इसलिए डॉग्स कंट्रोल में बाधा…

सख्त नियम-अधिनियम मानदंडों के अनुरूप यूनिट-समूह का अभाव

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शैलेष व्यास | आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएं बीते कई महीनों से सामने आती रही है। आवारा कुत्तों के काटने से कई बच्चों की मौत भी हो चुकी है। लगातार सामने आ रही घटनाओं के बाद सख्त कदम उठाने की दरकार है,पर दिक्कत नियम-अधिनियम से है। डॉग्स कंट्रोल के लिए नगरीय निकायों के पास सक्षम संस्थाओं का अभाव है।

केंद्र सरकार ने साल 2023 में एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) यानी पशु जन्म नियंत्रण को लेकर नए नियम जारी किए। इन नियमों ने पशु जन्म नियंत्रण 2001 का स्थान लिया है। एबीसी का मकसद कार्यक्रमों के जरिए आवारा डॉग्स की नसबंदी और टीकाकरण के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करना है। भारतीय पशु कल्याण बोर्ड से मान्यता प्राप्त संस्थाओं को ही नसबंदी अभियान चलाने की अनुमति है। ऐसे में नगर निगम की ओर से अभियान नहीं चलाया जा रहा।

इसके अलावा नसबंदी के बाद कुत्तों की देखभाल का जिम्मा भी उठाने का प्रावधान है। अकसर देखने में आता है कि नसबंदी के बाद इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता। एक चौंकाने वाले खुलासे में यह सामने आया है कि उज्जैन में वस्तुत: कोई भी नसबंदी सुविधा या पशु जन्म नियंत्रण केंद्र भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) द्वारा निर्धारित नए मानदंडों को पूरा करने में सक्षम नहीं है। नतीजतन पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) कार्यक्रम रुक गया है।

जानकारों के मुताबिक मानदंडों के अनुसार, एबीसी कार्यक्रम के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए, एक पशु चिकित्सक को कम से कम 2,000 जन्म नियंत्रण सर्जरी करने की आवश्यकता होती है, उसके पास एक मोबाइल ऑपरेशन थियेटर वैन, वीडियो निगरानी और केनेल होना चाहिए, जो कम से कम उज्जैन में किसी भी मौजूदा एनजीओ के पास नहीं है।

नियम, जो पूरे देश में लागू हैं

बताया जाता है कि एडब्ल्यूबीआई ने पशु जन्म नियंत्रण के नाम पर अनधिकृत एनजीओ को धन प्राप्त करने से रोकने के लिए अपने नए नियमों और कड़े मानदंड शामिल किए हैं। नए नियम, जो पूरे देश में लागू हैं, में कहा गया है कि पंचायतों और नगर निकायों को नए नियमों के तहत एनजीओ और नसबंदी सुविधाओं को फिर से पंजीकृत और मान्यता देनी होगी।

नियमों में यह भी कहा गया है कि एनजीओ या पशु कल्याण निकायों को एबीसी के लिए बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त होनी चाहिए, और किसी भी नसबंदी को करने से पहले परियोजना मान्यता का प्रमाण पत्र भी प्राप्त करना होगा। यदि एक एजेंसी या एनजीओ के पास दो सुविधाएं हैं, तो प्रत्येक एबीसी केंद्र के लिए अलग-अलग आवेदन प्राप्त करने की आवश्यकता है। प्रत्येक सुविधा में एक पशु चिकित्सक होना चाहिए जिसने 2,000 नसबंदी सर्जरी की हो नये दिशानिर्देश बहुत सख्त हैं और पिछले कुछ महीनों से नसबंदी की गति पूरी तरह धीमी हो गयी है।

आईएएस बनाएंगे रणनीति

आवारा कुत्तों पर लगाम लगाने के लिए अब प्रदेश के आईएएस रणनीति तैयार करेंगे। प्रदेश की मोहन सरकार के फरमान के बाद आवारा कुत्तों पर लगाम लगाने और कुत्तों की आबादी को नियंत्रण करने के 7 आईएएस अधिकारियों की टीम कुत्तों की बढ़ती आबादी को कम करने की कार्य योजना बनाएगी और इसे प्रदेश के सभी जिलों में लागू करेगी। इसके अलावा जिलों में पशु जन्म नियंत्रण निगरानी समितियों का भी गठन किया जाएगा।

निकायों को जिम्मेदारी

केंद्र सरकार ने पशु क्रुरता निवारण अधिनियम, 1960 के अंतर्गत और पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 को अधिक्रमित करने के बाद 10 मार्च, 2023 को जीएसआर 193 (ई) के माध्यम से पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 को अधिसूचित किया है। इन नियमों में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड और आवारा पशुओं के उन्मूलन के लिए लोगों के बीच रिट याचिका संख्या 691/2009 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों को संबोधित किया गया है। मौजूदा नियमों के अनुसार, आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के लिए पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम संबंधित स्थानीय निकायों/नगर पालिकाओं/नगर निगमों और पंचायतों द्वारा चलाया जाना है।

नगर निगमों को एबीसी और एंटी रेबीज कार्यक्रम को संयुक्त रूप से लागू करना होगा। नियमों में यह भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं कि किसी क्षेत्र में कुत्तों को स्थानांतरित किए बिना मानव और आवारा कुत्तों के बीच संघर्ष से कैसे निपटा जाए। नियम के तहत एक आवश्यकता यह है कि पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम को एडब्ल्यूबीआई द्वारा मान्यता प्राप्त संगठन द्वारा चलाया जाना चाहिए जो विशेष रूप से पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम के लिए मान्यता प्राप्त हो।

केंद्र सरकार ने पहले ही सभी राज्यों के मुख्य सचिवों, पशुपालन विभाग और शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिवों को पत्र जारी किए है। नगरीय निकायों को निर्देश दिए गए है कि नियमों को अक्षरश: लागू करें। ऐसे किसी भी संगठन को एबीसी कार्यक्रम चलाने की अनुमति न दें जो एडब्ल्यूबीआई द्वारा मान्यता प्राप्त न हो और एबीसी कार्यक्रम के लिए अनुमोदित न हो या नियमों में अन्यथा विस्तृत न हो।

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