नगर निगम की पीएचई के करोड़ो रु. लोगों पर बकाया…!

By AV NEWS

शहरवासी बोले- बिल ही नहीं आता,तो कैसे समझें कि हमे रु.देना है?

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन नगर निगम की पीएचई द्वारा वसूली नहीं किए जाने के चलते शहर के 60 हजार से अधिक जल उपभोक्ताओं पर निगम का करोड़ो रूपया जल कर का बाकी है। चर्चा करने पर लोगों का कहना है कि उनके यहां नल से पानी तो आता है लेकिन घरों पर बिल नहीं आता है। ऐसे में वे कैसे समझें कि उन्हे नगर नगम को जलकर के रूपए देना है? इस बात का जवाब अधिकारियों के पास नहीं है।

नगर निगम की पीएचई द्वारा नगर निगम सीमा में जलप्रदाय करने पर प्रतिवर्ष करोड़ो रूपए खर्च किए जाते हैं। गंभीर बांध से इंटेकवेल द्वारा पानी उलीचना और उसे अंबोदिया प्लांट पर श्ुाद्धिकरण हेत भेजना। इस कार्य पर जहां बड़ा अमला/संसाधन झोंका गया है वहीं बिजली भी खर्च होती है। अंबोदिया से शुद्ध जल शहरभर की टंकियों तक पहुंचता है। इसके बाद सप्लाय होती है। यह रोजाना का काम है जो तकनीकी खराबी या पाइप लाइन फूटने पर कभी-कभी पर आ जाता है।

नगर निगम जलप्रदाय को लेकर जितनी मशक्कत करता है,उतना परिश्रम घरों तक बकाया बिलों/मासिक बिलों को भेजने में नहीं करता। यही कारण है कि करोड़ो रूपया जल कर का लोगों पर बकाया है और निगम पीएचई का अमला बांट जोह रहा है कि लोग आएं तथा अपनी मर्जी से रूपए जमा करवा जाए। चर्चा में लोगों का कहना है कि पहले बिल आया करते थे। वे बिजली केिि बल की तरह नियमित रूप से रूपए जमा करवा देते थे। अब तो बिल ही आना बंद हो गए। कई को तो यह नहीं पता है कि उनके यहां जो कनेक्शन है,उसका कितना रूपया प्रतिमाह बनता है? इसके उलट अवैध नल कनेक्शन काटने का काम भी ठण्डा पड़ा हुआ है।

अमला ही नहीं,क्या करें: प्रकाश शर्मा

इस संबंध में जब निगम की महापौर परिषद के सदस्य एवं जल कार्य समिति के प्रभारी प्रकाश शर्मा से चर्चा की गई तो उन्होने कहाकि निगम की पीएचई के पास अमला ही नहीं है। ऐसे में हम लोगों के घरों तक बिल कैसे बंटवाए। यही कारण है कि जल कर का करोड़ो रूपया बाकी है लोगों पर। लोग पानी तो ले रहे हैं नल से लेकिन रूपए जमा नहीं करवा रहे हैं।

श्री शर्मा ने बताया कि एमआयसी में हमने पीएचई का जल कर जमा करवाने/शिकायत दर्ज करवाने संबंधी एप बनाकर डालने का प्रस्ताव स्वीकृत किया है। ऐसा होने पर लोगों को आसानी हो जाएगी। इस प्रश्न पर कि अधिकांश जल उपभोक्ताओं के पास बटनवाला मोबाइल फोन है,ऐसे में एप कैसे डाउनलोड होगा? उन्होने कहाकि उसका भी रास्ता निकालेंगे। बताया कि करीब 20 प्रतिशत उपभोक्ता ही हैं,जो नियमित रूप से राशि जमा करवाते हैं।

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