अक्षरविश्व एक्सक्लूसिव: मथुरा से उज्जैन तक के स्थानों का होगा सर्वे, लगेंगे बोर्ड
सुधीर नागर उज्जैन। द्वापर काल में भगवान श्रीकृष्ण मथुरा से जब उज्जैन में पढऩे के लिए आए थे, तब उनके पग (चरण) किन किन स्थानों पर प्रमुख रूप से पड़े थे, उन स्थानों की खोज मध्यप्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार करा रही है। मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तरप्रदेश और गुजरात सरकारों के साथ मिलकर यह काम किया जाएगा। मध्यप्रदेश और राजस्थान ने इसके लिए काम शुरू कर दिया है। इस नए इतिहास को बनाने में उज्जैन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। श्रीकृष्ण पाथेय करीब एक हजार किलोमीटर का होने की संभावना है।
पांच हजार साल पहले भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, जिसे आज भी गीता जयंती के रूप में (इस बार 11 दिसंबर) मनाया जा रहा है। हरियाणा के कुरुक्षेत्र में 18 दिवसीय आयोजन चल रहा है। मध्यप्रदेश सरकार मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में श्रीकृष्ण पाथेय के रूप में एक नई इबारत लिखने जा रही है। श्रीकृष्ण पाथेय के लिए संयोजक की भूमिका निभा रहे उज्जैन के पुरातत्वविद डॉ. रमण सोलंकी ने बताया मध्यप्रदेश और राजस्थान में श्रीकृष्ण पाथेय पर काम शुरू हो चुका है।
मथुरा से भगवान श्रीकृष्ण राजस्थान में प्रवेश कर उज्जैन कैसे आए और किन किन स्थानों पर रुके, उनकी खोज की जा रही है। उज्जैन जिले के अंतर्गत महिदपुर के नारायणा में श्रीकृष्ण सुदामा मंदिर में आने के प्रमाण भी मिले हैं। राजस्थान में धरोहर प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकारसिंह लखावत के साथ भोपाल और उज्जैन में मीटिंग हो चुकी है। श्रीकृष्ण पाथेय की प्रामाणिक खोज के बाद उन स्थानों पर बोर्ड लगाएं जाएंगे और श्रीकृष्ण पाथेय अंकन के साथ इतिहास भी लिखा जाएगा, जिससे लोगों को यह पता चलेगा कि भगवान श्रीकृष्ण उस स्थान पर आए थे। इन स्थानों को धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।
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श्रीकृष्ण पाथेय पर मध्यप्रदेश और राजस्थान में काम शुरू, नारायणा में मिले प्रमाण
भोपाल और उज्जैन बने केंद्र
भोपाल में श्रीकृष्ण पाथेय ट्रस्ट बनाया गया है, जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री डॉ. यादव हैं।
उज्जैन में श्री विक्रमादित्य शोधपीठ को नोडल एजेंसी बनाया गया है।
उज्जैन में सर्वे टीम बनाई है, जिसमें पुरातत्वविद डॉ. रमण सोलंकी, पद्मश्री भगवतीलाल राजपुरोहित, सिंधिया प्राच्य विद्या शोध संस्थान के निदेशक डॉ. बालकृष्ण शर्मा, डॉ. प्रशांत पुराणिक, प्रो. शैलेन्द्र शर्मा, डॉ. प्रीति पांडे शामिल हैं।
मथुरा से प्रभास तक खोज
श्रीकृष्ण पाथेय के लिए मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में काम चल रहा है। हाल ही राजस्थान की एक टीम उज्जैन आई थी, उसने भी काम शुरू कर दिया है। भगवान श्रीकृष्ण मथुरा से चलकर राजस्थान होते उज्जैन आए थे और यहां से गुरुमाता के कहने पर प्रभास (गुजरात) गए थे। इस मार्ग के स्थानों को सर्वे में लिया गया है।
डॉ. रमण सोलंकी, संयोजक श्रीकृष्ण पाथेय टीम
गीता जयंती पर मप्र सरकार की नई पहल
25 करोड़ रुपयों से बनेगा गीता भवन
पट्टाभिराम मंदिर की 0.6 हेक्टेयर पर लेगा आकार, जल्द लगेगा टेंडर
गीता जयंती को मध्यप्रदेश में एक यादगार दिन बनाने के लिए सरकार सभी विधानसभा क्षेत्रों में गीता भवन बनाने जा रही है। उज्जैन में 25 करोड़ की लागत से एक भवन बनाने की योजना आकार ले रही है, जिसमें लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम भी होगा।
गीता भवन के लिए लोटि स्कूल के पास नीलगंगा क्षेत्र में पट्टाभिराम मंदिर की 0.6 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण प्रशासन द्वारा किया गया है। कलेक्टर नीरजकुमार सिंह ने बताया 25 करोड़ लागत से इस जमीन पर गीता भवन बनाया जाएगा। इसमें दो हजार लोगों की सीटिंग वाला ऑडिटोरियम बनाया जाएगा। इसके निर्माण के लिए जल्द ही टेंडर निकाला जाएगा। एजेंसी तय होने के बाद गीता भवन निर्माण का कार्य आरंभ होगा। इस तरह पूरे प्रदेश में गीता भवन बनाए जाएंगे।
लाइब्रेरी बताएगी गीता का इतिहास
प्रदेश के सभी गीता भवन में एक लाइब्रेरी भी होगी, जिसमें गीता और भगवान श्रीकृष्ण से संबंधित इतिहास होगा। लोग इनके माध्यम से गीता का इतिहास, जानकारी और अन्य महत्वपूर्ण चीजें जान सकेंगे। इस पहल से गीता के प्रति सरकार एक नया इतिहास भी जोड़ेगी। आज मंगलवार को भोपाल में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट मीटिंग में गीता भवनों के निर्माण को लेकर फैसला हो सकता है।