स्थायी सिंहस्थ नगरी के लिए 50 किसानों को नोटिस

एक हजार आपत्तियों की पहली सुनवाई 30 मई को, खिलचीपुर के किसानों से होगी बात

अक्षरविश्व न्यूज|उज्जैन। पहली बार उज्जैन में स्थायी सिंहस्थ नगरी विकसित करने के लिए उज्जैन विकास प्राधिकरण (यूडीए) ने प्रभावित होने वाले किसानों को नोटिस जारी कर आपत्तियों के निपटारे के लिए बुलाया है। पहली सुनवाई 30 मई को होगी। मध्यप्रदेश सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजक्ट के तहत सिंहस्थ क्षेत्र में स्थायी नगरी बसाने की तैयारी की जा रही है। 2378 हेक्टेयर जमीन पर यह योजना साकार होगी। किसानों की निजी जमीन पर भी यह नगरी आकार लेगी। इसके लिए लैंड पुलिंग योजना के तहत किसानों की जमीन पर डेवलपमेंट किया जाएगा।

सूत्रों के अनुसार करीब एक हजार किसानों ने दावे और आपत्तियां यूडीए को भेजी हैं। इन आपत्तियों का निराकरण करने के लिए अलग अलग समूहों में किसानों को बुलाया जाएगा और उनकी आपत्तियों का निराकरण किया जाएगा। 30 मई से इसकी शुरुआत होगी और एक हफ्ते में इनका निर्माण किया जाएगा। जून के पहले पखवाड़े में यह प्रक्रिया पूरी होने की संभावना है। अलग अलग समूहों में किसानों से आमने सामने की चर्चा होगी। सीईओ संदीप कुमार सोनी सहित अन्य अधिकारी किसानों की आपत्तियों का निराकरण करेंगे। इसके बाद 2 जून को भी किसानों को बुलाया जा सकता है। अन्य तारीखों का भी निर्धारण किया जा रहा है। पहली बैठक में खिलचीपुर क्षेत्र के किसानों से चर्चा होगी।

स्थाई नगरी से होगा उज्जैन का विकास

स्थायी नगरी विकसित होने से उज्जैन का विकास और तेजी से होगा। पूरे क्षेत्र में पक्के इंफ्रास्ट्रक्चर होंगे और सरकार को बार बार पेयजल, सडक़ और बिजली लाइन जैसे कार्यों पर पैसा खर्च नहीं करना पड़ेंगे। किसानों की जमीन की कीमतें भी महंगी होंगी और किसान भी व्यावसायिक गतिविधियां कर सकेंगे। सिंहस्थ के इतिहास में पहली बार स्थाई कुंभ नगरी बनाने पर सरकार का फोकस है। इसके पीछे यह सोच है कि अस्थाई निर्माण कार्य पर होने वाला खर्च बचाया जाए।

दूर होंगे किसानों के भ्रम

आपत्तियों के निराकरण के साथ योजना को लेकर किसानों के भ्रम दूर होंगे। दरअसल, प्राधिकरण केवल स्थायी नगरी के लिए विकास कार्य करेगा। वह किसानों की जमीन नहीं लेगा। विकसित जमीन किसानों के पास ही रहेगी। साधु संतों के स्थायी आश्रम, स्कूल, कॉलेज और धर्मशालाएं बनने से क्षेत्र का विकास तेजी से होगा।

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