कार्तिक मास में तुलसी की पूजा कैसे करें?

कार्तिक मास हिंदू कैलेंडर का आठवां महीना होता है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दौरान स्नान, दान और तुलसी पूजा करने से विशेष पुण्य मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस महीने में दीपावली के बाद धनतेरस, गोवर्धन पूजा, भाई दूज और तुलसी विवाह जैसे कई महत्वपूर्ण त्यौहार मनाए जाते हैं.
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कार्तिक मास में तुलसी की पूजा क्यों की जाती है?
यह माह मुख्य रूप से प्रभु श्रीहरि की उपासना के लिए समर्पित माना जाता है. इसी के साथ इस माह में तुलसी पूजा का भी विशेष महत्व माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कार्तिक के माह में पवित्र नदी में स्नान और दान करने से साधक पर देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है.
कहा जाता है कि इस महीने में विष्णु भगवान जल में निवास करते हैं. इस महीने में तुलसी और जो मनुष्य कार्तिक में आंवले की जड़ में भगवान् विष्णुकी पूजा करता है, उसके सभी कष्ट का निवारण श्री विष्णु करते हैं.
कार्तिक मास में तुलसी पूजन विधि
कार्तिक मास में तुलसी की पूजा के लिए, सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, फिर तुलसी को जल चढ़ाएं, सिंदूर और लाल फूल अर्पित करें और घी का दीपक जलाएं.
शाम को भी दीपक जलाना चाहिए. तुलसी स्त्रोत या मंत्रों का पाठ करें और भगवान विष्णु व लक्ष्मी का ध्यान करें. अंत में फल या मिठाई का भोग लगाकर प्रसाद बांट दें.
सफाई और सजावट: सुबह सबसे पहले घर और पूजा स्थल की सफाई करें. घर के आंगन या बालकनी में तुलसी के पौधे के आसपास रंगोली बनाएं.
तुलसी का श्रृंगार: तुलसी के पौधे को लाल और पीली वस्त्र पहनाएँ, कुमकुम लगाएं, और फूल, हल्दी-चूड़ा आदि अर्पित करें.
अर्घ्य और तिलक: तुलसी में जल चढ़ाएं. रोली या लाल सिंदूर से तिलक करें और उसके ऊपर तिल भी चढ़ाएँ, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि तिल चटकने से कष्टों का नाश होता है.
प्रसाद: तुलसी को मिठाइयां और भोग अर्पित करें.
दीपदान: कार्तिक मास के हर दिन शाम को तुलसी के पास दीपक जलाना शुभ होता है.
आरती: अंत में तुलसी और भगवान विष्णु की आरती करें.
प्रदक्षिणा: अपनी किसी मनोकामना के लिए सुबह-शाम (सूर्य ढलने से पहले) तुलसी की तीन बार परिक्रमा करें.
कार्तिक मास में तुलसी पूजा का महत्व
कार्तिक के महीने में रोजाना सुबह स्नान के बाद तुलसी को जल चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है, इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है. इस उपाय से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. साथ ही, तुलसी माता को जल अर्पित करते समय “ऊं नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप जरूर करें.
पापों का नाश: शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास में तुलसी पूजा करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है.
कष्टों का निवारण: जो मनुष्य कार्तिक मास में तुलसी की पूजा करता है, उसके सभी कष्टों का निवारण श्री विष्णु करते हैं.
सुख-समृद्धि: इस महीने में तुलसी पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और संतति सुख में वृद्धि होती है.
भगवान विष्णु की कृपा: कार्तिक मास में तुलसी के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है.
कार्तिक मास में तुलसी पूजा मंत्र
1. वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।
2. ॐ तुलस्यै नमः
तुलसी माता की आरती
जय जय तुलसी माता,
मैया जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता,
सबकी वर माता ॥
॥ जय तुलसी माता…॥
सब योगों से ऊपर,
सब रोगों से ऊपर ।
रज से रक्ष करके,
सबकी भव त्राता ॥
॥ जय तुलसी माता…॥
बटु पुत्री है श्यामा,
सूर बल्ली है ग्राम्या ।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे,
सो नर तर जाता ॥
॥ जय तुलसी माता…॥
हरि के शीश विराजत,
त्रिभुवन से हो वंदित ।
पतित जनों की तारिणी,
तुम हो विख्याता ॥
॥ जय तुलसी माता…॥
लेकर जन्म विजन में,
आई दिव्य भवन में ।
मानव लोक तुम्हीं से,
सुख-संपति पाता ॥
॥ जय तुलसी माता…॥
हरि को तुम अति प्यारी,
श्याम वर्ण सुकुमारी ।
प्रेम अजब है उनका,
तुमसे कैसा नाता ॥
हमारी विपद हरो तुम,
कृपा करो माता ॥ [Extra]
॥ जय तुलसी माता…॥
जय जय तुलसी माता,
मैया जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता,
सबकी वर माता ॥