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अभा कालिदास समारोह की तैयारियां पूरी सीएम शाम को करेंगे वर्चुअली शुभारंभ

पूर्व संध्या पर हुई संस्कृत आर्केस्ट्रा ने दिल जीता, सात दिनों तक चलेगी सांस्कृतिक श्रृंखला

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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। 67वां अभा कालिदास समारोह शनिवार शाम 4 बजे से प्रारंभ होगा। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति या राज्यपाल की गरिमा के अतिथि इस बार नहीं है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव वर्चुअली कार्यक्रम से जुड़ कर शुभारंभ करेंगे। प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल, संस्कृति मंत्री धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी और सारस्वत अतिथि श्रीमज्जदगुरु रामनुजाचार्य श्री स्वामी रत्नेशप्रपन्नाचार्य महाराज श्रीरामायण वेला श्रीधाम अयोध्या मंच पर मौजूद रहेंगे।

कालिदास संस्कृत अकादमी के निदेशक डॉ. गोविंद गंधे ने बताया कि देवप्रबोधनी एकादशी, 1 नवंबर को शाम 4 बजे भरत विशाला मंच पर शुभारंभ होगा। अतिथियों द्वारा राष्ट्रीय कालिदास चित्र एवं मूर्तिकला प्रदर्शनी का भी शुभारंभ किया जाएगा। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत गायिका सूर्या गायत्री (केरल) के सुगम व भक्ति संगीत की प्रस्तुति से होगी।

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संस्कृत आर्केस्ट्रा का नया प्रयोग
नृत्य और अभिनय जाह्नवी जोशी (दिग्दर्शन), वेदश्री बापट, कनक भिडे, ऑकार खांडेकर, चैतन्य अभ्यंकर, पूर्वश्री जावडेकर, दूर्वा आगाशे ने किया है। वादक अमेय किल्लेकर (कीबोर्ड), उदय गोखले (वायलिन), (हैंडसोनिक), शार्दूल मोरे (मृदंग, तबला, ढोलक) थे। संचालन आशीष आठवले ने किया। महाविद्यालय के प्राचार्य डा. मकरंद साखलकर ने कहा कि संस्कृत आर्केष्ट्रा केवल संगीत नहीं, बल्कि संस्कृत शिक्षण का प्रेरक प्रयोग है, जो भाषा को आधुनिक कलाओं से जोड़ता है। कार्यक्रम के अंत में दर्शकों ने खड़े होकर कलाकारों का अभिनंदन किया। समारोह में आज शाम ७ बजे से सूर्यागावत्री (कालीकट, केरल) द्वारा सुगम और भक्ति संगीत की प्रस्तुति दी जाएगी।

अकादमी में गूंजे संस्कृत के गीत
कालिदास संस्कृत अकादमी का प्रांगण शुक्रवार शाम सुमधुर संस्कृत गीतों से गूंजा। रत्नागिरी (महाराष्ट्र) के कलाकारों ने मधुराष्टकम स्रोत सहित कव्वाली, धीवर, बाल, पोवाड़ा, युग्म, व राष्ट्रभक्ति गीतों को संस्कृत में गाकर श्रोताओं को अद्भुत अनुभव कराया। समारोह के पूर्वरंग नांदी कार्यक्रम में संस्कृत आर्केस्ट्रा की यह शाम संस्कृत भाषा के पुनर्जागरण की सजीव मिसाल बन गई। आर्केस्ट्रा की निर्माता गोगटे जोगलेकर महाविद्यालय की संस्कृत विभागाध्यक्ष डा. कल्पना आठल्ये ने बताया कि संस्कृत आर्केस्ट्रा केवल सांस्कृतिक प्रस्तुति नहीं, बल्कि एक शैक्षणिक और सांस्कृतिक प्रयोग है, जो विद्यार्थियों में संस्कृत के प्रति आकर्षण, आत्मविश्वास और कलात्मक अभिव्यक्ति को बढ़ाता है। यह कार्यक्रम डेढ़ दशक बाद पुन: मंच पर लौटा है।

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सन् 2007 में रत्नागिरी में इसकी शुरुआत हुई थी, जिसके बाद 2007 से 2009 के बीच इसकी सात प्रस्तुतियां रत्नागिरी और गोवा में हुईं। अब लंबे अंतराल के बाद यह अनोखा संस्कृत वाद्यवृंद उज्जैन में गूंजा है। इसका संगीत संयोजन दीप्ति आगाशे ने किया है। गायन प्रस्तुति दीप्ति आगाशे, अभिजित भट्ट, मधुश्री वझे, सृष्टि तांबे, आदित्य लिमये ने दी है। कोरस में चिन्मयी टिकेकर, वैभवी जोशी ने सहयोग दिया है।

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