महाकाल मंदिर में 20 को मनेगी दीपावली

असमंजस का अंधेरा दूर : पर्व निर्णय सभा ने ऑनलाइन बैठक कर लिया फैसला
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अक्षरविश्व एक्सक्लूसिव
सुधीर नागर उज्जैन। इस बार दीपावली का पर्व मनाने के।लिए देश में असमंजस की स्थिति नहीं बनेगी, क्योंकि ऑनलाइन हुई पर्व निर्णय सभा ने 20 अक्टूबर को ही पूरे भारत में दीपावली मनाने का निर्णय लिया है। उज्जैन के महाकाल मंदिर में भी इसी दिन रोशनी का यह त्योहार मनाया जाएगा। महाकाल मंदिर में सबसे पहले यह पर्व मनाया जाता है।
महाकाल मंदिर के पुजारी आशीष गुरु ने बताया दीपावली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी। भगवान महाकाल अवंतिका (उज्जैन) के राजा माने जाते हैं। यहां सभी प्रमुख पर्वों का आरंभ मंदिर से ही होता है। हर साल मंदिर में दीपावली पर भस्मारती के दौरान भगवान को गर्म जल से स्नान कराया जाता है और उबटन लगाकर शृंगार किया जाता है। पुजारी परिवार की महिलाएं भगवान को केसर, चंदन, इत्र का उबटन लगाती हैं। भस्मारती के बाद फूलझड़ी जलाकर आरती की जाती है। अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।
इस बार भी दीपावली पर्व को लेकर असमंजस की स्थिति बनी थी, लेकिन इस बार विभिन्न पंचांगों में दीपावली की तिथि को लेकर चल रहे मतभेद को समाप्त करने की पहल की गई है। विद्वानों ने निर्णय लिया है कि पूरे भारत में दीपोत्सव 20 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। कुछ पंचांग 21 अक्टूबर को दीपावली बता रहे थे, वहीं सूर्यसिद्धांत पद्धति पर आधारित पंचांग 20 अक्टूबर को महापर्व मनाने की घोषणा कर रहे थे। इस मतभेद को लेकर पर्व निर्णय सभा ने ऑनलाइन बैठक का आयोजन कर 20 अक्टूबर को यह पर्व मनाने का निर्णय लिया है। बैठक में काशी, उत्तराखंड, राजस्थान सहित देश के कई प्रसिद्ध विद्वानों ने भाग लिया।
सभा की अध्यक्षता आचार्य डॉ. जगदीश चन्द्र भट्ट ने की और त्योहारों की एकरूपता पर जोर दिया। सभा ने एक राष्ट्र, एक पर्व के सिद्धांत को सर्वोपरि मानते हुए यह निर्णय लिया कि जिस दिन भारत सरकार द्वारा दीपावली का राष्ट्रीय अवकाश घोषित है, उसी दिन यह पर्व मनाया जाना चाहिए। बैठक में सभा के सचिव आचार्य डॉ. नवीन चन्द्र जोशी, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. विनय पांडे, वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय के डॉ. अमित मिश्र, बुद्धिबल्लभ पंचांग के सम्पादक आचार्य पवन पाठक, उत्तराखंड ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष आचार्य रमेश सेमवाल सहित अन्य विद्वान उपस्थित रहे।
इसलिए 20 को मनेगा पर्व
द्रिक पंचांग के अनुसार कार्तिक अमावस्या की शुरुआत 20 अक्टूबर को 3 बजकर 44 मिनट पर होगी और इसका समापन 21 अक्टूबर को प्रात: 5 बजकर 54 मिनट पर होगा। पंचांग के अनुसार दीपावली का पर्व 20 अक्टूबर के दिन मनाया जाएगा। इस दिन लक्ष्मी-गणेश पूजन का सबसे शुभ समय शाम 7 बजकर 8 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। इस अवधि को प्रदोष काल और स्थिर लग्न का संयोग कहा गया है। जीवाजी वेधशाला उज्जैन के अधीक्षक डॉ. आरपी गुप्त ने बताया वेधशाला के पंचांग के अनुसार भी 20 को ही दीपावली का पर्व है।










