अच्छे भाव के इंतजार में रोकी सोयाबीन, जरूरत के हिसाब से बेच रहे

किसान बोले- 5 हजार रुपए प्रति क्विंटल के भाव मिलना चाहिए थे लेकिन 4100-4200 रुपए प्रति क्विंटल ही मिल रहे

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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। चिमनगंज स्थित कृषि उपज मंडी में इन दिनों किसान जरूरत के हिसाब से सोयाबीन बेचने के लिए पहुंच रहे हैं। भाव भी कम मिल रहे हैं लेकिन शादी का सीजन होने और नई फसल की बोवनी करने के चलते रुपए की जरूरत होने से उन्हें उपज बेचने के लिए मंडी पहुंचना पड़ रहा है। हालांकि, भाव कम होने से आवक भी कम है। अधिकांश किसान भाव बढऩे के इंतजार में उपज को रोक कर बैठे हैं। उनका कहना है कि 31 दिसंबर तक समर्थन मूल्य की खरीदी होगी, इसके बाद उपज बेचेंगे, उम्मीद हे तब भाव अच्छे मिलें।

सोमवार को कृषि उपज मंडी पहुंचे किसान फड़ के आसपास ट्रैक्टर-ट्रॉली खड़ी कर नीलामी शुरू होने का इंतजार करते हैं। किसानों के अनुसार दिनभर में 100 से 150 ट्रैक्टर ट्रॉली ही पहुंच रही है जो आवक के मान से काफी कम है। अमूमन दीपावली के बाद सोयाबीन बेचकर किसान अन्य फसलों की तैयारियों में जुट जाते हैं लेकिन इस बार भाव बढऩे के इंतजार में अधिकांश किसानों ने सोयाबीन रोक रखी है। वहीं कुछ जरूरत के मुताबिक बेच रहे हैं।

बारिश से गल गई थी फसल…
बारिश के सीजन के अंतिम दिनों में हुई जोरदार बारिश से खेतों में खड़ी सोयाबीन फसल को काफी नुकसान पहुंचा था। कई जगह फसल गल गई जिससे पैदावार भी कम हुई। जैसे-तैसे जो उपज निकली उसमें भी दाना छोटा होने के साथ दागदार हो गया। जिससे भाव भी कम मिले।

किसानों का कहना

5 हजार रुपए के भाव मिलना चाहिए लेकिन अभी 4100-4200 रुपए प्रति क्विंटल भाव मिल रहे हैं। जिससे आवक भी कम है। शादी-ब्याह का सीजन होने और आगामी फसल की बोवनी करने के कारण रुपए की आवश्यकता है इसलिए जरूरत के मुताबिक उपज बेचने आए हैं। कई किसानों ने भाव बढऩे के इंतजार में उपज रोक रखी है।
सोनू चौकसे
ग्राम हासामापुरा

दीपावली पर सोयाबीन इसलिए नहीं बेची की त्यौहार के बाद भाव अच्छे मिलेंगे लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। भाव डाउन है। पिछले साल 4900 रुपए प्रति क्विंटल के भाव पर सोयाबीन बेची थी जो इस बार ४१००-४२०० रुपए प्रति क्विंटल के भाव पर बेचना पड़ रही है।
मेहरबान सिंह गुर्जर
ग्राम पद्माखेड़ी

बारिश के चलते फसल खराब हो गई थी जिससे पैदावार भी प्रभावित हुई। इसके चलते मंडी में भाव कम मिल रहे हैं। आगामी फसल की तैयारी करना है, इसके लिए रुपए की आवश्यकता है इसलिए उपज बेच रहे हैं। भाव कम मिलने के कारण लागत भी नहीं निकल पा रही है।
राकेश सिंह
ग्राम पद्माखेड़ी

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