धर्मनगरी उज्जैन में और भी हैं नागमंदिर, कहीं नागदाह यज्ञ से बचने के लिए शिव ने दिया अभयदान तो कहीं स्वयंभू…

नागपंचमी पर विशेष: उज्जैन शहर के तीन प्रमुख नागमंदिरों की रिपोर्ट
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तीनों मंदिरों में नागपंचमी पर विशेष पूजा, अभिषेक और आस्था का सैलाब उमडऩे की संभावना
उज्जैन। धर्मनगरी उज्जैन में सावन, शिव के साथ नागपूजन का विशेष महत्व है। श्री महाकाल मंदिर के ऊपरी तल पर स्थित श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर साल में एक बार खुलता है लेकिन शहर में नागदेवता के तीन और भी ऐसे मंदिर हैं,जो पूरे साल खुले रहते हैं। इन मंदिरों को लेकर तरह-तरह की जनश्रुतियां हैं। इस रिपेार्ट में इन मंदिरों की कहानी आपके लिए लाए हैं, हमारे रिपोर्टर पवन पाठक।
कर्कोटकेश्वर महादेव
महाकाल वन क्षेत्र के हरसिद्धि मंंदिर प्रांगण में विराजित श्री कर्कोटेश्वर महादेव का उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है। उज्जैन के 84 महादेव में इन्हें 10वां स्थान प्राप्त है। मान्यता है कि राजा जन्मेजय जब नागदाह यज्ञ कर रहे थे, तब जान बचाने के लिए धरती के नाग भयभीत होकर भाग रहे थे। इनमें से कुछ ब्रह्माजी की शरण में पहुंचे। इनमें कर्कोटक नामक नाग भी था। ब्रह्माजी ने उसे महाकाल वन स्थित शिवलिंग के पूजन का कहा था। कर्कोटक ने यहां आकर पूजन किया तो शिवजी ने उसे अभयदान दिया। उस दिन से यह मंदिर कर्कोटकेश्वर महादेव कहलाता है। महंत शेषनारायणपुरी गोस्वामी ने बताया कि नागपंचमी पर यहां विशेष अभिषेक, नागपूजन और कथा का आयोजन होता है।
गोनसा गांव स्थित नाग तलाई
शिप्रा किनारे रणजीत हनुमान मंदिर के आगे गोनसा गांव में स्थित यह मंदिर स्वयं में रहस्य और भक्त का संगम है। यहा विराजित नाग प्रतिमा को स्वयंभू माना जाता है। पुजारी हजारीलाल गौड़ के अनुसार यहां स्थित प्रतिमा भगवान शिव के गले में विराजमान सर्प की है, जिसे स्वयं शिवजी ने इस भूमि पर स्थापित किया था। मंदिर का वातावरण नागशक्ति और तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है। नागपंचमी के दिन हजारों श्रद्धालु नागआरती, दूध अर्पण और कुंडलिनी पूजन के लिए एकत्र होते हैं। नागपंचमी पर प्रमुख पूजन दत्त अखाड़ा द्वारा की जाती है।
तिलकेश्वर महादेव प्रांगण स्थित नाग मंदिर
ऋणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर के पास वाल्मीकि धाम के पहले विराजित तिलकेश्वर महादेव मंदिर परिसर में स्थित नाग मंदिर को लेकर अनेक जनश्रुति है। पुजारी अर्पित शर्मा के अनुसार इस स्थान पर कभी-कभी सफेद नाग दर्शन देता है। नागपंचमी पर यहां हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यह स्थल अलौकिक ऊर्जा का केंद्र है और यहां दर्शन मात्र से विष दोष, सर्प भय और नाग दोष का शमन होता है।