अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। अविवेक पूर्ण सोच टेंशन का एक प्रमुख कारण है। गायत्री महामंत्र जप से विवेक जागृत होता है। इस व्यक्तित्व परिष्कार शिविर में विवेक सम्मत निर्णय लेने की क्षमता विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है।
यह उद्गार व्यवस्थापक शक्तिपीठ जेपी यादव ने केंद्रीय कारागार में चतुर्थ व्यक्तित्व परिष्कार शिविर के समापन सत्र में व्यक्त किए। अध्यक्षता कर रहे जेल अधीक्षक मनोज साहू ने कहा कि इस आपदा के समय को जीवन परिष्कार के अवसर में बदलिए। गायत्री परिवार के उपक्षोन समन्वयक महेश आचार्य ने बंदियों को संबोधित करते हुए कहा कि हर घटना के पीछे एक कारण होता है लेकिन उसका सुखद अंत करना हमें सीखना चाहिए।
एक प्रतिभागी बंदी ने अपने संस्मरण सुनाते हुए कहा कि यदि हमें पहले ऐसा मार्गदर्शन मिल जाता तो जेल में नहीं आना पड़ता। एक अन्य बंदी ने कहा कि यहां कराए गए योगाभ्यास से हमारी पीठ और कमर का दर्द खत्म हो गया है। कार्यक्रम मेें जिला समन्वयक देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, जेलर सुरेश गोयल एवं गायत्री परिजन जगदीश पंवार ने अतिथियों के साथ बंदियों को शिविर सहभागिता प्रमाण पत्र प्रदान किए।