उज्जैन के रहने वाले नायब तहसीलदार को पटवारी बनाया

भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा करने पर कार्रवाई

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कोर्ट, गाड़ी और सरकारी घर मांगा, बदले में मिली सजा!

एमपी में अजब गजब

  • नायब तहसीलदार को बनाया पटवारी अब छिड़ेगी नई जंग
  • प्रधानमंत्री तक पहुंची थी शिकायत हाईकोर्ट में याचिका
  • शासन के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी

आगर-मालवा। आगर-मालवा के नायब तहसीलदार का डिमोशन कर पटवारी बना दिया गया। कलेक्टर कार्यालय से बाकायदा इसका आदेश भी जारी हुआ है। नायब तहसीलदार पर भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े का आरोप है। नायब तहसीलदार का नाम अरुण चंद्रवंशी है। उन्हें पटवारी के रूप में उज्जैन जिले में पदस्थ किया गया है। एक शिकायत के बाद लोकायुक्त टीम ने अरुण चंद्रवंशी को लेकर जांच की थी, जिसमें नियमों के खिलाफ करीब 400 लोगों के गरीबी रेखा के राशन कार्ड बनना पाया गया।

एडवोकेट ने की थी की शिकायत

एडवोकेट भागीरथ देवड़ा ने नायब तहसीलदार (अब पटवारी) अरुण चंद्रवंशी के खिलाफ फरवरी 2024 में कलेक्टर, कमिश्नर, मुख्यमंत्री और लोकायुक्त से शिकायत की थी। इसमें अरुण चंद्रवंशी पर अपने पद का दुरुपयोग करने, अपनी शक्तियों से बाहर काम करने और रिश्वत मांगने समेत कई आरोप लगाकर जांच की मांग की थी। अरुण उज्जैन के रहने वाले है।

अक्षरविश्व न्यूज|उज्जैन। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा नायब तहसीलदार अरुण चंद्रवंशी को डिमोशन कर वापस उज्जैन में पटवारी पदस्थ करने के मामले में नई कहानी सामने आई है। पटवारी का दावा है कि उन्होंने हक के लिए आवाज उठाई थी। कोर्ट, गाड़ी और सरकारी घर के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, बदले में सजा मिल गई। प्रधानमंत्री को भी शिकायत की थी। अब वे शासन के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।

शासन ने 11 फरवरी को एक आदेश जारी कर चंद्रवंशी को नायब तहसीलदार से पदावनत कर मूल पद पटवारी पर पदस्थ कर दिया है। इस कार्रवाई से पूरे मध्यप्रदेश में हलचल मची हुई है और मामला सुर्खियों में है। इस कार्रवाई के पीछे बताया गया है कि चंद्रवंशी द्वारा चार सौ लोगों के बनाए गए राशन कार्ड मामले में लोकायुक्त ने कलेक्टर आगर मालवा को पत्र लिखा था। इसे गंभीरता से लेकर आनन फानन में यह बड़ी कार्रवाई कर दी गई।

जबकि चंद्रवंशी ने असत्य बताते हुए बताया है कि जिस व्यक्ति ने शिकायत की है उसके संबंध में हाईकोर्ट ने एसपी आगर को कारवाई का आदेश दे रखा है। वास्तविकता यह है कि शासन के आदेश पर कारवाई की गई है। मामले में नया मोड़ सामने आया है। वह बड़ा रोचक है। दरअसल, चंद्रवंशी ने अपने हक के लिए लड़ाई लड़ी थी।

उन्हें नायब तहसीलदार तो बना दिया गया था, लेकिन नायब तहसीलदार को दिए जाने वाले अधिकार के तहत कोर्ट नहीं दी, गाड़ी भी नहीं दी और सरकारी घर की सुविधा भी नहीं दी। नीमच जिले में आवास खाली होने पर भी नहीं मिला तो उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी जुटाई और इसके आधार पर प्रधानमंत्री को शिकायत कर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी।

मामले में कोर्ट ने शासन को को सकारात्मकता के साथ श्री चंद्रवंशी के पक्ष में निर्णय करते हुए आदेश पारित करने का आर्डर दिया। जिस पर राज्य शासन ने 6 माह कर दिए, जिस पर दूसरी बार हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की , यह याचिका अभी विचाराधीन है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी एक पत्र 2020 में मुख्य सचिव को भेजा था। इसलिए चंद्रवंशी को पदावनत करने का मामला एक नया मोड़ लेता दिखाई दे रहा है। चंद्रवंशी ने कहा है कि वे शासन के आदेश के विरुद्ध हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे और न्याय मांगेंगे। इससे यह मामला अब एक नई कानूनी लड़ाई का रूप लेता दिखाई दे रहा।

शासन का आदेश, कलेक्टर के हस्ताक्षर: मामले में उज्जैन संभागायुक्त ने शासन को कार्रवाई के लिए प्रस्ताव भेजा था। इस पर अवर सचिव राजेश कुमार कौल ने 10 फरवरी को आदेश जारी किया था। इस पर आगर मालवा कलेक्टर ने आदेश जारी किया।

न्याय की लड़ाई लडूंगा…

शासन के आदेश के विरुद्ध हाईकोर्ट से न्याय मांगूंगा। मुझे आवास खाली होने के बाद भी नहीं दिया गया। इससे मुझे 90 हजार रुपयों की हानि हुई। कोर्ट और गाड़ी की सुविधा भी नहीं दी गई थी। मेरा आरोप है कि नीमच जिले में सरकारी आवास किराए पर दिए जाते रहे हैं। राशन कार्ड मामले में फर्जी शिकायत की गई है। इसकी अभी जांच भी पूरी नहीं हुई है। यह सही है कि मैंने प्रधानमंत्री को पत्र भेजा था और वहां से जवाब भी मांगा गया है। –अरुण चंद्रवंशी, नायब तहसीलदार से उज्जैन में पदस्थ पटवारी

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