पांच बुधवार दर्शन करने से मन की इच्छा पूरी करते हैं मंछामन गणेश

कमल पुष्प के ऊपर बैठी मुद्रा में रिद्धि-सिद्धि के साथ विराजे हैं श्रीगणेश
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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। भगवानों में प्रथम पूज्य श्रीगणेश की अपनी महिमा है। किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले विघ्नहर्ता की पूजा कर आशीर्वाद लिया जाता है। यंू तो भगवान श्रीगणेश के कई प्राचीन मंदिर हैं लेकिन बाबा महाकाल की नगरी में बाप्पा का ऐसा मंदिर है जो अपने आप में अद्भुत है। आज अनंत चतुर्दशी है अर्थात् गणेशोत्सव के समापन का दिन है, इस पावन पर्व की अंतिम बेला में हम आपका ऐसे ही गणपति मंदिर से परिचय करवा रहे हैं जो जितने प्राचीन हैं, उतने ही चमत्कारी भी।
गऊघाट क्षेत्र में भगवान श्रीगणेश का ऐसा ही एक मंदिर है जिसे मंछामन गणेश कहा जाता है। मंदिर के पुजारी पं. आशुतोष शास्त्री बताते हैं कि सृष्टि की रचना के समय से षड्विनायक हैं जिनमें से मंछामन गणेश भी एक हैं। इसका उल्लेख स्कंद पुराण, ब्रह्म वेवर्त पुराण और अधिकमास की कथा में मिलता है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान मंछामन गणेश कमल के पुष्प पर बैठी मुद्रा में रिद्धि-सिद्धि के साथ विराजित हैं जो लक्ष्मी के प्रदाता भी हैं। मंदिर की छत पर पत्थर से अष्टविनायक यंत्र बना है। इस मंदिर का निर्माण महाराज जयसिंह ने करवाया था।
सूर्यकुंड में दिखता है मूर्ति का प्रतिबिंब
मंदिर के सामने ही सूर्यकुंड है जिसके चारों ओर शिवालय हैं। कुंड का कोण ऐसा है कि मूर्ति का प्रतिबिंब जल में नजर आता है। हालांकि, अब यह कुंड जर्जर हो चुका है जिसके आसपास नहीं जाने के लिए सूचना भी लिखी हुई है। कुंड के चारों ओर झाडिय़ां भी उग आई हैं।
श्रद्धालुओं ने लिख दी मन की इच्छा
भगवान मंछामन गणेश के दर्शन करने आने वाले भक्तों ने मंदिर के पीछे की दीवार पर अपनी मनोकामना लिख छोड़ी है। अधिकांश ने परीक्षा में पास होने की कामना की है तो किसी ने आईफोन दिलवाने की प्रार्थना बाप्पा से की है। हालांकि, पुजारी पं. शास्त्री का कहना है कि दीवारों पर मनोकामना लिखने की कोई परंपरा नहीं है, श्रद्धालुओं ने बेवजह मंदिर की दीवारों को खराब कर दिया है।
मनोकामना के लिए गोबर से बनाते हैं स्वस्तिक
भगवान मंछामन गणेश के दर्शन के लिए आने वाले भक्त अपनी मन की कामना की पूर्ति के लिए मंदिर के पीछे गोबर से स्वस्तिक बनाते हैं। मनोकामना पूरी होने पर अपनी श्रद्धा अनुसार स्वर्ण एवं रजत स्वस्तिक भगवान को अर्पित करते हैं। पं. शास्त्री ने बताया कि पांच बुधवार भगवान के दर्शन करने से भी मनोकामना पूरी हो जाती है।