इतनी ही तेज बारिश सोमवार को होती तो महाकाल लोक में क्या हालात बनते

2006 में एक ही दिन में 14 इंच बारिश झेल चुका है शहर
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कलेक्टर एक्टिव हुए और नगर निगम-स्मार्ट सिटी पर शिकंजा कसा तो सुबह तक सुधरे हालात, चैंबर के मुंह चौड़ा करने के निर्देश दिए
उज्जैन। शनिवार को बारिश ने महाकाल लोक के जो हाल किए यह स्थिति अगर सावन सोमवार और नागपंचमी के दिन होती तो सोचिए क्या हाल होता। इस दिन लाखों की संख्या में लोग उज्जैन में होते हैं और महाकाल लोक व आसपास का क्षेत्र दर्शनार्थियों से खचाखच भरा रहता है। शनिवार को दो घंटे की बारिश ने महाकाल लोक के निर्माण की पोल खोल दी। हाल यह रहा कि पूरे महाकाल लोक में नाले का गंदा पानी दिखाई दिया। सावन में आए श्रद्धालु इसी गंदे पानी में से होते हुए बाबा महाकाल के दर्शन करने पहुंचे और व्यवस्था को कोसते रहे।
दरअसल महाकाल लोक में पानी भरने का मूल कारण इसके नीचे से गुजर रहे नाले की सफाई नहीं होना रहा है। कायदे से मानसून सीजन शुरू होने से पहले ही नाले की सफाई करानी चाहिए थी लेकिन इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। महाकाल लोक का सिविल काम का रखरखाव नगर निगम और स्मार्ट सिटी के पास है लेकिन दोनों ही विभाग इस मामले में नाकारा साबित हुए। इनकी लापरवाही का खामियाजा लाखों भक्तों ने भुगता। अगर समय रहते नाले की सफाई कर दी जाती तो पानी निकासी हो जाती और महाकाल लोक बच जाता।
मंदिर में सफाई व्यवस्था के जिम्मेदार अफसरों को भी बुलाया : महाकाल मंदिर में सफाई व्यवस्था के जिम्मेदार उप प्रशासक अरुण शर्मा, इंजीनियर शिवकांत पांडेय और देवेंद्र परमार को भी कलेक्टर ने मौके पर बुलवाया। इस दौरान पता चला कि महाकाल लोक में बने अंडरग्राउंड नाले के चैंबर का मुंह छोटा है इस कारण सफाई में दिक्कत होती है। कलेक्टर ने चैंबर के मुंह चौड़ा करने और सीढ़ी की व्यवस्था के निर्देश भी जिम्मेदारों को दिए हैं।
कलेक्टर ने संभाली कमान-सुबह साफ मिला महाकाल लोक
शाम होते ही महाकाल महालोक में जो हालात बिगड़े थे, उसकी जानकारी कलेक्टर रौशनकुमार सिंह तक विभिन्न माध्यमों से तुरंत पहुंची। चूंकि रौशनकुमार सिंह उज्जैन के नगर निगम आयुक्त भी रह चुके हैं, उन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर निगम की कमान भी संभाली। निगम आयुक्त आशीष पाठक और स्मार्ट सिटी सीईओ संदीप शिवा को टीम के साथ शाम से ही काम में लगा दिया।
निगम के अपर आयुक्त पवन सिंह, उपायुक्त योगेंद्र पटेल, संजेश गुप्ता, ईई जगदीश मालवीय, सहायक आयुक्त प्रवीण मुकाती, एई दीपक शर्मा, उपयंत्री राजेंद्र रावत (जोन प्रभारी), स्वास्थ्य निरीक्षक मुकेश भाटी के साथ महाकाल क्षेत्र के अलग-अलग इलाकों स्वास्थ्य अमला लगाया। रातभर सफाई अभियान चला। सुबह तक चैैंबर और महाकाल लोक की सफाई की गई। हालांकि सुबह कचरा कई जगह फैला हुआ था। कलेक्टर लगातार रिपोर्ट लेते रहे।
शहर के नालों का पानी भी आ गया था महाकाल लोक में
शुक्रवार शाम हुई तेज बारिश के चलते बेगमबाग क्षेत्र और गरीब नवाज कॉलोनी में पानी भरना शुरू हुआ। शनिवार दोपहर महाकाल लोक त्रिनेत्र कंट्रोल के सामने बना चैंबर ओवरफ्लो हो गया और महाकाल लोक में पानी भर गया। यह नाला शहर के नई सडक़ से लोहे का पुल, इंदौर गेट, बेगमबाग होते हुए महाकाल लोक के पास होता रुद्रसागर तक जाता है। महाकाल लोक के नाले में इसी नाले का पानी आ गया। नालें में तीन चैंबर हैं जो कि गहरे हैं और उसमें उतरना आसान नहीं है।
19 इलाकों में सडक़ों पर पानी भरा, बाइक भी बहने लगी थी
शुक्रवार रात को हुई तेज बारिश में शहर के 19 इलाकों से प्रशासन के कंट्रोल रूम पर घरों में पानी घुसने की शिकायत पहुंची है। शिकायतों के आधार पर नगर निगम की टीम को यहां मदद करने के निर्देश जारी किए गए।
कंट्रोल रूम को गणेश कॉलोनी, सरस्वती नगर, देवता कॉलोनी, कमल कॉलोनी, सुंदरनाथ आश्रम, डाबरी पीठा, गरीब नवाज कॉलोनी, कार्तिक नगर, शहीद नगर, शिवाजी नगर छात्रावास, न्यू इंदिरा नगर कॉलोनी, सेंटपाल स्कूल के पीछे, मिर्ची नाला, राजीव नगर, बुधवारिया, लोहे का पुल, केशवनगर, हनुमान नाका आदि क्षेत्रो में पानी भरने की घटना हुई है। डाबरी पीठा इलाके इतना पानी भर गया कि बाइक बहने लगी। लोगों ने वाहनों को वहां से निकालकर अन्य क्षेत्रों मे भेजा।
