धड़ल्ले से बनाई जा रहीं पीओपी की गणेश प्रतिमाएं

27 अगस्त से होगी दस दिवसीय गणेश उत्सव की शुरुआत, हर साल लगाया जाता है प्रतिबंध, इसके बावजूद खूब बिकती हैं प्रतिमाएं

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

अक्षरविश्व न्यूज|उज्जैन। पर्यावरण के लिए हानिकारक होने के बावजूद शहर में धड़ल्ले से प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) से भगवान श्रीगणेश की प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं। यह सब प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है लेकिन जिम्मेदार इससे बेखबर हंै। ऐसे में इस बार भी बाजार में बड़ी तादाद में प्रतिमाएं बिकने के लिए पहुंचेंगी। पीओपी से बनी इन प्रतिमाओं के नुकसान भी काफी हैं, यह पानी में नहीं घुलती हैं और प्रदूषण का कारण बनती हैं। इसके अलावा धार्मिक मान्यताओं की बात करें तो पौराणिक काल से मिट्टी से बनी प्रतिमाओं के पूजन का ही महत्व है।

दरअसल, २७ अगस्त से १० दिवसीय गणेशोत्सव की शुभ शुरुआत होगी। इसके लिए विभिन्न मंडलों और संस्थाओं द्वारा उत्सव को भव्य रूप से मनाने के लिए अपने-अपने स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं। गणेशोत्सव के लिए नानाखेड़ा क्षेत्र सहित शहर के अन्य इलाकों में रोड के किनारे टेंट लगाकर इन दिनों कलाकारों द्वारा दिन-रात पीओपी से प्रतिमाएं तैयार की जा रही हैं। इनमें से अधिकांश मूर्तियों बन चुकी हैं और बुक भी हो चुकी हैं। इसके अलावा जो भी मूर्तियां बनाई जा रही हैं वह भी ऑर्डर पर ही बनाई जा रही हैं। पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक होने के बावजूद प्रशासन का इस ओर ध्यान नहीं है और ना ही इस पर प्रतिबंध लगाया गया है।

मिट्टी से बनी प्रतिमाओं में रुझान कम

पीओपी से बनी प्रतिमाएं देखने में काफी आकर्षक होती है और लोग इन प्रतिमाओं को काफी पसंद करते हैं इसीलिए बड़ी तादाद में हर साल इन प्रतिमाओं का निर्माण किया जाता है, जबकि मिट्टी से बनाई गई प्रतिमाओं की संख्या काफी कम होती है और देखने में भी यह इतनी आकर्षक नहीं होती। हालांकि, पिछले कुछ सालों में पर्यावरण के प्रति लोगों में थोड़ी जागरूकता आई जिसके चलते मिट्टी की प्रतिमाएं की डिमांड भी कुछ बढ़ी है।

तीन माह पहले से लगाना चाहिए प्रतिबंध

गणेशोत्सव के लिए प्रतिमाओं को बनाने का काम पर्व के आगमन से दो से तीन माह पहले कलाकारों द्वारा शुरू कर दिया जाता है, जबकि प्रशासन पर्व से कुछ दिन पहले इस पर प्रतिबंध लगाता है तब तक अधिकांश प्रतिमाओं का निर्माण हो चुका होता है। यदि जिम्मेदार सख्ती से इस पर पहले से प्रतिबंध लगाएं और लगातार इसकी मॉनीटरिंग की जाए तो इसे काफी हद तक रोका जा सकता है।

Related Articles

close