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ढाई हजार से अधिक स्ट्रीट लाइट बंद

रोशनी के त्योहार से पहले अंधेरे में शहर की सड़कें….

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21 करोड़ रु.खर्च फिर भी रोशनी नहीं

 

अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में 21 करोड़ रु.खर्च कर शहर में 24,557 पोल पर एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाने और बदलने का काम किया गया था। इसके बाद भी शहर कभी एकसाथ रोशन नहीं हो सका।

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दरअसल जिस कंपनी को इसका ठेका दिया गया था,उसने वह काम पूरा नहीं किया। जिम्मेदारी नगर निगम के गले पड़ गई। हालात यह है कि रोशनी के त्यौहार से पहले कई सड़कों पर अंधेरा छाया हुआ है। शहर में करीब ढाई हजार से अधिक स्ट्रीट लाइट बंद है और नगर निगम है कि जोड़-तोड़ से जैसे-तैसे लाइट्स ठीक कर रहा है।

त्योहार से पहले शहर की प्रमुख मार्गों से लेकर पॉश कॉलोनियों की स्ट्रीट लाइट बंद है। स्मार्ट सिटी कंपनी प्रोजेक्ट में स्ट्रीट लाइट ओएंडएम वर्क का ठेका अनुबंध के तहत ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड को दिया गया था। कंपनी ने लाइट लगाने और बदलने का काम तो कर दिया,लेकिन अनुबंध की शर्तों के हिसाब से न तो स्टाफ लगाया और नहीं संसाधन लगाए।

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कंपनी को सात साल तक लाइट ऑपरेट एण्ड मेंटेनेंस करना था,पर ऐसा नहीं हुआ। निगम सूत्रों के अनुसार शहर में फिलहाल ढाई हजार से अधिक बिजली बंद है। वहीं अधिकारियों-कर्मचारियों को जनप्रतिनिधियों (खासकर पार्षदों) और नेताओं को नागरिकों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है।

दिसंबर-2020 में हुआ था एमओयू

अनुबंध के तहत काम नहीं करने की स्थिति में नगर निगम को स्ट्रीट लाइट का संचालन-संधारण करना पड़ रहा है। उज्जैन स्मार्ट सिटी कंपनी ने दिसंबर-2020 में 25 हजार एलईडी लाइट लगाने का मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टेंडिंग (एमओयू) साइन किया था। तय हुआ था कि कंपनी 21 करोड़ रुपये लेगी और शहर में 6300 रुपये कीमत वाली 25 हजार एलईडी लाइट लगाएगी। सभी लाइट का सात साल तक मेंटेनेंस भी करेगी। यानी कोई खराब हुई तो उसे बदलेगी भी। ऐसा नहीं हो रहा है। ठेके दूसरे वर्ष यानि २०२२ में कंपनी ने लाइट्स लगाने-बदलने का काम करने के बाद आगे काम ही नहीं किया। 25 हजार स्ट्रीट लाइटों का मेंटेनेंस नगर निगम को करना पड़ रहा है।

योजना पर एक नजर

अनुबंध के बाद ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड ने 08-दिसंबर-2020 से शहर में लाइट बदलने और लगाने का काम प्रारंभ किया। एक वर्ष में 17755 पारंपरिक लाइटों को बदल और 6802 पोल पर नई लाइट लगाई गई।

ओएंडएम वर्क के तहत एलईडी लाइट्स का मेंटेनेंस करने के साथ कंपनी को 30 टीम मय संसाधन के रखनी थी। ऐसा नहीं किया।

समय पर लाइट बंद-चाले करने के लिए लाइट कंट्रोल के लिए 6000 सीसीएमएस लगाने थे। सीसीएमएस पूरी तरह नहीं लगाए गए। जहां लगे वहां संचालन की दिक्कत है।

पुरानी लाइट्स कोलाकाता की इंडियन स्टील और मुंबई की एनए ट्रेडर्स फर्म को बेचने से ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड को 86 लाख रुपये मिले थे।

नगर निगम कर रहा मेंटेनेंस

नगर निगम के प्रकाश विभाग के प्रभारी जितेंद्र सिंह जादौन के अनुसार उज्जैन शहर में स्ट्रीट लाइट का मेंटेनेंस नगर निगम द्वारा किया जा रहा है। नगर निगम ने संसाधनों की व्यवस्था कर रखी है। सूचना मिलने पर तत्काल लाइट सुधार दी जाती है। जहां तक दिल्ली की कंपनी का प्रश्न है,उससे स्मार्ट सिटी ने अनुबंध किया था,निगम इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। हालांकि निगम की ओर से स्मार्ट सिटी को पत्र लिखकर कई मर्तबा अवगत कराया जा चुका है। इसका कोई असर नहीं हुआ। अंतत: नगर निगम मेंटेनेंस करना पड़ रहा है।

यह भी दावा था – स्ट्रीट लाइट लगाने के बाद दावा किया गया था कि कंपनी द्वारा मेंटेनेंस किए जाने के बाद से नगर निगम को हर साल 4 करोड़ 50 लाख रुपये तक की बिजली बिल में बचत होगी, लेकिन अभी मेंटेनेंस निगम को करना पड़ रहा।

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