रात भर लगी रही निगम की टीम
निगम उपायुक्त संजेश गुप्ता ने कहा कि हमारी टीमें रातभर सक्रिय रहीं। शिकायतों के आधार पर टीमें मदद के लिए पहुंचीं। अधिकतर जगह यह सामने आया कि सडक़ के कचरे ने नालियों को चोक किया। इस कचरों को नालों से जेसीबी व पोकलेन की मदद से हटाया गया, नालियों की सफाई कर पानी का फ्लो ठीक किया।
पूरी रात सडक़ पर पानी भरा रहा हर साल होते हैं ऐसे हालात…
हनुमान नाका के रहवासी राधेश्याम राठौर ने बताया कि पूरी रात क्षेत्र में पानी भरा रहा। घर में भी पानी घुस गया। पानी निकालने में ही पूरी रात गुजर गई।
हनुमान नाका चौराहे के व्यवसायी दिलीपसिंह राठौर ने कहा कि चौराहे पर रातभर पानी रहा। मामूली बारिश मे ही यहां ऐसे हालात हो जाते हैं।
कचरा सिर्फ वाहनों में ही डालें
आम नागरिकों से सहयोग की अपील है कि कचरा सिर्फ निगम के कचरा वाहनो में ही डाले। आपके द्वारा सडक़, नाली या खाली प्लॉट में फेंका गया कचरा-पॉलीथिन नाली-नालों को चोक करता है और बारिश में सडक़ों पर पानी जमा हो जाता है। निगम अधिकारियों को खाली प्लॉट व नाले-नालियों की नियमित सफाई के निर्देश दिए हैं। कचरा गाडिय़ों की संख्या भी बढ़ाई है।–रौशनकुमार सिंह, कलेक्टर
खरी-खरी….तीन इंच बारिश में बहा सिस्टम, आगे क्या होगा हाल…?
शुक्रवार-शनिवार को हुई करीब तीन इंच बारिश ने उज्जैन शहर के कई इलाकों की ऐसी हालत कर दी है कि लोग सोचने पर मजबूर हो गए है- क्या यही है स्मार्ट सिटी।मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उज्जैन प्राथमिकता पर कोई संदेह नहीं किया जा सकता। वह लगातार शहर के विकास के नए-नए प्रोजेक्ट ला रहे हैं, बजट दे रहे हैं। उनका सपना है उज्जैन को नंबर 1 शहर बनाना। उनकी बहन निगम सभापति कलावती यादव भी कंधे से कंधा मिलाकर साथ दे रही हैं। महिला होते हुए भी वह नगर निगम को ठीक करने में लगी हैं, लेकिन जिन अफसरों पर उनके इस सपने को साकार करने की जिम्मेदारी है, वही उनके सपने को बर्बाद करने में लगे हैं।
तीन इंच बारिश ने शहर के कई इलाकों को घंटों तक डुबोकर रखा। इसमें वह महाकाल लोक भी है, जो देश-विदेश में उज्जैन का आइना है। शहर की कई बस्तियां भी हैं, जहां ड्रेनेज ओवरफ्लो, घरों में पानी घुसने और वाहनों के फंसने के दृश्य आम रहे। दरअसल शहरवासी बारिश से नहीं, उज्जैन नगर निगम के सिस्टम की लापरवाही से ज्यादा परेशान हुए। बारिश के दौरान स्थिति यह रही कि पूरा शहर बदहाल नजर आया।
अब सवाल यह है कि यह हाल सिर्फ बारिश का असर है या सालों से जमा कचरे और ‘कुंद सिस्टम’ का। जवाब स्पष्ट है कि नगर निगम और स्मार्ट सिटी के अफसरों की लापरवाही से यह स्थिति बनी। अफसर न बारिश के पूर्व की तैयारी करते हैं ना बाद की। जिस शहर को मुख्यमंत्री महाकाल, महाकाल लोक, स्पिरिचुअल सिटी के माध्यम से देश-दुनिया में पहचान दिला रहे हैं, उस शहर की गलियों में अफसरों की लापरवाही से कीचड़, बदबू और बहते नाले दिखते हैं।
सवाल सिर्फ विकास का नहीं है, सवाल मेंटनेंस का है। ड्रेनेज सिस्टम की सफाई कौन कर रहा है? इनकी निगरानी की जिम्मेदारी किसकी है? अब तो शहरवासियों को नगर निगम का नाम सुनते ही गुस्सा आता है और लोग नगर निगम को ‘नरक निगम’ तक कहते हैं। उनकी बात में दम भी है, जब गलियों में गंदा पानी बहता हो, बारिश में घरों में पानी घुसता हो, सडक़ें टूटी-फूटी हों, जहां अफसर मौके पर नहीं मीटिंग रूम में हों, वहां जनता किससे उम्मीद रखे।
मुख्यमंत्री की नीयत को कठघरे में खड़ा नहीं किया जा सकता, वह लगातार शहर को सौगातें और सुविधा दे रहे हैं। लगातार समीक्षा भी कर रहे हैं, लेकिन उनके मातहत अफसर उनके निर्देश का पालन ना करे तो यह ‘प्रशासनिक अपराध’ है और जनता इसे समझ रही है।
पहली भारी बारिश निगम प्रशासन के लिए एक चेतावनी है, क्योंकि जनता देख रही है, समझ रही है और उसे आगे बहलाना, समझाना मुश्किल होगा।
@विनोदसिंह सोमवंशी