CM मोहन यादव ने डोंगला में हाईटेक तारा मंडल का किया लोकार्पण

डोंगला में भारतीय ज्ञान परंपरा पर राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ

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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शनिवार दोपहर उज्जैन पहुंचे। सीएम नागदा बायपास पर संत टाटम्बरी सरकार का आशीर्वाद लेने के बाद उनके आश्रम में पूजन में शामिल हुए। यहां से वे 35 किमी दूर डोंगला में हाईटेक तारा मंडल का लोकार्पण करने पहुंचे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने खगोल विज्ञान एवं भारतीय ज्ञान परंपरा विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ भी किया। कार्यशाला में देश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक और शिक्षाविद शामिल हुए

इस मौके पर सीएम ने कहा कि, उज्जैन कालगणना का सबसे बड़ा केंद्र है। आज सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन हो रहा है। यह हर साल होने वाली महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है। यह हमारा सौभाग्य है कि इसका केंद्र उज्जैन है। हमारी सरकार प्रयास कर रही है कि कालगणना के काल के केंद्र उज्जैन को एक बार फिर दुनिया के मानचित्र पर स्थापित किया जाए। सीएम ने वेधशाला में शंकु यंत्र के बारे में पहले खुद जानकारी ली और इसके बाद वहां मौजूद बच्चों और लोगों को इसके बारे में जानकारी दी।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पद्मश्री डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर वेधशाला में शंकु यंत्र के माध्यम से परछाई गायब होने की घटना देखने के बाद तारामंडल में प्रदर्शन भी देखा। कार्यशाला भारतीय खगोलशास्त्र की परंपरा और उसकी वैज्ञानिक प्रासंगिकता पर केंद्रित होगी। विशेषज्ञ भारतीय ज्ञान प्रणाली और आधुनिक विज्ञान के समन्वय पर विस्तृत विचार-विमर्श करेंगे। कार्यशाला में खगोल विज्ञान के साथ-साथ भारत की प्राचीन ज्ञान परंपराओं को आधुनिक विज्ञान से जोड़ने पर विचार करेंगे।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शुक्रवार को डोंगला पहुंचे। यहां उन्होंने स्कूल में लगे शंकु यंत्र को देखा और उसकी काम करने की विधि को समझा। यह यंत्र प्राचीन भारतीय विज्ञान पर आधारित है, जिससे सूरज की दिशा और समय का पता लगाया जाता है।

सीएम ने बच्चों को भी इस यंत्र के बारे में सरल भाषा में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पुराने समय में लोग ऐसे यंत्रों से समय और दिशा की जानकारी लेते थे। उन्होंने बच्चों से बातचीत की और उन्हें विज्ञान की पढ़ाई में रुचि लेने के लिए प्रोत्साहित किया।

यह उपकरण स्थापित है

सूर्य घड़ी: यह एक प्राचीन उपकरण है, जो सूर्य की स्थिति के आधार पर समय को मापता है।

दूरबीन: यह खगोलीय पिंडों का अवलोकन करने में मदद करता है।

खगोलीय यंत्र: वेधशाला में कई प्राचीन खगोलीय यंत्र स्थापित हैं, जो ग्रहों और तारों की स्थिति को मापने में मदद करते हैं जिनमें कुछ प्रमुख हैं।

सम्राट यंत्र: यह रात्रि के समय धु्रव तारे को देखने में मदद प्रदान करता है।

नाड़ी वलय यंत्र (धूप घड़ी): यह भारतीय मानक समय को ज्ञात करने में सहायक होता है।

 भित्ति यंत्र: इसके द्वारा सूर्योदय-सूर्यास्त की स्थिति का पता लगाया जाता है।

शंकु यंत्र: वर्ष में एक बार 21 जून को एक विशेष खगोलीय घटना होती है, जब दोपहर 12:28 बजे शंकु की छाया लुप्त हो जाती है। जिसे इस यंत्र द्वारा देखा जा सकता है। यह यंत्र दिशा ज्ञान में भी सहायक होता है। इस वेधशाला में 5 मीटर व्यास में 20 इंच का टेलीस्कोप स्थापित है।

अत्याधुनिक डिजीटल तारामंडल निर्माण

डोंगला में अत्याधुनिक डिजीटल तारामंडल की स्थापना की गई है। इस तारामंडल में 8 मीटर व्यास के एफआरपी डोम में ई-विजन 4 के डिजीटल प्रोजेक्टर एवं डिजीटल साउंड सिस्टम लगाया गया है, इस वातानुकूलित गोलाकार तारामंडल में 55 लोग एक साथ बैठकर आकाशीय रंगमंच की हैरतअंगेज और ब्रह्मांड में होने वाली घटनाओं का रोमांचक आनंद ले सकेंगे। इसके निर्माण पर लगभग 1.6 करोड़ खर्च हुए हैं। इस तारामंडल में हिंदी/अंग्रजी दोनों भाषाओं में निम्नलिखित फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा कि की इंक्रिडियल सन फेटू फ्रोम अर्थ टू द यूनिवर्स, बेक टू द मून फोर गुड, द होट एंड एनरजेटिक यूनिवर्स, व सन, सिजिंग अप स्पेस आदि।

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