जिला अस्पताल में उपचार कराना है, तो पंखे पानी की केन और बाटल साथ लेकर आएं

By AV NEWS 2

भीषण गर्मी में भी अस्पताल प्रशासन का दिल नहीं पसीज रहा, लोग निजी अस्पताल में जाने को मजबूर

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:एक ओर शासन द्वारा सरकारी अस्पतालों में मरीजों को उपचार के साथ तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराने के दावे करता है वहीं दूसरी ओर अस्पताल प्रबंधन से जुड़े अफसर यहां भर्ती होने वाले मरीजों की क्या स्थिति कर देते हैं उसका जीता जागता प्रमाण संभाग का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। यहां उपचार कराने के लिये मरीजों को अपने घर से पंखे, पानी की केन और बाटल लेकर आना पड़ रहा है वहीं दूसरी ओर भीषण गर्मी में भी अफसरों का दिल तक नहीं पसीज रहा है।

दोपहर में सांस लेना भी हो जाता है मुश्किल

भीषण गर्मी के दौर में सुबह और रातें सामान्य लोगों को बेचैन कर रही हैं। एसी, कूलर भी गर्मी से निजात को साथ नहीं दे रहे ऐसे में पंखे की हवा भी चुभ रही है। वहीं दूसरी ओर जिला चिकित्सालय में भर्ती मरीजों को कूलर तो दूर पंखे भी नसीब नहीं हो रहे। मरीजों ने चर्चा में बताया कि सुबह और रात तो जैसे तैसे गुजर जाती है लेकिन दोपहर के समय वार्ड में सांस लेना मुश्किल हो जाता है। अस्पताल बिल्डिंग में पहले से लगे पंखे की हवा नहीं लगती। उज्जैन में रहने वाले मरीज घर से और ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले मरीज टेंट से किराये के पंखे लेकर अस्पताल आ रहे हैं।

स्टाफ भी परेशान, घर से ला रहे पानी

अस्पताल प्रबंधन के अफसरों का कहना है कि पीने के लिये परिसर में प्याऊ है। इस प्याऊ का पानी अस्पताल कर्मचारी ही नहीं पीते। अधिकांश कर्मचारी घर से पानी की बाटल लाते हैं। गर्मी के आलम यह हैं कि वार्डों में ड्यूटी करने वाली नर्सों और वार्ड बाय के दोपहर में पसीने छूट रहे हैं। अस्पताल में चर्चा इस बात की है कि कुछ समय बाद यह बिल्डिंग टूटना है तो अब व्यवस्थाएं जुटाने से अधिकारी बच रहे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि अस्पताल प्रशासन के पास पर्याप्त फंड होने के बाद भी मरीजों की परेशानियों को हल नहीं किया जा रहा ताकि वे परेशान होकर स्वयं ही प्रायवेट अस्पताल में चले जाएं।

घर से पंखा लाये थे, उपचार ठीक नहीं हो रहा अब प्रायवेट में जाएंगे

अफसाना महिला वार्ड में भर्ती होकर उपचार करा रही थी। उसके परिजन रज्जू निवासी भेरूनाला अफसाना की छुट्टी कराने के बाद अपने साथ लाया पंखा व बिस्तर लेकर जा रहे थे। रज्जू से पूछा कि अफसाना को कहां ले जा रहे हो तो उसने बताया अस्पताल में उपचार ठीक नहीं हो रहा, पंखे तक की व्यवस्था नहीं है ऐसे में मरीज का ठीक होना तो दूर और अधिक बीमार हो जायेगा। घर से पंखा लाये थे उसे भी वापस ले जा रहे हैं। अफसाना का उपचार अब प्रायवेट अस्पताल में कराएंगे। शेख युनूस सर्जिकल वार्ड में भर्ती थे। स्वस्थ होने के बाद उनकी छुट्टी कर दी गई। परिजन घर से लाये बिस्तर, पंखा लेकर घर जा रहे थे। उन्होंने बताया कि अस्पताल की स्थिति बहुत खराब है। मरीज भगवान भरोसे हैं।

20 रुपये में केन भरवाई देवासगेट से मिला ठंडा पानी

अस्पताल के वार्ड तो दूर परिसर तक में ठंडा पीने योग्य पानी नहीं मिल रहा है। धर्मेन्द्र राठौर निवासी दुबली ने बताया कि उसका भाई श्यामलाल हड्डी वार्ड में भर्ती है। वार्ड में कहीं पीने का पानी नहीं मिला तो तलाश करते हुए परिसर में आया। परिसर में कर्मचारियों ने बताया कि देवासगेट स्थित अन्नपूर्णा माता मंदिर प्याऊ पर ठंडा पानी मिलेगा। धर्मेन्द्र दो बाटल लेकर देवासगेट से पानी भरकर लाया। ममता पति राधेश्याम अपने 9 वर्ष के बेटे के साथ पानी की केन उठाकर अस्पताल में प्रवेश कर रही थी। ममता से पूछा केन लेकर क्यों आना पड़ रहा है तो उसका सीधा जवाब था। अस्पताल में पीने का पानी नहीं मिल रहा। दिन भर इधर उधर पानी के लिये भटकना पड़ता है। एक लीटर पानी की बाटल 20 रुपये की आती है, दिन भर में कितनी बाटल खरीदें इससे अच्छा घर से पानी की केन लाकर 20 रुपये में भरवाई है अब रात तक काम चल जायेगा।

सरकारी अस्पतालों में सोनोग्राफी का संकट

मध्यप्रदेश शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर के मामले में देश के सबसे खराब स्थिति वाले राज्यों में शुमार है। नवजातों और प्रसूताओं की मौतों को रोकने के लिए सरकार गर्भावस्था के दौरान जांच, उपचार और देखभाल पर विशेष जोर देती है। गर्भावस्था में सोनोग्राफी की जांच सबसे अहम है। लेकिन, एमपी के सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी जांच ही नहीं हो रही है। हाल में उज्जैन जिला अस्पताल में तीन यूएसजी मशीनें है लेकिन सिर्फ एक डॉक्टर ही सोनोग्राफी कर रहे हैं। एक पीजीएमओ ट्रेंड होने के बावजूद सेवाएं नहीं दे रही हैं।

उज्जैन जिले के बडऩगर,नागदा, खाचरोद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में से सिर्फ खाचरोद में मशीन है, लेकिन ट्रेनिंग के लिए डॉक्टर नॉमिनेटेड नहीं हैं। एक मशीन सीएमएचओ के स्टोर में है। उज्जैन संभाग के देवास जिले की सोनकच्छ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में यूएसजी मशीन है लेकिन डॉक्टर सोनोग्राफी नहीं कर रही। शाजापुर जिले के शुजालपुर सिविल अस्पताल में मशीन और डॉक्टर उपलब्ध होने के बावजूद सोनोग्राफी नहीं हो रही है। नीमच जिले की सिंगोली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सोनोग्राफी मशीन ही नहीं है।

कलेक्टर के निर्देश का भी नहीं हुआ पालन

पिछले दिनों कलेक्टर नीरज कुमार सिंह द्वारा जिला चिकित्सालय का निरीक्षण किया गया था। इस दौरान कलेक्टर सिंह ने निर्देश दिये थे कि मरीजों को गर्मी से बचाव के लिये एयर कूलर और पीने के पानी के लिये वाटर कूलर लगाये जाएं। उक्त निर्देश को चार दिन बीत चुके, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने आज तक कोई काम नहीं किया है।

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