिष्ट स्थान पर जाकर मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर सकेंगे. मंदिर के अंदर किसी को भी मोबाइल फोन का खुलेआम इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं होगी.” पाधी ने कहा कि मंदिर प्रशासन इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी करेगा. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर कोई अनुशासनहीनता में लिप्त पाया गया, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. पुरी जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं के मोबाइल फोन या कोई अन्य कैमरा उपकरण ले जाने पर पहले ही प्रतिबंध लगाया जा चुका है.
श्री जगन्नाथ मंदिर हिंदू तीर्थ स्थलों में से एक
पुरी, ओडिशा का श्री जगन्नाथ मंदिर न केवल भारत के प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थलों में से एक है, बल्कि यह भारतीय सभ्यता और संस्कृति की विविधता का अनोखा प्रतीक भी है. यह मंदिर भगवान जगन्नाथ (भगवान विष्णु/कृष्ण का रूप), उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को समर्पित है. हर साल लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं. विशेष रूप से जगन्नाथ रथ यात्रा एक वैश्विक उत्सव बन चुकी है, जिसमें देश-विदेश से भक्त बड़ी संख्या में शामिल होते हैं.
मंदिर का इतिहास और निर्माण
पुरी जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में गंगा वंश के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने करवाया था. यह मंदिर कलिंग स्थापत्य शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसमें विशाल शिखर, नक्काशीदार दीवारें और धार्मिक प्रतीकों से सुसज्जित गर्भगृह शामिल हैं. मंदिर की ऊंचाई लगभग 65 मीटर है. इसके शिखर पर स्थित नीलचक्र (धातु का चक्र) मंदिर का एक विशेष प्रतीक है. जगन्नाथ धाम चार धामों (बद्रीनाथ, द्वारका, रामेश्वरम और पुरी) में से एक है, जिसे हिंदू धर्म में मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है.