ग्राहक बनाकर रीगल मेडिकल पर सिरप लेने भेजा, छापा मारा, मेडिकल सील

अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। कंठाल चौराहा स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर के पास स्थित रीगल मेडिकल स्टोर पर औषधि विभाग और पुलिस ने संयुक्त रूप से छापा मार कर (नशीली) कोडीन युक्त सिरप की १७५ बोतलें जब्त कर लीं। आगामी आदेश तक के लिए मेडिकल सील कर दिया गया है। इसी मेडिकल पर यह कार्रवाई दूसरी बार हुई है।
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दरअसल, कलेक्टर रौशन कुमार सिंह को शिकायत की गई थी कि रीगल मेडिकल स्टोर्स का संचालक नवीन खुशानी नशीले सिरप का कारोबार कर रहा है। डॉक्टर की पर्ची के बिना यह सिरप नहीं दिए जा सकते। कलेक्टर ने औषधि प्रशासन विभाग को निर्देश दिए। कलेक्टर के निर्देश पर कोतवाली सीएसपी राहुल देशमुख के नेतृत्व में टीम बनाई गई। इसमें ड्रग इंस्पेक्टर धर्म सिंह कुशवाह और सोमेश पालीवाल के अलावा पुलिस विभाग के चार कर्मचारियों को भी शामिल किया गया।
देशमुख की योजना काम कर गई
सीएसपी देशमुख की योजना थी कि किसी को ग्राहक बना कर भेजेंगे तो मेडिकल संचालक आसानी से जाल में फंस जाएगा। यदि सीधे छापा मारेंगे तो सिरप ढूंढने में दिक्कत आएगी। सादी वर्दी में दो जवानों को ग्राहक बना कर भेजा गया। आझोक्स सिरप की मांग की गई। मेडिकल संचालक खुशानी ने दे दिया। टीम आसपास पहले से ही तैनात थी। इशारा मिला और सभी ने छापा मार दिया। पूरी टीम को देख खुशानी हक्का-बक्का रह गया।
छुपा कर रखी गई थीं बोतलें देता गया
छापा मारने वाली टीम ने कहा, जितनी भी बोतलें हैं सभी ले आओ। बचने का कोई रास्ता नहीं था। नवीन खुशानी ने बोतलें निकालना शुरू कर दी। विनरोफ-टी सिरप, एस्कोरिल-सी सिरप, झूफिन सिरप की 175 बोतलें बरामद हुईं। ड्रग इंस्पेक्टर कुशवाह ने जब इन सिरपों की खरीदी का रिकॉर्ड मांगा तो दुकान संचालक दे नहीं सका। यानी यह सिरप दो नंबर में खरीदे गए थे।
क्यों खतरनाक है यह सिरप
ड्रग इंस्पेक्टर कुशवाह ने बताया कि इन सिरपों में कोडीन की मात्रा होती है जिसका नशे के रूप में उपयोग होता है। औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के शेड्यूल एच-1 के अंतर्गत यह खुले तौर पर बेचना प्रतिबंधित है। डॉक्टर यदि लिख कर देगा तभी इसका विक्रय किया जा सकता है। नशा करने वाले लोग इस प्रकार के सिरप का इस्तेमाल करते हैं।
3 तीन माह के लिए बंद हुआ था
ड्रग इंस्पेक्टर ने बताया कि पहले भी विभाग ने इसी मेडिकल स्टोर्स पर छापा मारा था तब गर्भपात एनआरएक्स कोडिन युक्त दवाएं जब्त हुई थीं। तीन माह के लिए मेडिकल बंद कराया गया था। अब दोबारा कार्रवाई की गई है। जांच रिपोर्ट और वरिष्ठ अधिकारियों से मार्गदर्शन लेकर इस बार लाइसेंस निरस्त करने जैसी कार्रवाई की जाएगी।