रिश्ते की गलतफहमियां गायब! जानें कैसे…

रिलेशनशिप में मन की बात कहना बहुत जरूरी है। ऐसा करने से न सिर्फ आपका तनाव दूर होता है, बल्कि आपका रिश्ता भी मजबूत होता है। जब आप अपने रिलेशनशिप में अपने साथी से खुलकर बात करते हैं तो आपका रिश्ता पहले से अधिक पारदर्शी, ईमानदार और मजबूत तथा खुशहाल बनता है। इसलिए अपने साथी से अपनी मन की बात साझा करें।
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गलतफहमियां दूर होती है
कई बार रिलेशनशिप में खुलकर बात ना होने की वजह से हमारा रिश्ता गलतफहमियों का शिकार हो जाता है। कई बार पार्टनर्स किसी बात को मन में दबाकर बैठ जाते हैं जो धीरे-धीरे एक बड़ी समस्या में बदल जाता है, जिसके कारण आपके रिश्ते पर गलत असर पड़ता है। अगर आपको अपने पार्टनर्स की कोई बात बुरी लगी हो या पसंद ना आई हो तो शांत मन से उसके बारे में अपने साथी से बात करें। आपसी बात से आप एक दूसरे की भावनाओं को समझ सकते हैं और एक दूसरे की बेहतर ढंग से मदद कर सकते हैं।
तनाव कम होता है
जब आप अपने मन की बातों को साझा नहीं कर पाते तो आप मानसिक रूप आस्वस्थ महसूस करते हैं और आपका मानसिक तनाव भी बढ़ता है। अपने साथी से अपने मन की बातों को साझा करें। अपने डर, खुशी, विश्वास और अविश्वास हर छोटी-बड़ी बातों को अपने साथी के साथ साझा करें। ऐसा करने से आपके बीच आपसी बात-चीत बढ़ेगा और आप एक दूसरे को ज्यादा बेहतर समझ पाएंगे तथा बातों के बहाने आप एक दूसरे के साथ अच्छा समय बिता पाएंगे। यह सभी बिंदु आपके तनाव को कम करने में काफी मददगार साबित होंगे।
रिश्ता मजबूत होता है
जब आप अपने साथी के साथ अपनी हर छोटी बड़ी बात शेयर करते हैं तो आपके रिश्ते में अधिक पारदर्शिता बनी रहती है। साथ ही आप अपने साथी पर अधिक भरोसा कर पाते हैं। अगर आप किसी बात से डरे हैं या किसी प्रकार की असुरक्षा की भावना आपके मन में है तो इसके बारे में अपने साथी से बात करें। हो सकता है, आप अपने पार्टनर से बात कर अपने डर पर काबू पा सके। जब आप अपने साथी से अपनी बातें साझा करते हैं तो आपके आपसी संबंधों के बेहतर होने की निश्चिता बढ़ जाती है।
इस तरह साझा करें मन की बात
शांत भाव से बात करें: अपने साथी से बात करते समय अपने मन को शांत रखें। गुस्से या तनाव की स्थिति में बात करने से बचें।
सही समय का चुनाव करें: जब आप दोनों अपने कार्यों से फ्री महसूस करें तब एक दूसरे से बात करें। ध्यान रखें जब आप बात करने का समय चुने उस समय आपके ऊपर किसी कार्य को जल्द खत्म करने का प्रेशर ना हो।
सकारात्मक शब्दों का चुनाव करें: आपसी बातचीत के दौरान अपने शब्दों का विशेष ध्यान रखें। सकारात्मक शब्दों का चुनाव करें। शब्द ही है जो आपके मन को शांत या अशांत कर सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप अपने बातचीत में सही शब्दों का प्रयोग करें।
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