अधर में महाकाल मंदिर तक आसमान से सफर

बैंक कर्ज के चक्कर में झूल रहा 190 करोड़ रुपए का रोप-वे प्रोजेक्ट
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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। रेलवे स्टेशन से महाकाल मंदिर तक आसमान के रास्ते पहुंचाने वाला 190 करोड़ का रोप वे प्रोजक्ट अधर में है। ठेका लेने वाली कंपनी को बैंक से कर्ज न मिलने से काम शुरू नहीं हो पा रहा है। प्रोजेक्ट का भूमिपूजन केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की उपस्थिति में होगा।
रेलवे स्टेशन मालगोदाम से महाकाल मंदिर तक जाने के लिए रोप वे प्रोजेक्ट का टेंडर हो गया है, लेकिन अब तक भूमिपूजन कर काम शुरू नहीं हो सका। प्रोजक्ट की राह में आ रही कानूनी अड़चनें भी हाईकोर्ट के आदेश से दूर हो गई हैं, लेकिन अभी भी अप्रैल तक काम शुरू होने के आसार नहीं हैं।
सूत्रों के अनुसार उड़ीसा की एमएस इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी ने इसका ठेका लिया है। कंपनी ने बैंक से 78 करोड़ का कर्ज मांगा है। नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) यानी राष्ट्रीय राजमार्ग रसद प्रबंधन लिमिटेड 20 फीसदी राशि कंपनी को देगा। कर्ज के लिए फाइनेंशियल क्लोजर होना बाकी है। इसके बाद कंपनी के साथ एग्रीमेंट हो सकेगा। इस प्रक्रिया में दो माह लगने की संभावना है। दूसरी ओर सिंहस्थ 2028 से पहले इसे शुरू करने की बड़ी चुनौती है। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय मंत्री गडकरी ने यह इच्छा भी जताई है कि वे स्वयं महाकाल दर्शन कर इसका भूमिपूजन करेंगे।
फाइनेंशियल क्लोजर बाकी
रोप वे प्रोजेक्ट का फाइनेंशियल क्लोजर होना बाकी है। इसकी प्रक्रिया चल रही।
रवींद्र गुप्ता, कार्यपालन यंत्री, नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लि.
15 को भूमिपूजन नहीं
महाकाल मंदिर के लिए रोप वे प्रोजेक्ट शुरू करने की तैयारी चल रही है। अभी 15 फरवरी को मुख्यमंत्री द्वारा किए जाने वाले भूमिपूजन समारोह में इसे शामिल नहीं किया है।
-नीरज कुमार सिंह, कलेक्टर
15 फरवरी से रूद्रसागर ब्रिज भी होगा शुरू…
रोप वे प्रोजेक्ट के विरोध में कुछ लोगों ने आपत्ति जता कर निजी मकान देने के विरोध में कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है। रुद्रसागर के सामने जिस जगह रोप वे का स्टेशन प्रस्तावित है वहां रुद्रसागर ब्रिज बनकर तैयार हो गया है और 15 फरवरी को मुख्यमंत्री द्वारा शुभारंभ के बाद शुरू हो जाएगा। जिससे दर्शनार्थी रोप वे से उतरकर सीधे ब्रिज तक पहुंच सकेंगे।
रोप-वे गणेश कॉलोनी, चारधाम रोड उज्जैन से होकर गुजरेगा। इसकी राह में आ रहे कुछ लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि यहां अधिग्रहण की जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है वह असंवैधानिक है। उन्हें उचित मुआवजा और पुर्नवास का अधिकार दिए बगैर ही जमीन अधिग्रहित की जा रही है।याचिका पर 9 जनवरी को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्टे आदेश जारी कर दिया था।
कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता जमीन के मालिक नहीं हैं, जमीन के मालिक को मुआवजा राशि का 80 फीसदी पैसा दिया जा चुका है, जो उन्होंने स्वीकार कर लिया है। याचिकाकर्ताओं ने भूमि अधिग्रहण के लिए जो आपत्ति ली है उसमें उन्हें मकान के एवज में मकान या जमीन देने की जो मांग की गई थी, जो उन्होंने पहले ही ले ली थीं। कोर्ट में नए सिरे से ये मांग की गई है।जस्टिस प्रणय वर्मा की कोर्ट ने याचिका को हस्तक्षेप योग्य नहीं मानते हुए खारिज कर दिया