अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में बना सस्वर गीता पाठ का गिनीज वल्र्ड रिकार्ड

जनकल्याण पर्व और अभियान आरंभ होना सुखद संयोग: सीएम डॉ. यादव

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अक्षरविश्व न्यूज भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि यह सुखद संयोग है कि गीता जयंती पर प्रदेश में जनकल्याण पर्व और मुख्यमंत्री जनकल्याण अभियान का शुभारंभ हो रहा है। ११ से 26 दिसंबर तक चलने वाले जनकल्याण पर्व में कई विकास कार्यों के भूमि-पूजन और लोकार्पण होंगे। मुख्यमंत्री जनकल्याण अभियान में आज से 26 जनवरी 2025 तक गरीब, युवा, किसान और महिलाओं को समृद्धि के नए अवसर उपलब्ध कराते हुए 34 हितग्राही मूलक योजनाओं, 11 लक्ष्य आधारित योजनाओं और 63 सेवाओं का लाभ उपलब्ध कराना सुनिश्चित करने के उद्देश्य से घर-घर सर्वे किया जाएगा।

किसी पूजा पद्धति से हमारा विरोध नहीं

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा, किसी पूजा पद्धति से हमारा विरोध नहीं है। हमने इंद्र का दरबार नहीं देखा लेकिन आज उसका लघु रूप यहां दिखाई दे रहा है। 10 हजार श्लोक यहां पढ़े गए। 5 हजार साल पहले जो रिकॉर्ड बना था, उस समय गिनीज बुक नहीं थी। लेकिन उस समय भगवान के मुखारबिंद से निकले एक-एक शब्द लिपिबद्ध हुए थे। आज एमपी नहीं, दुनिया के अंदर पहली बार भगवान के मुंह से निकली गीता के पाठ का रिकॉर्ड बना है। आने वाले समय में इससे बड़ा कार्यक्रम कोई और करे तो हम आनंद में डूबेंगे।

गूगल पर गीता के बारे में सबसे ज्यादा सर्च
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता से जीवन सूत्र और मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए सभी देशों के लोग लालायित हैं। गूगल सर्च ईंजन बताता है कि विश्व में सर्वाधिक जिज्ञासा श्रीमद्भगवद्गीता् गीता के संबंध में ही है। विश्व के सभी धार्मिक ग्रंथों में गीता एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जो कर्म पथ, भक्ति मार्ग और शांति का संदेश देती है। सनातन संस्कृति और श्रीमद्भगवद्गीता जीवन की ऊथल-पुथल में शांति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। धर्म की जय हो-अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भाव हो और विश्व का कल्याण हो के वाक्य हमारी संस्कृति के मूल भाव को अभिव्यक्त करते हैं।

गिनीज बुक में दर्ज हुआ सस्वर गीता पाठ
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गीता महोत्सव के उपलक्ष में हजारों आचार्यों द्वारा एक साथ गीता के श्लोकों का वाचन करने का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स का प्रमाण-पत्र प्राप्त किया। लगभग 7 हजार से अधिक व्यक्तियों द्वारा सस्वर गीता पाठ किया गया, जिसमें 3 हजार 721 आचार्य तथा बटुक शामिल थे।

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