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नए पुलिस अधीक्षक के लिए चुनौती बनेगा शहर की ध्वस्त टै्रफिक व्यवस्था को सुधारना

देवासगेट, रेलवे स्टेशन से लेकर महाकाल के आसपास वाहन चलाना हुआ मुश्किल

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन शहर में बढ़ते अपराधों के अलावा दो दिन पहले ज्वाईनिंग लेने वाले एसपी प्रदीप शर्मा के सामने शहर की ध्वस्त यातायात व्यवस्था को सुधारना भी चुनौती से कम नहीं है। हालांकि उन्होंने यातायात थाना द्वारा वर्तमान में चल रही कार्यप्रणाली की समीक्षा कर कुछ निर्देश अवश्य दिये हैं।

 

इनका कहना

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शहर के प्रमुख चौराहों को चिन्हित कर यातायात थाने के जवानों की ड्यूटी प्रतिदिन लगाई जाती है। शहर में अनेक क्षेत्रों में यातायात दबाव अधिक होने के कारण जाम की स्थिति निर्मित होती है। जिसके निराकरण के लिये विस्तृत योजना बनाई जा रही है।

इन मार्गों पर हर पल लगता है जाम

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देवासगेट से इंदौरगेट

देवासगेट चौराहे से लेकर इंदौर गेट तक सुबह से देर रात तक जाम की स्थिति बनी रहती है। इसके पीछे कारण यह है कि देवासगेट से अधिकांश बस संचालक प्रतिबंध के बावजूद इंदौर की बसें संचालित करते हैं। इसके बाद रेलवे स्टेशन के सामने ई रिक्षा, आटो और मैजिक संचालक सड़क किनारे अपने वाहनों की कतार लगाकर खड़े हो जाते हैं। इन वाहनों के ड्रायवर स्टेशन से लेकर इंदौरगेट तक सवारी बैठाने के चक्कर में ऐसे वाहन खड़े करते हैं जैसे रेल के कोच जुड़े रहते हैं। स्थिति यह हो जाती है कि स्टेशन के अंदर व बाहर आवागमन के लिये पैदल लोगों को जगह तक नहीं मिलती।

हरिफाटक ब्रिज से गोपाल मंदिर

पुराने शहर का यह मार्ग बेगमबाग, कोट मोहल्ला चौराहा, गुदरी, बर्तन बाजार, पटनी बाजार से गोपाल मंदिर तक पहुंचता है। इस मार्ग पर महाकालेश्वर दर्शन करने आने वाले यात्रियों का दबाव सबसे अधिक होता है। अनेक श्रद्धालु अपने निजी वाहन कार आदि से यहां तक पहुंचते हैं जबकि सवारी के चक्कर में ई रिक्शा, आटो की लंबी कतारें सुबह से रात तक इस मार्ग पर लगी रहती है। इस दौरान स्कूल व कॉलेज की बसें भी मार्ग पर संचालित होती हैं। ऐसे में मार्ग के रहवासी और दो पहिया वाहन चालक अपने वाहनों से आवागमन तक नहीं कर पाते।

महाकाल चौराहे से देवासगेट

कोट मोहल्ला महाकाल चौराहे से तोपखाना, दौलतगंज चौराहा, मालीपुरा होते हुए देवासगेट की ओर जाने वाला मार्ग वर्ष 2004 में चौड़ीकरण किया गया था। शहर में बढ़ते वाहनों के दबाव और सिंहस्थ महापर्व के मद्देनजर मार्ग चौड़ा हुआ इसके बाद दूसरा सिंहस्थ वर्ष 2016 में सम्पन्न हुआ और अब सिंहस्थ 2028 की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। इस दौरान महाकाल लोक निर्माण के बाद से रेलवे स्टेशन और बस स्टेण्ड से महाकाल की ओर आने वाला सीधा मार्ग होने के कारण वाहनों का दबाव भी बढ़ चुका है। इस मार्ग पर भी वर्तमान में दो पहिया, चार पहिया वाहनों का आवागमन मुश्किल होता है।

नदी की ओर जाने वाले सभी मार्ग फुल

महाकालेश्वर मंदिर के अलावा शिप्रा नदी की ओर जाने वाले सभी मार्गों पर सुबह से रात तक वाहनों का दबाव बना रहता है। हरसिद्धी पाल, बक्षी बाजार वाला मार्ग, ढाबारोड़ से बिलोटीपुरा, कार्तिक चौक किसी भी मार्ग से नदी की ओर जाना वाहन चालकों के लिये चुनौती होता है। इन मार्गों पर सभी प्रकार के वाहनों का आवागमन दिन भर रहता है। सिंहस्थ 2016 के पूर्व कार्तिक चौक महाकाल सवारी मार्ग होने के कारण चौड़ीकरण किया गया था, जबकि ढाबारोड़ सहित अन्य मार्ग के रहवासी वर्तमान में यातायात के दबाव से परेशान हैं।

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