आसाराम के प्रति आस्था… जेल से पैरोल पर आए आसाराम के प्रति दीवानगी कम नहीं हो रही अनुयायियों की
अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए 1 माह की पैरोल पर आए आसाराम के प्रति लोगों की दीवानगी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। इंदौर आश्रम से मंगलनाथ मार्ग स्थित अपने आश्रम में आए आसाराम से मिलने के लिए उसके अनुयायियों में गजब की दीवानगी देखने को मिल रही है। हालात यह है कि बाहरी कोई भी व्यक्ति आश्रम के भीतर नहीं जा सकता।
आसाराम के सेवादारों ने गेट पर कब्जा जमा रखा है। न तो वे किसी से सीधे बात करते हैं और ना ही आसाराम के संबंध में कोई जानकारी देते हैं। कुरेदने पर यही जवाब मिलता है कि वे स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। कई बार तो गेट पर लोगों के विवाद भी हुए हैं। दो-तीन पुलिसकर्मी यहां मूकदर्शक बने देखे जा सकते हैं। आसाराम के सेवादारों में उत्तेजना है। बाहर से महंगी गाडिय़ां आश्रम के सामने रुकती है। सेवादारों को कोई पर्ची दिखाई जाती है और वे अंदर चले जाते हैं। यह पूरा दृश्य पिछले तीन-चार दिन से देखने को मिल रहा है।
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इलाज कराने धन्वंतरि आयुर्वेदिक चिकित्सालय पहुंचे
बताया जाता है कि आसाराम ने अपने सेवादारों से चिमनगंज मंडी स्थित धन्वंतरि आयुर्वेदिक चिकित्सालय में इलाज कराने की मंशा जताई। दो सेवादार वहां पहुंचे और 10 रुपए की पर्ची कटाई। कुछ देर बाद आसाराम मर्सीडिज से अपने सेवादारों के साथ चिकित्सालय के गेट पर उतरे। पहले से ही व्हीलचैयर तैयार थी। सबसे पहले वे डॉ. मनोज बघेल से मिले। अपनी परेशानी बताई। डॉ. बघेल ने सुझाव दिया कि डॉ. नृपेन्द्र मिश्र उनसे सीनियर हैं, उन्हीं से इलाज करवाएं।
शरीर जर्जर हो चुका है
डॉ. नृपेन्द्र मिश्र ने बताया कि आसाराम की उम्र बहुत हो गई है, शरीर जर्जर हो चुका है। उनमें आत्मशक्ति बहुत है। वे स्वयं आयुर्वेद के जानकार भी हैं। इस उम्र में कमर दर्द, घुटना दर्द, गर्दन दर्द की शिकायत हो ही जाती है। उनसे कहा गया है कि यहां मालिश की बेहतर व्यवस्था है। यदि वे कहेंगे तो वमन क्रिया भी करवाई जा सकती है।
इसमें इलाज कराने वाले मरीजों को तेल पिलाया जाता है। वमन में शरीर का टॉक्सिन बाहर आ जाता है। पाचन क्रिया भी ठीक हो जाती है। यह पूछे जाने पर क्या उन्हें वीआईपी सुविधा मिलेगी? डॉ. मिश्र ने कहा यहां ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। शनिवार को भी जब वह आए तो अस्पताल में मरीजों का सामान्य दिनों की तरह इलाज होता रहा। वे आएंगे तो सामान्य व्यक्ति की तरह ही उनका इलाज किया जाएगा।
डॉक्टर जेपी चौरसिया से मिले
आसाराम को बताया गया कि आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रिंसीपल डॉ. जेपी चौरसिया यहीं पर हैं। आसाराम ने उनसे मिलने की इच्छा जताई। वे उनके चैंबर में गए और करीब १५ मिनट तक वेलनेस सेंटर के बारे में जानकारी लेते रहे। डॉ. चौरसिया ने अक्षरविश्व को बताया कि यहां आयुर्वेदिक सुविधाएं वेलनेस सेंटर देखकर बड़े प्रसन्न हुए।
उन्हें सलाह दी गई कि इस उम्र में पंचकर्म ही सबसे मुफीद इलाज है। इससे शरीर के विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं। शरीर और मन को शांति मिलती है। प्रतिरक्षा प्रणाली को पुर्नजीवित करने में मदद मिलती है। पंचकर्म से पाचन तंत्र भी मजबूत होता है। डॉ. चौरसिया ने बताया कि वेलनेस सेंटर का इलाज सशुल्क है। यदि वे आएंगे तो सामान्य मरीज की तरह ही उनका इलाज किया जाएगा।
करीब 20 मिनट तक पंचकर्म पर चर्चा चली… व्हीलचैयर से आसाराम डॉ. नृपेन्द्र मिश्र के चैंबर में पहुंचे। उन्हें देखते ही डॉ. मिश्र पहचान गए। पूछा यहां कैसे आना हुआ? आसाराम ने अपनी परेशानी बताई। डॉ. मिश्र ने कहा आपकी उम्र ८५ की हो गई है, इसलिए पंचकर्म चिकित्सा ही बेहतर रहेगी। इसमें पत्रपिंड, स्वेदन, बस्ती कर्म, शिरोधरा, वमन, नासिका कर्म, विवेचन, निर्हुम, अनुवासन, नास्यम, रक्त मोक्षण, मालिश आदि से इलाज किया जाएगा। आसाराम कुछ देर के लिए सोचते रहे। बोले- यहां इलाज बहुत अच्छा होता है। मैं सोमवार को एक बार पुन: आऊंगा।
खबर मिलते ही अनुयायी दौड़े
राजेंद्र कोचर ने बताया कि आसाराम करीब डेढ़ बजे के लगभग धन्वंतरि आयुर्वेदिक चिकित्सालय पहुंचे थे। यह खबर मिलते ही आसपास के लोग उन्हें देखने के लिए अस्पताल की तरफ दौड़े।
आसाराम के साथ उनके सेवादार भी आए हुए थे। जो उनके आगे-पीछे चल रहे थे। गेट पर ही 10-12 लोग खड़े हो गए थे। किसी को अंदर नहीं जाने दे रहे थे। जब वे डॉ. नृपेन्द्र मिश्र और डॉ. जेपी चौरसिया के चैंबर में थे तब चैंबर के बाहर सुरक्षा अधिकारी के रूप में उनके चेले खड़े हुए थे। जब वे बाहर निकले तब दूर से ही उन्हें प्रणाम किया। आसाराम ने उनका प्रणाम स्वीकार किया। करीब 1 घंटे बाद अपने आश्रम के लिए रवाना हो गए।