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खरमास आज से शुरू, खरमास में क्या करें और क्या न करें…

खरमास की अवधि के दौरान कोई भी शुभ मांगलिक कार्य करना वर्जित माना जाता है। जब सूर्यदेव गुरु बृहस्पति की राशि धनु या मीन में प्रवेश करते हैं तो खरमास का आगाज हो जाता है। ऐसे में सूर्य का गोचर धनु राशि में होने के साथ ही खरमास शुरू गया है। इस दौरान सूर्य का तेज कम हो जाता है और जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं यानी मकर संक्रांति के दिन खरमास का महीना समाप्त हो जाता है। ऐसे में खरमास के 30 दिनों में कुछ विशेष नियमों का खास ख्याल रखना जरूरी माना जाता है। इस अवधि में गृह प्रवेश, विवाह आदि कार्य वर्जित होते हैं और कुछ कार्यों को करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। आइए विस्तार से जानें कि खरमास में क्या करें और क्या न करें…

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खरमास में भूलकर भी न करें ये काम

 

खरमास के दौरान गृह प्रवेश करना वर्जित माना जाता है। ऐसा करने से घर में समस्याएं सकती हैं और यह परिवार में अशांति का कारण बन सकता है।

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इस अवधि में मुंडन, गृह निर्माण, विवाह, सगाई आदि कार्य करना शुभ नहीं माना जाता है।

खरमास में गोद भराई, सगाई, खरीदारी और बहू का गृह प्रवेश भी नहीं करना चाहिए।

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इन 30 दिनों की अवधि में नए वाहन या घर खरीदारी की करने बचना चाहिए। साथ ही, वाद-विवादों से भी दूर रहना चाहिए।

मान्यता है कि खरमास के दौरान अगर आपके पास कोई जरूरतमंद व्यक्ति मदद मांगने आए तो उसे खाली हाथ वापस नहीं भेजना चाहिए।

खरमास में मांस-मदिरा का सेवन करना भी वर्जित माना जाता है। इससे जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

खरमास में क्या करना चाहिए

इस माह के दौरान दान करना बहुत लाभकारी माना गया है। ऐसे में खरमास में धर्म-कर्म और दान जैसे कार्य जरूर करने चाहिए।

खरमास के दौरान रामायण, गीता और सत्यनारायण कथा का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। इससे जातक को पुण्य फल की प्राप्ति हो सकती है।

खरमास में पूजा, हवन, दान आदि कार्य करना भी शुभ माना गया है। इससे जातक के घर परिवार में सुख-शांति का माहौल बना रहता है।

इन 30 दिनों की अवधि में सूर्यदेव की उपासना करने का खास महत्व होता है। ऐसे में खरमास के दौरान श्रद्धापूर्वक सूर्यदेव की पूजा करनी चाहिए।

खरमास में भगवान शिव की पूजा और आराधना करने से दुखों का नाश हो सकता है। साथ ही, इस दौरान विष्णुजी की पूजा भी अवश्य करनी चाहिए। इन कार्यों को करने जीवन की कई समस्याओं से राहत मिल सकती है।

खरमास और मलमास यानी अधिकमास में अंतर जानें

अक्सर लोग खरमास और मलमास को एक ही समझने की भूल करते हैं, इन दोनों का अन्तर जानना अति आवश्यक है। दिसंबर मध्य से जनवरी मध्य तक प्रतिवर्ष ग्रहराज सूर्य का धनु राशि में संचरण तथा मध्य मार्च से मध्य अप्रैल तक की अवधि खरमास रहती है। इस बार मई 2026 में अधिक मास भी लग रहा है, जो एक अतिरिक्त मास के रूप में पंचांगों में दिखाई पड़ेगा।

ग्रहराज सूर्य जब अपने गोचर भ्रमण में धनु और मीन राशि पर आ जाते हैं, तो यह अवधि खरमास की होती है, खरमास साल में दो बार आता है। मलमास तीन साल में एक बार आता है, ज्यादातर लोग मलमास को मलमास न कहकर अधिक मास और पुरुषोत्तम मास कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मलमास का सम्बोधन करने पर व्यक्ति के पुण्य क्षीण हो जाते हैं, इसलिए पुरुषोत्तम मास या अधिक मास इस समय अवधि को कहा जाता है। संदर्भ आता है कि असुर हिरण्यकश्यप को वरदान था कि उसकी मृत्यु बारह मासों में से किसी भी मास में नहीं होगी, इसलिए भगवान विष्णु ने उसका वध करने के लिए एक अतिरिक्त मास की रचना की, जिसे पुरुषोत्तम या अधिक मास कहते हैं।

वर्ष 2026 में शुद्ध ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष 2 मई 2026 से प्रारम्भ होगा तथा अधिक ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष 17 मई 2026 को लगेगा। अधिक ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष 1 जून 2026 को लगेगा, उसके बाद शुद्ध ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष 16 जून 2026 को लगेगा। धर्मग्रंथों में अधिक मास (मलमास) में फल प्राप्ति की कामना से किए जाने वाले समस्त नैमित्तिक कर्म वर्जित कहे गए हैं। इसमें विवाह, मुंडन, यज्ञोपवीत, गृह-प्रवेश, गृहारम्भ, नए व्यापार का शुभारम्भ, नववधु का प्रवेश, दीक्षा-ग्रहण, देव-प्रतिष्ठा, सकाम यज्ञादि का अनुष्ठान, अष्टका श्राद्ध तथा बहुमूल्य वस्तु, भूमि, आभूषण, वस्त्र आदि का खरीदना अर्थात् समस्त कार्य (सांसारिक) कर्मों का निषेध माना गया है।

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