बैकुंठ चतुर्दशी की रात… चांदी की पालकी में अपने धाम से निकले राजाधिराज, आतिशबाजी से स्वागत

द्वारकाधीश से भेंट करने पहुंचे भगवान महाकाल
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सौंप दिया इस सृष्टि का सब भार तुम्हारे हाथों में
अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। सृष्टि का भार अब भगवान विष्णु के हाथों में है। बैकुंठ चतुर्दशी की रात उनके मंदिर पहुंचकर बाबा महाकाल ने यह भार उन्हें सौंप दिया। मंदिर के अंदर का नजर नजारा बिल्कुल वैसा था जैसा दो राजाओं को कार्यभार सौंपने का रहता है। द्वारकाधीश का मंदिर मंत्रों से गूंज रहा था। बाहर पटाखे की अनुगूंज शहर को बता रही थी कि बाबा महाकाल और द्वारकाधीश के बीच बातचीत हो रही है। अलौकिक और मन को मोहने वाला दृश्य था। पूरी व्यवस्था पुजारी यानी राजाओं के पुरोहितों और सिपहसालारों के हाथों में थी। हर का हरि से मिलन हो गया। जयकारे लगे। बाबा चांदी की पालकी में ११.४५ बजे पहुंचे और २.२० पर पुन: अपने धाम को आ गए।
गुरुवार की रात महाकाल चौराहे से गोपाल मंदिर पर उत्सवी माहौल था। सर्द रात अपना असर दिखा रही थी, लेकिन बाबा के भक्तों का जोश और उत्साह उफान पर था। उमंग की गर्मी पटाखों में नजर आ रही थी। हर से हरि के मिलन को देखने के लिए हर भक्त बेताब था। जब भक्तों का सैलाब उमड़ता है और भक्ति चरम पर होती है तब सेना भी शिथिल पड़ जाती है। नजारा यही बता रहा था।
भक्त जगह से हिलने को तैयार नहीं थे
गर्भगृह में सृष्टि को सौंपने की तैयारी चल रही थी और बाहर भक्तों का हुजूम था जो अपनी जगह से हिलने को तैयार नहीं था। जब सवारी आई, बाबा महाकाल अपने धाम जाने को निकले तब पूरा इलाका जय महाकाल के जयकारों से गूंजने लगा। आलम यह था कि कई भक्त बाबा की सवारी के पीछे-पीछे चले और शिखर दर्शनम, पाप नाशनम् मंत्र का उच्चारण करते हुए शिखर दर्शन किए और घरों को लौट गए।
द्वारकाधीश की मोहिनी छवि
द्वारकाधीश की मनमोहिनी छवि पर कई कवियों ने ग्रंथ रच दिए हैं। उनकी छवि ऐसी ही नजर आ रही थी। रसखान ने लिखा है, मोर पखा सिर ऊपर राखियो, गुंज की माल गरे पहिरौंगी, वा मुरली मुरलीधर की अधरान धरि अधरा न धरौंगी। यही दृश्य विद्यमान था। गर्भगृह मोर पंखों से सज्जित था। अनेक प्रकार के पुष्पों से वातावरण महक रहा था। बाबा महाकाल द्वारकाधीश के सामने विराजे थे। दोनों ओर के पुरोहितों ने श्लोक वाचन शुरू किए। भगवान महाकाल को बिल्व पसंद है। द्वारकाधीश तुलसी की माला धारण करते हैं। लेकिन इस विधान में बाबा महाकाल को तुलसी और द्वारकाधीश को बिल्व की माला अर्पित की गई। दोनों के जयकारे लगे। हर से हरि का मिलन हो गया। विधि-विधान से द्वारकाधीश ने सृष्टि का भार अपने हाथों में ले लिया।
आतिशबाजी में तीन घायल
पटाखे छोडऩे पर 3 और एक चाकू के साथ पकड़ाया
उज्जैन। हरि-हर मिलन के दौरान हिंगोट और आतिशबाजी पर पुलिस द्वारा प्रतिबंध लगाया गया था। उसके बावजूद लोगों ने सवारी के दौरान न सिर्फ आतिशबाजी की बल्कि रस्सी बम भी हवा में उछाले जिसमें 3 लोग झुलस कर अस्पताल पहुंचे। महाकाल थाना पुलिस ने 4 युवकों को पकड़कर थाने पहुंचाया।
हर वर्ष हरि हरि मिलन पर लोगों द्वारा आतिशबाजी की जाती है। पुलिस द्वारा इस पर प्रतिबंध लगाया जाता है। लोग ऐसे प्रतिबंध को नहीं मानते और मनमानी कर पटाखे चलाते हैं। गुरूवार रात भगवान महाकाल की सवारी जब गोपाल मंदिर पहुंची तो रास्ते भर लोगों ने पटाखे चलाये। खास बात यह कि सवारी और गोपाल मंदिर पर हरि-हर मिलन के दौरान पटाखेबाजी को पुलिस अफसर रोक नहीं पाए। परिणाम यह रहा कि जलता हुआ रस्सी बम भीड़ में गिरा। इससे गौरव पिता अनिल निवासी अब्दालपुरा और निखिल पिता नंदकिशोर निवासी सांदीपनि नगर झुलस गए। युवकों ने डॉक्टर को बताया कि रस्सी बम उसकी तरफ किसी ने उछाले। एक बम को हाथ से रोका तो दूसरा पीठ पर गिरकर फट गया।
परिजन पहुंचे थाने
हरि-हर मिलन के दौरान पटाखे चलाने वाले श्याम सोनी निवासी भागसीपुरा, आर्यन शर्मा निवासी सतीगेट और लक्की चौधरी निवासी इंदौरगेट को पुलिस ने पकड़ा और थाने पहुंचाया। यही मौजूद नानाखेड़ा सीएसपी ने रेंडम चेकिंग शुरू की जिसमें इंदौर के नेहरू नगर में रहने वाला 17 वर्षीय युवक चाकू के साथ पकड़ाया। उसे पकड़कर महाकाल थाने भेजा गया।