Gayatri Mantra: से स्वतः मिलते हैं वरदान, जनें मंत्र का अर्थ, जाप विधि और मिलने वाला वरदान

Gayatri Mantraशास्त्रों के अनुसार गायत्री मंत्र को वेदों का सर्वश्रेष्ठ मंत्र बताया गया है. गायत्री मंत्र को महामंत्र भी कहा जाता है. सभी ऋषि और मुनि मुक्त कंठ से गायत्री का गुणगान करते हैं. भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में स्वयं कहा है कि ‘गायत्री छंदसामहम’ अर्थात गायत्री मंत्र मैं स्वयं ही हूं. आइए जानते हैं गायत्री महामंत्र का अर्थ, जाप करने का समय, विधि और वरदान के बारे में.

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

गायत्री महामंत्र का अर्थ:

 भूर्भुवस्वतत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो प्रचोदयात् ।।” अर्थात ‘उस प्राणस्वरुप, दुखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा का हम ध्यान करें. वह परमात्मा हमारी बुद्धि को संमार्ग में प्रेरित करे.  

गायत्री मंत्र के जाप करने का समय:

गायत्री मंत्र का जाप करने की विधि:

  • घर के मंदिर या किसी साफ जगह पर गायत्री माता का ध्यान करते हुए जाप करना चाहिए.
  • गायत्री महामंत्र का जाप स्नान आदि के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनकर करना चाहिए.
  • महामंत्र का जाप करते समय आरामदायक मुद्रा में बैठना चाहिए.
  • महामंत्र का जाप करने के लिए तुलसी या चन्दन की माला का प्रयोग करना चाहिए.
  • महामंत्र का जाप करते समय जल्दबाजी नहीं करना चाहिए.
  • महामंत्र का जाप तेज स्वर में नहीं करना चाहिए.

गायत्री महामंत्र के जाप से मिलने वाले वरदान:

  • व्यक्ति के अन्दर उत्साह और सकारात्मकता बढ़ने लगती है.
  • व्यक्ति का मन धार्मिक कार्यों में लगने लगता है.
  • व्यक्ति को पूर्वाभास भी होने लगता है.
  • व्यक्ति के अन्दर आशीर्वाद देने की शक्ति बढ़ने लगती है.
  • व्यक्ति को स्वप्न सिद्धि की प्राप्ति होने लगती है.
  • व्यक्ति का क्रोध भी शांत होने लगता होता है.
  • व्यक्ति की त्वचा में चमक आने लगती आती है.
  • व्यक्ति का मन बुराइयों से दूर होने लगता है.

Related Articles